Friday, Mar 31, 2023
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अपने राजनैतिक गुरू की हत्या के आरोप से बरी हो गए बाहुबली डीपी यादव

  • Updated on 11/10/2021

नई दिल्ली, टीम डिजीटल: जब शराब बेचने के धंधे के साथ साथ कारोबारी रंजिश व वर्चस्व की जंग शुरू हुई तो नोएडा के गांव सर्फाबाद निवासी धर्मपाल यादव उर्फ डीपी यादव  का नाम थानों की एफआईआर में  दर्ज होने लगा तो राजनीति का चोला ओढऩे की कवायद शुरू की। जिगरी दोस्त महेन्द्र भाटी का साथ मिला और उन्हें अपना राजनैतिक गुरू बना लिया। गुरू ने शिष्य को राजनीति का कहकहा सिखाया और जनता दल से टिकट दिला कर बुलंदशहर जिले से वर्ष 1991 में विधायक भी बनवा दिया लेकिन राजनीति में निजी महत्वाकांक्षा ने जिगरी दोस्त से  राजनैतिक गुरू बने विधायक महेन्द्र भाटी के बीच खटास पैदा कर दी।

अप्रैल 1992 में दादरी के रेलवे फाटक पर अपनी कार से साथियों के साथ जा रहे महेन्द्र भाटी की एके 47 से बस्ट फायरिंग कर हत्या कर दी गई। विधायक महेन्द्र सिंह भाटी की हत्या का आरोप डीपी यादव पर लगा। राजनैतिक भूचाल आ गया। मामला सीबीआई में गया। सीबीआई ने डीपी यादव समेत आठ के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिए। सीबीआई के मुताबिक, यादव ने विधायक की हत्या के लिए बदमाशों को गाडिय़ां उपलब्ध कराई थीं, जिन्हें घटना के बाद जला दिया गया। कोर्ट में अभियोजन पक्ष की ओर से 41 गवाह पेश किए गए और 28 फरवरी, 2015 को देहरादून स्थित सीबीआई कोर्ट ने डीपी यादव व अन्य आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुना दी।

डीपी यादव देहरादून जेल में बंद थे। डीपी यादव समेत अन्य आरोपियों परनीत भाटी, करन यादव व पाल सिंह उर्फ लक्कड़ पाला ने सीबीआई कोर्ट के फैसले के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में विशेष याचिका दाखिल की। जिस पर सुनवाई करते हुए बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में पूर्व सांसद डीपी यादव की अपील फैसला सुनाया। कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहींं पाते हुए उन्हें रिहा कर दिया है। डीपी यादव अभी अतंरिम जमानत पर भी हैं। कोर्ट ने इस हत्याकांड के अन्य आरोपियों की अपीलों में निर्णय सुरक्षित रखा लिया है। इस तरह अपने राजनैतिक गुरू की हत्या के दाग से बाहुबली डीपी यादव मुक्त हो गए। 

 

यूपी चुनाव से ठीक पहले आरोप मुक्त , पश्चिमी उप्र का राजनीति समीकरण
यूपी चुनाव से चंद माह पहले बाहुबली पूर्व सांसद डीपी यादव का हत्या के आरोप से मुक्त होने से पश्चिमी उप्र का राजनीति समीकरण एक बार फिर बदला बदला दिख सकता है। पश्चिमी उप्र के यादव बहुल्य क्षेत्र में डीपी यादव की अच्छी पैंठ है। देहरादून जेल से पैरोल पर बाहर डीपी यादव बुलंदशरह व बदायूूं में अक्सर पंचायतों व यादव बिरादरी के कार्यक्रमों में दिखाते देते रहे है। एक वक्त था कि डीपी यादव ने मुलायम सिंह यादव सरकार बनवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा कर विधायको की संख्या पूरी की थी। जिसके बाद उनका राजनैतिक रसूक बढ़ता ही चला गया था। बेटे विकास यादव का नीतिश कटारा हत्याकांड में नाम आने और फिर दोषी करार दिए जाने के बाद वह लगतार हाएिशे पर चले गए थे लेकिन पिछले कुछ माह में वह एक बार फिर सक्रिय होते दिखाई दे रहे है। 
 

सर्फाबाद गांव में जिंदाबाद के नारे
पूर्व सांसद डीपी यादव के हत्या आरोप से मुक्त किए जाने की सूचना मिलते ही नोएडा के सर्फाबाद गांव में उनके परिवार के सदस्यों व समर्थकों खासकर युवाओं में खुशी की लहर दौड़ गई। जिंदाबाद के नारे लगने लगे। उनके समर्थकों ने खुशी में मिठाई भी बांट दी। खुद डीपी यादव ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा था। उन्हें न्याय मिला है। वहीं इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए दिवंगत विधायक महेन्द्र सिंह भाटी के भतीजे संजय भाटी ने कहा कि वह हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। 

  
 

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