भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले साल ह्यूस्टन में ‘हाऊडी मोदी’ कार्यक्रम के दौरान खूब तालियां बजीं। सामरिक ऊर्जा सांझेदारी भारत-अमरीका संबंधों के विस्तार की आधारशिला के रूप में उभरी है। ऊर्जा सुरक्षा के लिए भारत की खोज ने अमरीकी कम्पनियों के लिए असीम संभावनाएं प्रदान की हैं। यह अमरीका तथा भारत दोनों देशों में आॢथक विकास के इंजन को तेल देने की क्षमता रखती हैं। जैसा कि हम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं सांझेदारी में आॢथक सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने की क्षमता है।
भारत में ऊर्जा का बाजार विशाल और तेजी से आगे की ओर बढ़ रहा है। हमारा देश दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उत्पादक है और 2030 से पहले सबसे बड़ा ऊर्जा बाजार बनने के लिए तैयार है। आई.ई.ए. की विश्व ऊर्जा निवेश 2019 रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख बाजारों में भारत में ऊर्जा निवेश पिछले 3 वर्षों में सबसे अधिक बढ़ा है जिसमें 85 बिलियन डालर का निवेश हुआ है। भारत एक विशाल बाजार प्रदान करता है। अमरीका में ऊर्जा स्रोतों की भरमार है। इसके अलावा यह देश तकनीक जिनमें प्राकृतिक गैस एवं सोलर ऊर्जा शामिल है, में अग्रणी है।
आंकड़े खुद बोलते हैं। पिछले 2 वर्षों में भारत और संयुक्त राज्य अमरीका के बीच हाइड्रोकार्बन व्यापार में 93 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह 2019 और 2020 में 9.2 बिलियन डालर तक पहुंच गया। भारत अब अमरीकी कच्चे तेल के लिए चौथा सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय बाजार है और अमरीकी तरलीकृत प्राकृतिक गैस के लिए पांचवां सबसे बड़ा बाजार है। अमरीका से कच्चे तेल के स्रोत पाने के लिए भारतीय फर्मों ने अनेकों अनुबंधों का समापन किया है। वे अमरीकी ऊर्जा क्षेत्र में अपने निवेश का विस्तार कर रहे हैं। रोजगार और आॢथक अवसर पैदा हो रहे हैं।
हालांकि कच्चे तेल और तरल प्राकृतिक गैस का लेन-देन प्रभावशाली रहा है, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इनमें अमरीका-भारत ऊर्जा सहयोग 4 स्तम्भों में से एक शामिल है। इसके अन्य स्तम्भ बिजली और ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा और सतत् विकास समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। इन सभी को समझना नवाचार है। असैन्य परमाणु ऊर्जा में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय और अमरीकी संस्थाएं मिल कर काम कर रही हैं।
प्राकृतिक गैस क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमरीका के साथ सहयोग भारत के लिए प्राथमिकता है। जैसा कि भारत तेजी से गैस आधारित अर्थव्यवस्था, प्राकृतिक गैस, अवसंरचना, पाइपलाइन नैटवर्क, शहरी गैस वितरण ग्रिड और एल.एन.जी. टर्मिनलों में तेजी से विकसित हो रहा है।
भारत में आने वाले 5 वर्षों में शहरी उपभोक्ता गैस वितरण नैटवर्क सहित तेल और गैस की खोज तथा प्राकृतिक गैस अवसंरचना में 118 बिलियन अमरीकी डालर के निवेश का आधार है। अपने वैश्विक पदचिन्ह के साथ अमरीकी निवेशकों और ऊर्जा कम्पनियों के लिए भारत एक नया फ्रंटियर बन गया है।
यू.एस. इंडिया गैस टास्क फोर्स के तहत कई सांझेदारियां चल रही हैं। ईंधन विनिमय तकनीक पर बलूम एनर्जी और इंडियन ऑयल के बीच सूचना विनिमय पर संबंधित नियामक संस्थाओं के बीच सहयोग और एल.एन.जी. की मांग को प्रोत्साहित करने पर एक्सान मोबिल, चार्ट इंडस्ट्रीज व आई.ओ.सी.एल. के बीच सहयोग शामिल है। एक्सान मोबिल और गेल अब भारी वाहनों में ईंधन के रूप में एल.एल.जी. को अग्रिम करने के लिए भारत की प्राकृतिक गैस पहुंच को बढ़ाने के लिए वाणिज्यिक संवाद में लगे हुए हैं। सूची का विस्तार जारी है। क्योंकि भारत घर पर रणनीतिक पैट्रोलियम भंडार बना रहा है। इसलिए वह अमरीका को कच्चे तेल की भंडारण क्षमता को पट्टे पर देना चाहता है। जुलाई 2020 में इस क्षेत्र में सहयोग हेतु एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
स्वच्छ ऊर्जा के लिए भारत नया घर है। मौजूदा प्रगति से उत्साहित भारत 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा से 175 गीगावाट क्षमता बनाने का लक्ष्य रखे हुए है। भारत तथा अमरीका दोनों देश स्वच्छ, सस्ती और विश्वसनीय ऊर्जा पहुंच के लिए ऊर्जा ग्रिडों और वितरण उपयोगिताओं को मजबूत करने के लिए कार्य कर रहे हैं। ‘उज्ज्वला योजना’ के तहत (80 प्रतिशत से अधिक आॢथक रूप से वंचित परिवारों में उज्ज्वला ङ्क्षहदी शब्द उज्ज्वल या आशावाद को दर्शाता है) पिछले चार वर्षों में सबसिडी वाले रसोई गैस सिलैंडर कनैक्शन प्रदान किए गए हैं। इस कार्यक्रम का सकारात्मक पारिस्थितिकी प्रभाव पड़ा है। होम मेकर्ज को निवारक स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया गया है जिनमें से कई महिलाएं हैं। भारत तथा अमरीका कई अनुसंधान एवं विकास पहलुओं पर सहयोग कर रहे हैं। यह स्मार्ट ग्रिड और ऊर्जा भंडारण पर केंन्द्रित है ताकि बिजली ग्रिड की दक्षता और विश्वसनीयता को बढ़ावा दिया जा सके। सहयोगी अनुसंधान के अन्य क्षेत्रों में कार्बन उत्पादन, उपयोग और भंडारण सहित बिजली उत्पादन और हाइड्रोजन उत्पादन के लिए उन्नत कोयला प्रोद्यौगिकियों को शामिल किया गया है।
अमरीकी विकास वित्त निगम भारत में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए घोषित 600 मिलियन डालर की वित्त पोषण सुविधा क्षेत्र में विकास के लिए बाध्य है। अनिश्चितताओं भरी दुनिया में राष्ट्रों के बीच प्रभावी भागीदारी की कुंजी विश्वसनीयता, विश्वास और दीर्घकालिक प्रतिबद्धता है। भारत अमरीका रणनीतिक ऊर्जा सांझेदारी तीनों पहलुओं को छूती है। महामारी ने केवल हमें पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोगों के माध्यम से आॢथक विकास को गति देने के लिए अधिक केन्द्रित और शीघ्र कार्रवाई की आवश्यकता की याद दिलाई है।
- तरणजीत सिंह संधू (अमरीका में भारत के राजदूत)
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