नई दिल्ली/टीम डिजिटल। पुलिस कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच टीम को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है, उसने गैंगस्टर एक्ट के मामले में पांच साल से फरार चल रहे 50 हजार रुपए के इनामी बदमाश को गिरफ्तार किया है। पकड़ा गया आरोपी लुटेरा गैंग का सरगना रह चुका है और उसके खिलाफ विभिन्न थानों में लूट आदि के आधा दर्जन से अधिक केस दर्ज हैं। पुलिस का कहना है कि आरोपी गुजरात में छिपा हुआ था। वहां रहकर वह टे्रनों की सफाई करने वाली कंपनी में सुपरवाइजर के रूप में काम कर रहा था।
एडीसीपी क्राइम सचिदानंद ने बताया कि क्राइम ब्रांच टीम ने सूचना के आधार पर गैंगस्टर एक्ट के मामले में वांछित चल रहे आरोपी को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपी की पहचान प्राण सिंह निवासी रामकृष्ण पल्ली अब्दलपुर नॉर्थ पश्चिमी बंगाल के रूप में हुई है। एडीसीपी ने बताया कि प्राण सिंह पूर्व में इंदिरापुरम थानाक्षेत्र में रहकर लूटपाट की घटनाएं करता था। इसके बाद उसने अपना ही गैंग बना लिया था। वह 2018 और 2019 में पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। लेकिन फर्जी जमानतियों के सहारे वह जेल से छूट गया था। वर्ष 2019 में इंदिरापुरम पुलिस ने प्राण सिंह के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का केस दर्ज किया था। जिसका पता लगने पर प्राण यहां से कोलकता भाग गया था। उसके बाद से पुलिस उसे लगातार तलाश कर रही थी। पांच साल से फरार होने के चलते पुलिस ने प्राण पर पहले 25 हजार रुपए और बाद में 50 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया था।
मजदूर बनकर गाजियाबाद आया और गैंगस्टर बनने के बाद भागा एडीसीपी क्राइम सचिदानंद ने बताया कि प्राण सिंह के पिता मूलरूप से वैशाली बिहार के रहने वाले हैं। वह परिवार समेत कोलकता में जाकर बस गए थे। वहां उन्होंने बीमा एजेंट के रूप में काम शुरू किया था, लेकिन घर का खर्च पूरा न होने पर प्राण सिंह पैसा कमाने के मकसद से गाजियाबाद आ गया था। प्राण सिंह इंदिरापुरम क्षेत्र में रहकर मजदूरी करने लगा था। मजदूरी की कमाई से भी जब प्राण सिंह का खर्च नहीं चला तो वह अपराध की दुनिया में उतर गया और अपराधियों के साथ मिलकर लूटपाट की घटनाएं करने लगा। जिसके चलते वर्ष 2018 इंदिरापुरम पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा। पुलिस की मानें तो जेल से आने पर प्राण सिंह ने अपना ही गैंग बना लिया और लूट, स्नैचिंग के अलावा हथियारों के बल पर टैक्सी ड्राइवरों संग वारदात करनी शुरू कर दी। इस मामले में भी पुलिस ने उसे 2019 में दोबारा गिरफ्तार कर जेल भेजा। लेकिन फर्जी जमानतियों के सहारे वह जेल से छूटने में कामयाब हो गया। एडीसीपी ने बताया कि वर्ष 2019 में इंदिरापुरम पुलिस ने जब प्राण सिंह के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का केस दर्ज किया तो वह यहां से भागकर कोलकता में छिप गया।
मुम्बई और गुजरात में ठिकाने बदलता रहा इनामिया बदमाश, ट्रेनों में बिताता था समय क्राइम ब्रांच प्रभारी अब्दुर रहमान सिद्दीकी ने बताया कि पुलिस से बचने के लिए प्राण सिंह पहले कोलकता और फिर मुम्बई भाग गया था। मुम्बई में रहकर उसने कुछ माह समुद्र में नाव चलाई और फिर गुजरात के अंकलेश्वर भाग गया। गुजरात में आरोपी ने रेलवे में सफाई आदि का ठेका लेने वाली ओबीएसएच नामक कंपनी में नौकरी ज्वॉइन कर ली। कंपनी ने उसे ट्रेनों की सफाई करने वाली टीम का सुपरवाइजर बना दिया। जिसके बाद से प्राण सिंह गांधीधाम रेलवे स्टेशन के क्लीनिंग रूम में रह कर हावड़ा जाने वाली ट्रेन में बतौर क्लीनिंग सुपरवाइजर काम कर रहा था।
इनामिया को पकडऩे में पुलिस को करनी पड़ी कड़ी मशक्कत बताया गया है कि 50 हजार रुपए के इनामी बदमाश को पकडऩे में क्राइम ब्रांच टीम को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। क्राइम ब्रांच प्रभारी का कहना है कि प्राण सिंह का मूल पता पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं था। साथ ही जांच में उसके जमानती भी फर्जी पाए गए। ऐसे में प्राण सिंह को खोजना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था। पुलिस ने जेल जाकर प्राण सिंह का रिकॉर्ड खंगाला तो पूर्व में मुलाकात करने आई उसकी मां के बारे में जानकारी हाथ लगी। जांच के क्रम में पुलिस ने प्राण सिंह के मूल गांव वैशाली बिहार से पता किया तो कोलकता में रहने वाले उसके पिता का नंबर हाथ लगा। कड़ी दर कड़ी जोड़ते हुए पुलिस प्राण सिंह तक पहुंच गई और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस का कहना है कि प्राण सिंह सुपरवाइजर की नौकरी करने के दौरान भी अपराध में लिप्त रहा। वह ट्रेन के जरिए कोलकता से अवैध शराब और मादक पदार्थ लेजाकर गुजरात में सप्लाई किया करता था। गुजरात में शराब प्रतिबंधित होने की वजह से उसे शराब की अच्छी कीमत मिल जाती थी।
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