मुझे यह यकीन नहीं है कि रेलवे (Railway) प्लेटफार्मों पर लगी वजन तोलने वाली मशीनें पहले की तरह हैं। जैसा कि मुझे याद है इस खास मशीन के आगे अपना वजन तोलने के लिए हमेशा ही कतारें लगी रहती थीं। ऐसा क्यों था? मैंने अपने दोस्त की मां से पूछा जिन्होंने रेलवे के बुकिंग काऊंटर पर कार्य किया था। वह हंसकर बोली, ‘‘क्योंकि यह दोषपूर्ण है?’’ इसके बाद उन्होंने मेरे दोस्त और अपने बेटे को पैसे दिए ताकि हम दोनों ही इसके बाद कोक पी सकें। मैंने इतने में पूछा, ‘‘दोषपूर्ण?’’ अगर ऐसा था तो लोगों ने इससे परहेज क्यों नहीं किया? इसके जवाब में वह हंसकर बोली, ‘‘जब आप इस पर अपना वजन तोलते हैं तो यह 5 किलो कम ही बताती है और लोग इसे पसंद करते हैं।’’
प्रात: मुझे इस मशीन की याद आ गई। इसलिए मैंने विश्व के सभी हिस्सों की वजन तोलने वाली मशीनों के बारे में सोचा। विदेश मंत्री ने चिल्लाते हुए कहा, ‘‘उन मशीनों का इस्तेमाल न करें।’’ मैंने पूछा, ‘‘आखिर क्यों?’’ वह बोले, ‘‘क्योंकि उनका कहना है कि हम आंशिक रूप से लोकतांत्रिक हैं? इसलिए दूसरी मशीनों की जगह दोषपूर्ण मशीन का इस्तेमाल करें।’’ मैंने पूछा, ‘‘ऐसा आखिर क्यों है?’’ वह बोले, ‘‘यह कहती है कि हमारा लोकतंत्र विश्व में सबसे बेहतर है और यह एक ढोंग है।’’
हंसी का पात्र बनते जा रहे हमारे कानून
हम सब एक के पीछे एक होकर लाइन में लग गए। मैंने कहा, ‘‘हमें ऐसी मशीनें क्यों भाती हैं?’’ उस दोषपूर्ण मशीन के आगे अपना वजन तोलने के लिए खड़ी एक मोटी महिला से मैंने पूछा, ‘‘क्या आप अपना वास्तविक वजन जांचना नहीं चाहतीं ताकि आप डाइटिंग पर जा सकें यदि आपको वजन कम करने की जरूरत पड़े?’’मोटी महिला अपना वजन कराने के दौरान रुककर बोली, ‘‘वास्तविक वजन?’’ दोषपूर्ण मशीन के दूसरी ओर वजन तोलने वाली मशीन चिल्ला कर बोली, ‘‘यस। मैं आपको आपका वास्तविक वजन बताऊंगी और आज से ही आइसक्रीम, पेस्ट्रियां और गुलाब जामुन खाना बंद करें।’’
मोटी महिला गुस्से में बोली, ‘‘क्या तुम मेरा दिन बर्बाद करना चाहती हो? मैं रोज क्यों अपना वजन जांचू?’’ इतने में दोषपूर्ण मशीन हंसते हुए बोली, ‘‘लोग सच्चाई को जानना पसंद ही नहीं करते। वे तो झूठ के साथ जीना पसंद करते हैं।’’ मैंने गुस्से से कहा, ‘‘तुम्हारे झूठ बताने के कारण उस मोटी महिला को अस्पताल ले जाया जा सकता है और अंत में उसकी मौत तक हो सकती है।’’
‘दल बदलू नेताओं से लोकतंत्र की नींव कमजोर पड़ जाएगी’
दूसरी मशीन बोली, ‘‘ठीक है! मुझे दोष नहीं देना, उस महिला के अन्य कारकों को भी दोषी ठहराना होगा। उसे निरंतर मंदिर या चर्च जाना चाहिए था जिससे वह आंशिक रूप से धार्मिक बनी रहती और उसे रसोई में अपना वक्त नहीं गुजारना चाहिए था और इस बात ने उसे आंशिक तौर पर एक पारिवारिक महिला बना डाला। इसलिए यदि आप मेरी जांच करवाएंगे तो आपको पता चलेगा कि मैं केवल आंशिक रूप से दोषपूर्ण हूं।’’
इस सीन से मेरा बाजू खींचते हुए मेरे दोस्त ने मुझे हटाने की कोशिश की, तब मैं चिल्ला कर बोला, ‘‘मगर ये ‘आंशिक’ लोगों का जीवन खतरे में डालने के लिए काफी है।’’ इतने में मोटी महिला बोली, ‘‘मुझे मूर्ख बनाया गया है।’’ मैंने पूछा क्यों तो वह फुसफुसाई और बोली, ‘‘मेरे पास बैंक में 15 लाख रुपए पड़े हैं और मेरा स्वास्थ्य बेहतर है। मैं दुबली-पतली तथा सुंदर भी हूं।’’ यह सुन दोषपूर्ण मशीन हंस पड़ी और मैं उस दृश्य से गायब हो गया।
-दूर की कौड़ी राबर्ट क्लीमैंट्स
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