Wednesday, Mar 29, 2023
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कोरोना निदान हेतु स्वास्थ्य एवं आयुष मंत्रालय का सामूहिक प्रयास- जायरोपैथी

  • Updated on 5/15/2020

9 मई 2020, शनिवार को भारत के मेडिसिन इतिहास का स्वर्णिम दिवस कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। एक टीवी शो के माध्यम से यह सुनकर मन प्रफुल्लित हो गया कि हमारे देश में हजारों वर्षों से चल रहे आयुर्वेद ज्ञान मर्दन का अंत हुआ क्योंकि स्वास्थ्य एवं आयुष मंत्रालय दोनों एक साथ मिलकर कोरोना के लिये कुछ जड़ी-बूटियों का ट्रायल करेंगे।

इससे यदि यह आशय निकाला जाये कि पिछले 6 महीनों में पूरे विश्व में एलोपैथी कोरोना का प्रभावशाली इलाज ना ढूंढ पाने के कारण आयुर्वेद की जड़ी बूटियों के ट्रायल के विकल्प की बात कर रही है तो गलत नहीं होगा। टीवी के इस विशेष कार्यक्रम में आयुर्वेद ग्रंथों में वर्णित चार जड़ी बूटियों के गुणों का बार-बार अलग-अलग तरीक़े से ऐसा व्याख्यान किया गया, जिससे चिरातन काल से मौजूद ये औषधियां ऐसे प्रतीत होने लगी जैसे नई औषधियों की खोज हो गई हो, जिनका  ट्रायल स्वास्थ्य एवं आयुष मंत्रालय मिलकर करने वाले हों।
 

देश के स्वास्थ्य मंत्री माननीय डॉ हर्षवर्धन जी ने पूरे देश को बताया कि इन औषधियों का ट्रायल आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर किया जायेगा। परन्तु यह स्पष्ट नहीं हो सका कि किन-किन औषधियों का किस प्रकार ट्रायल किया जायेगा। क्या आयुष मंत्रालय ने इन औषधियों से कोई नया फ़ार्मूला तैयार कर लिया है या फिर कोई नया फ़ार्मूला बनाने जा रही है जिससे कोरोना के रोकथाम और इलाज में चमत्कारिक परिणाम मिलने वाले हैं। यह बात भी स्पष्ट नहीं हुई कि यदि इन जड़ी बूटियों के गुणों के अनुरूप कोई चमत्कारिक फार्मूले की खोज आयुष मंत्रालय ने की है या करने वाला है तो इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय की साझेदारी क्यों?
 

क्या हमारी प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली में अपनी दवाओं का ट्रायल करने की क्षमता नहीं है? क्या एलोपैथी कोरोना का इलाज ना ढूंढ पाने की अक्षमता को छुपाने का प्रयास कर रही है? ऐसे अनगिनत सवाल मन में आते हैं जिनका उत्तर नहीं मिलता। 

पिछले कई दशकों से अंग्रेज़ी का एक मुहावरा, विचार बनकर हमारी मानसिक परेशानी बढ़ा रहा था। दुनिया भर में लोग बहुत ही आसानी से कह देते हैं कि,‘प्रीवेन्शन इज बेटर दैन क्योर’ यानि कि रोकथाम उपचार से बेहतर है। परन्तु जब भी इस विषय पर यह जानने का प्रयास किया कि प्रीवेन्शन में ऐसा क्या करें कि क्योर की आवश्यकता ना पड़े, तो मन को संतुष्ट करने वाला जवाब कहीं नहीं मिला। अधिकतर लोगों ने शाकाहारी पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम तथा योग, प्रॉपर स्लीप, तनाव रहित जीवन एवं सुव्यवस्थित दिनचर्या को प्रिवेन्शन बताया, परन्तु यह सब करने से किन-किन बीमारियों से प्रिवेन्शन मिलेगा यह नहीं बता पाये। समें कोई शंका नहीं है कि उपरोक्त सुझावों से मनुष्य स्वस्थ रह सकता है, परन्तु स्वस्थ्य रहने मात्र से बीमारियों को नहीं रोका जा सकता।

कुछ दिनों पहले पता चला कि  55 वर्षीय इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉह्नसन तथा 54 वर्षीय रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन जो पूरी तरह स्वस्थ दिख रहे थे, कोरोना संक्रमित पाये गये हैं। अत: यदि स्वस्थ्य रहना बीमारी की रोकथाम होता तो इन दोनों को कोरोना संक्रमण नहीं होना चाहिये था। हमारी वर्षों की इस खोज में निरंतर लगे रहने का परिणाम है ‘प्रिवेन्टिका’। प्रिवेन्टिका में आयुष मंत्रालय द्वारा सुझाई गई चार औषधियों के अतिरिक्त कई और औषधियाँ भी शामिल हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करने के अलावा शरीर की आंतरिक शक्ति को भी प्रशस्त करती हैं, जिससे किसी भी जीवाणु तथा विषाणु के साथ-साथ अन्य 19 प्रकार की लाइलाज बीमारियों की रोकथाम में भी बहुत मदद मिलती है। ‘प्रिवेन्टिका’ प्रीवेन्शन का पर्याय है और पिछले कई हज़ार सालों में ऐसे फ़ार्मूले की खोज नहीं हुई है। ‘प्रिवेन्टिका’ को आज के युग की संजीवनी कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। 

देश ही नहीं बल्कि समूचे विश्व में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ता ही जा रहा है, चारों तरफ तबाही का आलम दिखाई दे रहा है। चीन जैसा महाशक्तिशाली सर्वसंपन्न देश जिसे पूरा विश्व कोरोना का जनक मानता है, पिछले 6 महीनों में कोई भी ऐसी खोज नहीं कर पाया जिससे कोरोना संक्रमण एवं उससे हो रही तबाही को रोका जा सके। अमेरिका, इंग्लैंड, फ़्रांस, स्पेन, इटली, रूस जैसे विकसित देश जिनके पास सभी प्रकार के संसाधन होने के बावजूद कोरोना का कोई हल अभी तक नहीं निकाल पाये। अत: देशहित में हमारा भारत सरकार से एक बार पुन: आग्रह एवं सविनय अनुरोध है कि  किसी नये फ़ार्मूले की खोज में समय गँवाने से अच्छा अविलम्ब ‘प्रिवेन्टिका’ के ट्रायल का आदेश जारी करें और देशवासियों को आने वाली भीषण महामारी से बचाने का प्रयास करें। 

- कामायनी नरेश फाउन्डर ऑफ जायरोपैथी

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख (ब्लाग) में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इसमें सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इसमें दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार पंजाब केसरी समूह के नहीं हैं, तथा पंजाब केसरी समूह उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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