नई दिल्ली/ संजीव यादव। कृषि बिल के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन की आड़ में खालिस्तानी संगठन व उसके सक्रिय सदस्य सोशल मीडिया के जरिए माहौल को खराब करने की साजिशें रच रहे हैं। मौजूदा समय में सोशल मीडिया पर कई फर्जी पोस्ट और फोटो के जरिए किसान आंदोलन को ‘खालिस्तान’ समर्थक बताकर पोस्ट को ट्रोल भी किया जा रहा है। साथ ही बताया जा रहा है कि किस तरह पंजाब के किसानों के वे हमदर्द हैं।
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वीरवार के दिन भी विदेशों में कई जगहों पर प्रो-खालिस्तान संगठनों ने भारतीय दूतावासों पर प्रदर्शन किए और बताया कि किसान के वे हितैषी हैं, जिसके चलते खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। एजेंसियों का तर्क है कि किसान आंदोलन में वे अपने संगठन के लोगों के जरिए कभी भी किसानों को उकसा सकते हैं और शांत माहौल को खराब कर सकते हैं। ऐसे में ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। हालांकि एजेंसियों ने साफ कहा है कि किसान आंदोलन में अभी तक खालिस्तान के समर्थकों और उससे जुड़ा कोई भी लिंक नहीं मिला है।
सोशल मीडिया पर मौजूदा समय में किसान आंदोलन
किसान आंदोलन को धार देने के लिए कई ट्विटर अकाउंट और फेसबुक पर ग्रुप भी बनाए गए हैं जो बताते हैं कि वे किस तरह से खालिस्तानी हैं और सरकार किसानों का किस तरह दमन कर रही है और ऐसे में खालिस्तानी समर्थक उनके साथ किस तरह खड़े हैं। एजेंसियां सकते में इसलिए हैं क्योंकि मौजूदा समय में इंटरनेट पर किसान शब्द के साथ सीधे-सीधे खालिस्तान और फ्री खालिस्तान शब्द अधिकांश जगहों पर जुड़ जाता है और बेहद ट्रोल में है।
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नतीजतन भारत इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने आईटी अधिनियम की धारा 69ए के तहत 12 वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए हैं। इसके अलावा हैशटैग और साइटों पर एसएफजे शब्द जहां भी ट्रोल हो रहा है, उस पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। बता दें कि इससे पहले भी पंजाब में खालिस्तान के संबंध में मिले इनपुट के बाद ‘एसएफजे’ से संबद्ध 40 वेबसाइटों पर जुलाई में प्रतिबंध लगाया जा चुका है।
टारगेट पर संघ के नेता
खुफिया एजेंसी ने पंजाब के बरनाला में प्रदर्शन के दौरान लगे खालिस्तानी नारे और उसके बाद ‘इंदिरा ठोक दी, मोदी क्या चीज है...’ जैसी बातों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए पंजाब खुफिया इकाई से रिपोर्ट भी मांगी है। एजेंसियों द्वारा इस पर गहराई से जांच की जा रही है।
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दिल्ली में पकड़े गए दो खालिस्तानी आतंकी गुरजीत सिंह और सुखदीप सिंह को संघ नेताओं की हत्या का जिम्मा सौंपा गया था, जिसके बाद एसपीजी व गृह मंत्रालय ने एक बार फिर सभी नेताओं की सुरक्षा की समीक्षा की है।
हालांकि इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ऐसे इनपुट अक्सर आते हैं, जिस पर एजेंसी लगातार काम करती हैं लेकिन ये बात जरूर है कि मौजूदा समय में ‘खालिस्तान’ शब्द ट्रोल हो रहा है, उसकी जांच करना हमारा मुख्य मकसद है।
तस्वीरें बढ़ा रहीं तनाव
हाल ही में ट्विटर पर एक फोटो बेहद ट्रोल में है। इसमें एक निहंग को किसानों के प्रदर्शन में खालिस्तान का बताया जा रहा है, लेकिन जांच में यह बात साफ हो गई है कि वायरल और ट्रोल हो रही फोटो जून 2020 के एक आर्टिकल में थी और 6 माह पहले पोस्ट में थी।
लेकिन अब यह ट्रोल हो रही है, जबकि हाल में चल रहे किसानों के प्रदर्शन से इसका कोई संबंध नहीं है। एजेंसियों की जांच के तहत ये फोटो 2013 में खींची गई थी जब 7 साल पहले ऑपरेशन ब्लू स्टार के 29 वर्ष पूरे होने पर अमृतसर स्थित अकाल तख्त में कुछ सिख खालिस्तान के समर्थन में इकट्ठे हुए थे। इसके अलावा कई पोस्ट और वायरल वीडियो भी टेंशन को बढ़ा रहे हैं, जिस पर सरकार बेहद सतर्क है।
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