Tuesday, Jun 06, 2023
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कड़वी होने को तैयार चीनी, सरकार की चिंता बढ़ी

  • Updated on 3/3/2017

Navodayatimesनई दिल्ली/टीम डिजिटल।  महंगाई से जूझ रहे देशवासियों को एक बार फिर झटका लगने वाला है। इस बात की आशंका है कि इस साल फेस्टिवल सीजन से पहले ही चीनी के भाव बढ़ जाएंगे या यूं कह लें कि ‘चीनी कड़वी’ होने को तैयार है। सूत्रों के अनुसार इसकी रिटेल कीमतें 50 रुपए किलो तक जा सकती हैं।

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इसकी वजह चीनी उत्पादन में भारी कमी और उद्योग तथा सरकार के चीनी उत्पादन अनुमानों का गड़बड़ाना है। देश के दक्षिणी और पश्चिमी इलाकों के गत 2 वर्षों से सूखे की चपेट में रहने से गन्ने की फसल में आई भारी कमी के कारण चालू चीनी सत्र में 28 फरवरी तक कुल 162.45 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया जो गत चीनी सत्र की समान अवधि में उत्पादित 199.43 लाख टन से करीब 37 लाख टन कम है। 

चीनी मिल संगठन इस्मा द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार एक अक्तूबर 2016 से शुरू चालू चीनी सत्र में इस साल 28 फरवरी तक महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों के चीनी उत्पादन में भारी गिरावट आई। इन दो राज्यों के अलावा तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा बिहार का चीनी उत्पादन भी घटा है लेकिन उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के चीनी उत्पादन में बढ़त दर्ज की गई है। 

 इस्मा का कहना है कि गत 28 फरवरी तक पूरे देश की 257 चीनी मिलों में अभी पिराई का काम चल रहा है जबकि गत चीनी सत्र की समान अवधि में 390 चीनी मिलों में काम चल रहा था। चीनी मिलों के काम बंद करने की मुख्य वजह गन्ने की कमी है और मिलों के पहले ही काम बंद करने से चीनी उत्पादन पर असर पड़ा है।दक्षिणी तथा पश्चिमी इलाके गत 2 साल से सूखे को झेल रहे हैं, जिससे गन्ने के उत्पादन को भारी क्षति पहुंची है। सूखे के कारण इन इलाकों में प्रति हैक्टेयर गन्ने का उत्पादन भी घट गया है। 

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200 लाख टन रह सकता है चीनी उत्पादन
इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक चालू पिराई सीजन (अक्तूबर, 2016 से सितम्बर, 2017) में चीनी उत्पादन गिरकर 200 लाख टन तक सिमट सकता है जबकि देश में चालू सीजन में चीनी की खपत करीब 250 लाख टन रहने वाली है। ऐसे में खपत से करीब 50 लाख टन कम उत्पादन होने का अनुमान है।

खत्म करना पड़ सकता है चीनी पर आयात शुल्क
ऐसी स्थिति में सरकार अगर चीनी के शुल्क मुक्त आयात की इजाजत भी देती है तो भी चीनी की एक्स-फैक्टरी कीमत 40 से 42 रुपए के स्तर तक पहुंच जाएगी, जो इस समय करीब 38 रुपए किलो चल रही है। पिछले सीजन (2015-16) में देश में चीनी का उत्पादन 251 लाख टन हुआ था जो खपत के लगभग बराबर था लेकिन 2014-15 में 284.63 लाख टन उत्पादन के चलते चालू सीजन (2016-17) के शुरू में करीब 30 लाख टन का बकाया स्टॉक था। ऐसी स्थिति में चालू सीजन में चीनी की कुल उपलब्धता करीब 230 लाख टन रहेगी, जो खपत से करीब 20 लाख टन कम है। यानी 
देश में चीनी का आयात लगभग तय है और कीमतों पर नियंत्रण के लिए चीनी पर आयात शुल्क समाप्त करना पड़ेगा।

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