अभी पिछले सप्ताह मेरे दफ्तर में चाय देने वाले एचपी ने मुझसे सवाल किया था कि उसके गांव नेपाल से सटे भारतीय इलाकों में 1000 और 500 के नोट लेने में दुकानदार आनाकानी क्यों करते हैं? मैं उसे समझा रहा था कि बाजार में नकली नोट बहुत हैं और खासकर तुम्हारे सीमावर्ती इलाकों में नकली नोट बड़ी संख्या में मिल रहे हैं। इसलिए वहां सामान्य दुकानदारों ने इन बड़े नोटों से दूरी बना ली है।
उसने फिर सवाल किया कि कोई हमारे नोट की भी नकल कर ले और हमारी सरकार उस पर अंकुश नहीं लगा पाए, यह कितना गंभीर खतरा है। एचपी का सवाल वाजिब था लेकिन मेरे पास कोई जवाब नहीं था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 1000 और 500 के नोट को कैंसिल करने के लिए देश के नाम विशेष संदेश दिया तो मुझे सवाल करने वाले चायवाले एचपी की याद आ गई।
इसमें कोई संदेह नहीं कि सामान्य आदमी के लिए भी अगले एक-दो सप्ताह संकट भरे होंगे। बाजार का रुख बिगड़ेगा लेकिन मर्ज इतना गंभीर हो गया था कि यह कड़वी दवाई बहुत जरूरी थी। यह देर से लिया गया लेकिन बहुत सही फैसला है। हमारे देश के बाजार में नकली नोट की एक समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी हो गई थी। इनकी छपाई इतनी हूबहू होती थी कि सामान्य व्यक्ति के लिए तो असली और नकली का फर्क कर पाना भी मुश्किल था।
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यही कारण है कि पिछले दस वर्षों में नोट की पहचान करने वाली मशीनों का व्यापार बड़े पैमाने पर फला फूला। हालांकि इस तरह की मशीनें बड़े प्रतिष्ठान तो रख रहे थे लेकिन सामान्य दुकानदार के लिए यह संभव नहीं था। इसलिए नकली नोटों का बाजार मजबूत होता चला गया। हालांकि सरकार ने एक छोटा सा कदम उठाते हुए 2005 के पहले के हजार और पांच सौ के नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया था लेकिन इससे नकली नोट की समस्या पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा। तो बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी संख्या में नकली नोट आते कहां से थे? इस सवाल का जवाब हमारी खुफिया एजेंसियों ने बहुत पहले पता कर लिया था। नकली नोटों की आपूर्ति पाकिस्तान से हो रही थी। नेपाल के रास्ते बड़े पैमाने पर नकली नोट भारत भेजे जा रहे थे। भारत और नेपाल की सीमा इस कदर खुली है कि उस रास्ते से लाए जाने वाले नकली नोटों की खेप को रोकने की हर संभव कोशिश नाकाम रही।
इन पैसों का दोहरा उपयोग हो रहा था। एक तो इससे हमारी अर्थव्यवस्था चौपट हो रही थी और दूसरा यह कि इस धनराशि का उपयोग आतंकी गतिविधियों में हो रहा था। हाल के दिनों में सरकार के पास इस बात के पक्के सबूत आए कि कश्मीर में आतंकवाद को फैलाने में पाकिस्तान इसी फेक करेंसी का उपयोग कर रहा है। जाहिर है कि इस फेक करेंसी पर काबू पाने के लिए सरकार को कुछ न कुछ कड़े कदम उठाने ही थे लेकिन मोदी सरकार ने जो कदम उठाया है, वह वाकई बड़ी हिम्मत का काम है। इतना कड़वा फैसला लेना किसी भी सरकार के लिए आसान नही होता।
मोदी सरकार के इस कड़वी दवाई से निश्चय ही देश की अर्थव्यवस्था के सुधार में मदद मिलेगी और आतंकवादियों की मदद पर लगाम लगेगा। हां, उनके नोट जरूर खाक के हो गए जिन्होंने इसे अपने गद्दों में छुपा रखा होगा। सामान्य आदमी के लिए यह मुश्किल बहुत बड़ी नहीं है। बैंक आपका नोट बदल देंगे। तात्कालिक मुश्किल को आप देश के लिए अपना योगदान समझिए।
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