साल 2020 में जहां एक तरफ पूरी दुनिया कोरोना काल में परेशान, बेबस और बेचैन थी। समझ नहीं आ रहा था कि इस भयावह काल में कैसे लोगों की जिंदगी चलेगी। एक तरफ कोरोना की मार थी तो वहीं दूसरी तरफ रोजीरोटी की चिंता सता रही थी। मुझे भी चिंता अपने काम और रोजी रोटी को लेकर थी। नवंबर 2019 में लाइव सीटिज चैनल ज्वाइन करने के बाद सबकुछ नॉर्मल चल रहा था कि तभी जनवरी 2020 के आखिरी सप्ताह में देशभर में कोरोना का पहला केस मिला।
'लॉकडाउन से था परेशान' इस खबर को पहले तो गंभीरता से नहीं लिया और केवल अपने कामों पर ध्यान देता रहा। लेकिन जैसे-जैसे कोरोना के केस बढ़ते गए और बाद जब स्थिति इस कदर बन गई कि देशभर में लॉकडाउन (Lockdown) लगाया जाएगा तो मैं परेशान हो गया। परेशानी इस बात की कि इस दिल्ली जैसे अनजान शहर में मैं बिना ट्रांसपोर्ट सुविधा के कैसे मैं काम करूंगा, परेशानी इस बात की कि इस महामारी से कैसे निपटूंगा और परेशानी इस बात की कि इस सुनसान सड़कों पर कैसे कोई खबर ढूंढूंगा।
परेशानियों को किया नजरअंदाज लॉकडाउन लगने के कुछ दिनों के भीतर ही मैं अपनी सारी परेशानियों को नजरअंदाज कर फिर अपने काम पर लौटा। शुरु में थोड़ी परेशानी जरूर हुई लेकिन बाद में धीरे-धीरे सारी परेशानियों को भूलता गया और केवल अपने काम पर ध्यान देता रहा। मुझे याद है जब दिल्ली एकदम सुनसान पड़ी थी, चारों तरफ केवल खादी वर्दियों का जमावड़ा रहता था उस समय मैं रोजाना मुखर्जीनगर से केंद्रीय सचिवालय तक पैदल चलता रहा। इन दोनों जगहों की दूरी लगभग 15 किमी थी।
बेहतर बीता साल 2020 हालांकि बाद में मुझे इसकी आदत लग गई, पता ही नहीं चलता था कि कब रुम से निकलते थे और कब खबरों की तालाश पूरी हो जाती थी। इसके बाद धीरे-धीरे जब सरकार की ओर से जरूरी सेवाओं की अनुमति मिल गई तब मुझे भी कभी-कभी लिफ्ट मिल जाती थी। आज साल के अंत होने पर मुझे इस बात की खुशी है कि साल 2020 काम की दृष्टि से मेरे लिए काफी यादगार रहा। जब पूरा देश लॉकडाउन में था उस वक्त मैं दिल्ली की सड़कों पर रिपोर्टिंग कर रहा था।
'आपदा को अवसर में बदला' जब अधिकांश लोग शहर छोड़कर अपने गांव जा रहें थे उस वक्त मैं अपने मां की आंसु और बेचैनी को नजरअंदाज कर राजधानी पहुंचा था। मैंने अपनी आंखों से व्याकुल शहर को सौम्य होते देखा। मैं इस आपदा में अब तक का सबसे बेहतर रिपोर्टिंग सीखा हूँ। मैं अपने भविष्य के लिए इस दरम्यान काफी जोखिम उठाते रहा। कोरोना जैसी महामारी में मैं सिर्फ और सिर्फ भविष्य के लिए लड़ा हूं। बाकी कार्य प्रगति पर है।
- सौरव राज
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख (ब्लाग) में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इसमें सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इसमें दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार पंजाब केसरी समूह के नहीं हैं, तथा पंजाब केसरी समूह उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।
किसान ट्र्र्रैक्टर परेड में हिंसा: कई जगह इंटरनेट सर्विस बंद, अमित...
किसान ट्रैक्टर परेड में हिंसा : सोशल मीडिया में दीप सिद्धू को लेकर...
आचार्य प्रमोद का तंज- लाल किले का इतना “अपमान” तो किसी “कमजोर” PM के...
किसान ट्रैक्टर परेडः सियासी दल बोले-हिंसा के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार
हिंसा से आहत संयुक्त किसान मोर्चा ने तत्काल प्रभाव से किसान ट्रैक्टर...
दिल्ली दंगों में चर्चा में रहे कपिल मिश्रा ने योगेंद्र यादव और राकेश...
किसान ट्रैक्टर परेड : लालकिले में होता नुकसान, उससे पहले सजग हुई ASI
किसानों ने नांगलोई में मचाया बवाल, बैरिकेड्स तोड़े, पुलिस ने दागे...
उग्र प्रदर्शन पर 'सयुंक्त किसान मोर्चा' ने दी सफाई- घटनाओं में...
किसान आंदोलन में भड़की हिंसा के बाद दिल्ली के कई इलाकों में आज...