नई दिल्ली/टीम डिजिटल। एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी पादरी स्टैन स्वामी का एक अस्पताल में निधन हो गया। स्वामी का जिस अस्पताल में उपचार चल रहा था, उसके एक अधिकारी ने बंबई उच्च न्यायालय को सोमवार को इस बारे में बताया।
उपनगरीय बांद्रा में होली फैमिली अस्पताल के निदेशक डॉ इयान डिसूजा ने उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की पीठ को बताया कि 84 वर्षीय स्वामी की सोमवार अपराह्न डेढ़ बजे मृत्यु हो गई।
पिछले महीने, एनआईए ने उच्च न्यायालय के समक्ष हलफनामा दायर कर स्वामी की जमानत याचिका का विरोध किया था। इसने कहा था कि उनकी बीमारी के कोई ठोस सबूत नहीं हैं। इसने आरोप लगाया था कि स्वामी माओवादी थे जिन्होंने देश में अशांति पैदा करने के लिए साजिश रची थी। एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में हुए एक सम्मेलन में भड़काऊ भाषणों से संबंधित है जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि अगले दिन इन भाषणों के कारण कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी।
उच्च न्यायालय द्वारा स्वामी की एक याचिका पर सुनवाई के बाद आदिवासियों के अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता को 29 मई को तलोजा जेल से निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस याचिका में कहा गया था कि वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए और पार्किंसंस बीमारी से जूझ रहे हैं, इसलिए चिकित्सा उपचार की जरूरत है।
डिसूजा ने अदालत को बताया कि रविवार तड़के स्वामी को दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। अधिकारी ने अदालत को बताया, ‘‘उनकी (स्वामी) हालत ठीक नहीं हो पायी और आज दोपहर उनका निधन हो गया।’
उन्होंने बताया कि फेफड़े में संक्रमण, पार्किंसंस रोग और कोविड-19 की जटिलताओं के कारण स्वामी की मौत हो गयी। स्वामी के वकील मिहिर देसाई ने बताया कि तलोजा जेल प्रशासन की ओर से लापरवाही हुई और उन्हें तुरंत चिकित्सा सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने स्वामी को अक्टूबर 2020 में गिरफ्तार किया था और तब से वह जेल में थे।
उन्होंने उच्च न्यायालय से उस वक्त अंतरिम जमानत देने का अनुरोध किया था और कहा था कि अगर चीजें वहां ऐसी ही चलती रहीं तो वह ‘बहुत जल्द मर जाएंगे।’ एल्गार परिषद-माओवादियों से संबंध मामले में अन्य आरोपी - कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े और वर्नोन गोन्जाल्विस की पत्नियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि इस साल मार्च में तेलतुंबड़े द्वारा लिखे लेख के एक पत्रिका में प्रकाशित होने के बाद से तलोजा जेल अधीक्षक मामले में सभी आरोपियों द्वारा लिखे गए या उनको लिखे गए पत्रों को रोके हुए हैं।
सोमवार को, अधिवक्ता देसाई ने कहा कि तलोजा जेल से अधीक्षक के स्थानांतरण की खबर है हालांकि उनके तबादले के कारणों को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। एल्गार-परिषद मामले में, स्वामी और उनके सह-आरोपियों पर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने आरोप लगाया है कि ये सभी प्रतिबंधित माकपा (माओवादी) की तरफ से काम कर रहे अग्रणी संगठन के सदस्य थे।
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