Tuesday, Jun 06, 2023
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City California gang was operating from Noida in the name of drug cartel

नोएडा से आपरेट हो रहा था ड्रग कार्टेल के नाम पर सिटी कैलिफोर्निया गैंग

  • Updated on 11/17/2021

 

नई दिल्ली, टीम डिजीटल:  नोएडा के सेक्टर-62 स्थित कोरथम बिल्डिंग के एक आफिस से ड्रग कार्टेल के नाम पर माइकल के निर्देश पर सिटी कैलिफोर्निया गैंग आपरेट हो रहा था। जो कि कॉल सेंटर के माध्यम से ठग अमरीका में रहने वाले उन नागरिकों को निशाना बनाते थे जो ड्रग का सेवन करते है या फिर कभी न कभी ड्रग नेटवर्क से जुड़े रहे है। उन नागरिकों को अमरीकी सेंट्रल एजेंसी एफबीआई व अन्य एजेंसियों का अधिकारी या कर्मचारी बन कर इंटरनेट कॉल कर जेल भेजने या फिर बैंक खाते का फ्रीज करने की धमकी देकर डरा धमका कर उनसे गूगल गिफ्ट कार्ड के रूप में वसूली कर फिर उसे भारतीय मुद्रा में ट्रांसफर कर लेते थे। इस गिरोह की प्रतिदिन की कमाई लगभग तीन लाख रुपये की थी। इस गैंग के आद सदस्यों को थाना सेक्टर-58 पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गैंग का कर्ताधर्ता व इस ठगी के धंधे का मास्टर माइंड मध्यप्रदेश के पन्ना जिले का रहने वाला विनोद लखेड़ा है जो कि अमरीकी नागरिकों के बीच सिटी कैलिफोर्निया गैंग लीडर माइकल के नाम से जाना जाता है। जो कि फरार है और पुलिस का दावा कर रही है कि जल्द गिरफ्त में होगा। अब तक नोएडा में पिछले चार सालों में लगभग सौ से ज्यादा फर्जी व विदेशियों को ठगने वाले कॉल सेंटरों का भांडाफोड़ हो चुका है और लगभग तीन सौ से ज्यादा लोग गिरफ्तार होकर जेल जा चुके है लेकिन एक तो मामले को छोड़ कर किसी भी कॉल सेंटर का मालिक या संचालक या मास्टर माइंड को पुलिस पकड़ सकी हो या फिर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकी हो। 

नोएडा जोन के एडीसीपी कुंवर रणविजय सिंह ने बताया कि पुलिस की टीम ने सूचना के आधार पर बुधवार तडक़े सेक्टी-62 के आईथम टावर में चल रहे एपी टेक्रोमार्ट प्राइवेट लिमिटेड नामक एक कॉल सेंटर में छापेमारी की तो पता चला कि यहां कॉल सेंटर के नाम पर अमेिरकी नागरिकों से ठगी हो रही है। पुलिस की टीम ने मौके से आठ आरोपियों खरखौंदा मेरठ निवासी सुमित त्यागी, बहादुरगढ़ हापुड़ निवासी अरूण चौहान, निधौलीकला एटा निवासी विशाल तोमर, बरेली निवासी राहत अली, रोहटा मेरठ निवासी केशव त्यागी, पन्ना मध्यप्रदेश निवासी सुनील वर्मा, प्रशान्त लखेड़ा, व सतेन्द्र लखेड़ा को गिरफ्तार कर लिया। मौके से पुलिस की टीम ने 10 कंप्यूटर, एक लैपटॉप, प्रिंटर, 10 हेडफोन, राउटर, हार्ड डिस्क, 99 लेटरपैड समेत अन्य डॉक्यूमेंट बरामद किए गए हैं।

एडीसीपी ने बताया कि ये आरोपी यूएसए के नागरिकों को ड्रग केस में फंसाने के नाम पर धमकाकर गूगल गिफ्ट कार्ड लेकर ऑनलाइन ठगी करते थे। इस गिरोह का सरगना पन्ना, मध्यप्रदेश निवासी विनोद लखेड़ा है जो अभी फरार है। विनोद अपना फर्जी नाम माइकल रखा हुआ था। यह आरोपी बीच बीच में नोएडा में आकर सेटअप देखता था और पन्ना से ही इस ऑफिस को कंट्रोल करता था। एडीसीपी कुंवर रणविजय सिंह ने बताया कि ये आरोपी अमेरिकी वेंडर्स से अमेरिकी लोगों को डेटाबेस प्राप्त करते थे। गिरफ्तार आरोपी अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों को निशाना बनाते थे। इन लोगों ने अमेरिकी नागरिकों के ऐसे लोगों को डेटाबेस प्राप्त किया था जो ड्रग्स लेते थे। इन लोगों से ही आरोपी इंटरनेट कॉलिंग कर उन्हें धमकाते थे और उगाही करते थे।


विज्ञापन के जरिए भर्ती हुए थे  युवक
गिरफ्तारी के बाद पुलिस को युवकों ने बताया कि एपी टेक्रोमार्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने नौकरी के लिए विज्ञापन निकाला था। इस विज्ञापन में टेली कॉलर की जरूरत बताई गई थी। गूगल पर सर्च करने पर कंपनी रजिस्र्ड देख उन्होंने आवेदन किया और फिर विनोद लखेड़ा इंटरव्यू लेकर उन्हें नौकरी पर रखा। नौकरी पर रखने के बाद बताया कि अमेरिकन एजेंसियों के लिए वह काम करता है। इसलिए वह अमेरिकन अंग्रेजी फर्राटे से बोलने की ट्रेंनिंग देने के बाद एक अमेरिकन नाम देकर आईडी देकर टेली कॉलिंग शुरू करा देता था। अच्छी परफारमेंस वाले को इंनसेनटिव भी देता था। गिरफ्तार होगों में कई युवक पहले नोएडा व अन्य जगहों पर टेली कॉलर की जॉब कर चुके है। जो हाई स्कूल पास से लेकर इंटर व बीए पास है। केवल एक आरोपी एमबीए पास है। एडीसीपी कुंवर रणवजिय सिंह के मुताबिक इन युवकों को नौकरी के कुछ दिन बाद ही पता चल गया था कि वह ठगी का धंधा कर रहे है। ऐसे में उन्होंने न तो नौकरी छोड़ी और न ही पुलिस को इसकी जानकारी दी। जिसके चलते यह सभी ठगी के आरोपी है।  
 

रात में चलता था ठगी का धंधा दिन में करते थे पैसो का हिसाब किताब
एडीसीपी ने बताया कि पूछताछ में गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि ये लोग नोएडा में रात में कॉल सेंटर चलाते थे। यूएसए के नागरिकों को इंटरनेट कांलिंग करके खुद को एफबीआई या अन्य अमेरिकी एजेंसी का अधिकारी बताते थे। ये आरोपी उन नागरिकों को कहते थे कि हमें अमेरिकी कानूनी एजेंसियों से आपके बैंक खातों की डिटेल्स मिल गई है। आपके द्वारा मैक्सिको व कोलंबिया में ड्रग का लेनदेन हुआ है। इसके बाद अमेरिकी नागरिक डर जाते थे और मामले को रफा दफा करने को लेकर आरोपी उनसे गूगल गिफ्ट कार्ड ले लेते थे। इन गिफ्ट कार्डों  को पिक्सफुल ऑनलाइन साइट पर जाकर अपना आधार, पैन कार्ड से सत्यापन कराकर भारतीय मुद्रा में ट्रांसफर करा लेते थे। इसके बाद दिन में उन पैसे का हिसाब किताब गिरोह का सरगना करता था।

कंप्यूटर सर्विस के नाम पर भी करते थे ठगी
एसीपी रजनीश वर्मा ने बताया कि ये आरोपी कंप्यूटर सर्विस के नाम पर भी अमेरिकी नागरिकों से ठगी करते थे। ये आरोपी उनके कंप्यूटर में वायरस डालकर सर्विस के नाम पर एनी डेस्क, अल्ट्राव्यूअर जैसे सॉफ्टवेयर इंस्टॉल कर उनके कंप्यूटर को रिमोट पर ले लेते थे। इस सर्विस के नाम पर ये आरोपी यूएसए के वॉलेट अमेजॉन, पे पाल, ई बे से सैकड़ों डॉलर ले लेते थे। फिर इन डॉलर को यूएसए के जेले, पिक्सफुल आदि पोर्टल पर जाकर डॉलर को भारतीय मुद्रा में परिवर्तित करा लेते थे।

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