Tuesday, Sep 26, 2023
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सलमान, क्या आपने उस दर्द को जाना है?

  • Updated on 6/23/2016
  • Author : National Desk

Navodayatimesसलमान खान एक बार फिर विवाद में हैं। यह विवाद इसलिए है कि सलमान तोल मोल के बोल वाली लाइन से भटक गए हैं। अपनी फिल्म सुल्तान के प्रमोशन में जुटे सलमान ने एक इंटरव्यू में शूटिंग के दौरान की गई मेहनत को इस तरह व्यक्त किया कि उन्हें ऐसी महिला के समान लग रहा था, जिसके साथ बलात्कार किया गया हो।

सलमान के बयान पर सोशल मीडिया में काफी विवाद हुआ है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस पर आपत्ति जताई है और सलमान खान के पिता सलीम खान ने अपने बेटे के इस बयान के लिए माफी भी मांगी है। सलमान खान इस तरह के विवादों में फंसते रहे हैं और कई बार अभद्र या आक्रामक अभिव्यक्ति की वजह से उनके झगड़े भी होते रहे हैं।

इसी इंटरव्यू में आगे कहीं वह यह भी कहते हैं कि उनका भाषा ज्ञान बहुत सीमित है और वह कामचलाऊ हिंदी और अंग्रेजी भर जानते हैं। लेकिन समस्या तब होती है, जब वह अपने सीमित भाषा ज्ञान का इस्तेमाल बिना सोचे-समझे करते हैं। जब कोई व्यक्ति किसी संदर्भ में बिना सोचे-समझे बोलता है, तो इसका अर्थ यह है कि वह उस विषय को बहुत महत्वपूर्ण या संवेदनशील नहीं मानता।

अगर सलमान बलात्कार शब्द का इस तरह से हल्के-फुल्के ढंग से इस्तेमाल कर सकते हैं, तो इसका अर्थ यही है कि बलात्कार पीड़ित महिलाओं की पीड़ा और अपमान उनके लिए बहुत गंभीर मामला नहीं है। कुछ फिल्मी सितारों के साथ समस्या यह होती है कि वे कितने ही बड़े हो जाएं, मानसिकता के स्तर पर वे बिगड़ैल किशोरों के स्तर से ऊपर नहीं उठ पाते। खास तौर पर यह समस्या फिल्मी दुनिया के माहौल में पली-बढ़ी संतानों के बारे में ज्यादा होती है, क्योंकि वे मुंबई के एक खास माहौल में पलते-बढ़ते हैं, जिसमें पैसा और ग्लैमर तो होता है, लेकिन वास्तविक जिंदगी से उनका कोई साबका नहीं पड़ता।

Navodayatimesफिल्मी दुनिया में पढ़ाई-लिखाई का भी कोई माहौल नहीं है और मुश्किल से स्कूली पढ़ाई करके सलमान खान जैसे नौजवान बड़े सितारे बन जाते हैं, जहां जिंदगी की वास्तविकता से रूबरू होने की संभावना और भी खत्म हो जाती है। वहां अब भी महिलाओं को यौन आकर्षण और ग्लैमर का पर्याय माना जाता है, इसलिए भी फिल्मी नौजवानों का उन महिलाओं से परिचय नहीं होता, जो पढ़ती हैं, पढ़ाती हैं, दुनिया के तमाम क्षेत्रों में संघर्ष करती हैं, परिवार चलाती हैं, असुरक्षा और अपमान झेलती हैं, फिर भी बहादुरी से अपनी जगह बनाती हैं।

आज भी ज्यादातर फिल्में नायक को केंद्र में रख कर बनती हैं, नायिका उसमें इतनी गौण होती है कि एक की जगह दूसरी अभिनेत्री को रख देने से कोई फर्क नहीं पड़ता।

सिनेमा में नायक और नायिका को मिलने वाले पार्शिमिक में भी कई गुना का फर्क होता है। लोग इस सब के बावजूद परिपक्व व समझदार बन जाते हैं। कुछ समस्या हमारे समाज के साथ भी है, बल्कि वास्तविक समस्या तो समाज के साथ ही है। जिस समाज में प्रेम करने पर पंचायतें मार डालने के हुक्म सुनाती हैं और बलात्कार के मामले में बिरादरी बलात्कारी पुरुष का साथ देती है, उसमें महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता कहां होगी?

इस समाज के लोकप्रिय सितारे की तरह सलमान खान भी इसी समाज की मूल्य-व्यवस्था को प्रतिबिंबित करते हैं। लोकप्रिय कला और कलाकार समाज की प्रचलित मूल्य-व्यवस्था और धारणाओं के अनुरूप ही होते हैं। बावजूद इसके सलमान परिपक्व कलाकार हैं और उनसे उम्मीद की जाती है कि वे ऐसा कुछ न करें या न कहें जिससे किसी की भावना को ठेस पहुंचे।

  • चंदन जायसवाल पंजाब केसरी समूह में डिजिटल एडीटर है

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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख (ब्लाग) में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इसमें सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इसमें दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार पंजाब केसरी समूह के नहीं हैं, तथा पंजाब केसरी समूह उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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