नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। कांग्रेस विधायक मामन खान को 31 जुलाई को नूंह हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सांप्रदायिक झड़पों के बाद दर्ज की गई प्राथमिकी में फिरोजपुर झिरका से विधायक खान आरोपी थे। उसे कल देर रात गिरफ्तार कर लिया गया।
फिरोजपुर झिरका के पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) और मामले की जांच कर रही एसआईटी (विशेष जांच दल) के प्रमुख सतीश कुमार ने गिरफ्तारी की पुष्टि की। यह पूछे जाने पर कि क्या विधायक को गिरफ्तार किया गया है, तो उन्होंने कहा, ‘हां।' नूंह से वरिष्ठ कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने भी खान की गिरफ्तारी की पुष्टि की। हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के उपनेता ने कहा, ‘पुलिस ने हमें जानकारी दी है कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।'
सूत्रों ने बताया कि नूंह में उस अदालत परिसर में और उसके आस पास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है जहां खान को दिन में पुलिस द्वारा पेश किए जाने की संभावना है। हरियाणा सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय को बताया था कि नूंह हिंसा के बाद दर्ज प्राथमिकी में खान को आरोपी बनाया गया था, साथ ही दावा किया गया था कि पुलिस के पास आरोपों को साबित करने के लिए फोन कॉल रिकॉर्ड और अन्य सबूत हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बुधवार को इसी मामले में चंडीगढ़ में संवाददाता सम्मेलन किया था। उन्होंने कहा था, ‘अगर जांच के दौरान खान की संलिप्तता का पता चला तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।'
हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल ने उच्च न्यायालय को बताया कि खान के खिलाफ सबूतों की जांच के बाद उन्हें चार सितंबर को आरोपी बनाया गया था। बाद में उन्होंने बृहस्पतिवार को संवाददाताओं से कहा कि खान के खिलाफ ‘‘पर्याप्त सबूत'' हैं। 31 जुलाई को नूंह में विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व वाले जलाभिषेक यात्रा पर भीड़ ने हमला किया था। हमले के दौरान छह लोगों की मौत हो गई थी, इनमें से अधिकतर पर जलाभिषेक यात्रा के दौरान हमला हुआ था। गुरुग्राम से सटे एक मस्जिद पर हुए हमले में एक मौलवी की मौत हो गई थी।
फिरोजपुर झिरका के विधायक ने मंगलवार को अदालत का रुख कर गिरफ्तारी से सुरक्षा की मांग की थी और दावा किया था कि उन्हें इस मामले में फंसाया जा रहा है जबकि हिंसा भड़कने के दिन वह नूंह में नहीं थे। विधायक के वकील ने सुनवाई के बाद संवाददाताओं से कहा कि खान को अभी पता चला है कि उनका नाम प्राथमिकी में है। वकील ने बताया कि अदालत ने कहा कि खान ‘कानून के अनुसार गिरफ्तारी से सुरक्षा के लिए' उचित उपाय तलाश कर सकते हैं। इससे पहले, विधायक को नूंह पुलिस ने दो बार जांच में शामिल होने के लिए कहा था, लेकिन वह उसके सामने पेश नहीं हुए थे।
विधायक ने यह कहकर 31 अगस्त तक पुलिस समन का पालन नहीं किया कि उन्हें वायरल बुखार है। हिंसा के बाद एक अगस्त को नूंह के एक थाने में दर्ज इस प्राथमिकी सहित कई अन्य प्राथमिकी दर्ज की गई। खान को एक अगस्त की प्राथमिकी के संबंध में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160 (पुलिस के सामने उनकी उपस्थिति की आवश्यकता) के तहत नोटिस दिया गया था। अपनी याचिका में खान ने कहा कि वह 26 जुलाई से एक अगस्त के बीच अपने गुरुग्राम स्थित आवास पर थे और उन जगहों पर नहीं गए जहां हिंसा हुई थी।
लेकिन सरकार के वकील ने सुनवाई के बाद कहा था कि सबूत खान के दावे के खिलाफ हैं। सभरवाल ने कहा था कि खान के कॉल डिटेल रिकॉर्ड, उनके फोन टावर लोकेशन, उनके निजी सुरक्षा अधिकारी के बयान और अन्य सबूत विधायक के दावे को गलत साबित करते हैं।
सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि सह- आरोपी तौफीक ने भी खान का नाम लिया है। तौफीक को नौ सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। वकील ने कहा कि खान और तौफीक के फोन कॉल विवरण और टावर स्थानों की जांच की गई। उन्होंने कहा कि यह पाया गया कि 31 जुलाई की हिंसा से पहले 29 और 30 जुलाई को उनके बीच फोन पर बातचीत हुई थी।
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