हम भारतीय लोग अपने पड़ोसी देशों के बारे में सोचते हैं कि वे हम से बहुत पिछड़े हुए हैं। हमसे क्षेत्रफल और जनसंख्या में तो वे छोटे हैं ही लेकिन वे शिक्षा, चिकित्सा, भोजन, विदेश-व्यापार आदि के मामलों में भी भारत की तुलना में बहुत पीछे हैं। खास तौर से बंगलादेश के बारे में तो यह राय सारे देश में फैली हुई है, क्योंकि बंगलादेशी मजदूरों को तो भारत के कोने-कोने में देखा जा सकता है। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की ताजा रपट तो हमारे सामने दूसरा नक्शा पेश कर रही है। उसके अनुसार इस वर्ष बंगलादेश का प्रति व्यक्ति समग्र उत्पाद (जी.एस.टी.) भारत से थोड़ा ज्यादा है। 2020-21 में बंगलादेश का प्रति व्यक्ति समग्र उत्पाद 1888 डॉलर होगा जबकि भारत (India) का 1877 डालर रहेगा। पिछले कुछ वर्षों में बंगलादेश (Bangladesh) की अर्थव्यवस्था निरंतर आगे बढ़ती रही है। 2019 में वह 8.2 बड़ी थी। इस वर्ष भी बांग्ला अर्थव्यवस्था 3.8 प्रतिशत बढ़ेगी जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था 10.3 प्रतिशत घटेगी। इसमें शक नहीं है कि पिछले छह वर्षों में भारत की अर्थ-व्यवस्था ने कई छलांगें भरी हैं और वह पड़ोसी देशों के मुकाबले काफी आगे रही है लेकिन आज बंगलादेश कई मामलों में हमसे कहीं आगे है।
उत्तर प्रदेश से गायब ‘सपा के युवराज’ जैसे बंगलादेशी नागरिकों की औसत आयु भारतीयों से 3 वर्ष ज्यादा है। जनसंख्या बढ़ौतरी के लिए मुसलमानों को बदनाम किया जाता है लेकिन बंगलादेश में जन्म-दर की रफ्तार सिर्फ 2 है जबकि भारत में वह 2.2 है। इसी तरह कई अन्य मामलों में बंगलादेश हमसे आगे हैं। बंगलादेश की इस प्रगति से ईष्र्या करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था उससे लगभग 11 गुणा बड़ी है लेकिन उससे हमें कुछ सीखने की जरूरत जरूर है।
बिहार में चिराग पासवान की ‘पोस्टर राजनीति’ बंगलादेश ने अभी-अभी बलात्कार के लिए मृत्युदंड का कानून बनाया है। वह आतंकियों के साथ भी काफी सख्ती से पेश आता है। बंगलादेशी लोग बेहद मेहनतकश हैं। वहां हमारे समाज की कमजोरियां कम ही हैं। वहां के लोग जातिवाद से उतने ग्रस्त नहीं हैं, जितने हम हैं। बौद्धिक कामों के मुकाबले वहां शारीरिक कामों को एक दम घटिया नहीं माना जाता।
‘ऑनलाइन हिंसा’ का शिकार होती हैं महिलाएं बंगलादेश के कपड़े सारी दुनिया में गर्म पकौड़े की तरह बिकते हैं। ढाका की मलमल सारी दुनिया में प्रसिद्ध हुआ करती थी। भारत के साथ बंगलादेश के संबंध अन्य पड़ोसी देशों के मुकाबले ज्यादा अच्छे हैं लेकिन चीन भी वहां हर क्षेत्र में घुसपैठ की पूरी कोशिश कर रहा है। बंगलादेश की प्रगति से सबसे ज्यादा सबक पाकिस्तान को लेना चाहिए, जिसका वह 1971 तक मालिक था।
-डा. वेदप्रताप वैदिक
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