Saturday, Jun 10, 2023
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टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस की FIR में लगे हैं क्या आरोप? पढ़ें मुख्य बिंदु

  • Updated on 2/17/2021

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। किसान आंदोलन (Farmers Protest) से संबंधित टूलकिट (Toolkit) केस इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। मामले में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि (Disha Ravi) की गिरफ्तारी के बाद से राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज हो गई है। विपक्षी नेता और वाम दल दिशा की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं। दिल्ली महिला आयोग ने भी दिशा की गिरफ्तारी पर पुलिस को नोटिस भेज जवाब मांगा है। वहीं दिशा के सहयोगी शांतनु और निकिता जैकब की तलाश में छापेमारी जारी है।

दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस से सोशल मीडिया पर एक ‘‘टूलकिट’’ साझा करने में संलिप्तता के लिए गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को प्राथमिकी की एक प्रति और अन्य दस्तावेज मुहैया कराने तथा अपने परिवार से उन्हें बातचीत करने की अनुमति दे दी है।

आइए जानते है पुलिस की एफआईआर के मुख्य बिंदु क्या हैं-

  • पुलिस ने अपनी एफआईआर में प्रतिबंधित संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' पर आरोप लगाया है कि इस संगठन ने गणतंत्र दिवस के राष्ट्रीय समारोह में बाधा डालने के लिए मुहिम छेड़ी थी। इसके लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया गया। 
  • भारत में लोगों को उकसाने के लिए और विदेशों में भारत की छवि खराब करने के लिए फेक न्यूज का सहारा लिया गया। विभिन्न जाति, धर्म के लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने का काम किया गया। 
  • 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली की आड़ में हिंसा को अंजाम दिया गया, जिसमें पुलिस के 500 से ज्यादा कर्मी घायल हुए। 
  • गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद फेक न्यूज फैलाई गई कि दिल्ली पुलिस के 200 जवानों ने रिजाइन कर दिया है। 
  • भारत के आंतरिक माहौल को खराब करने के लिए फेक न्यूज और अन्य प्रकार के कई हथकंडे अपनाए गए। 
  • पुलिस की एफआईआर में दावा किया गया है कि गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद 4-5 फरवरी को ट्विटर पर ट्वीट्स की बाढ़ लाने का प्लान था। लेकिन 4 फरवरी को ग्रेटा थनबर्ग ने गलती से टूलकिट पोस्ट कर दी। जिसके बाद इस पूरी साजिश पर से पर्दा उठ गया। 
  • 13-14 फरवरी को लोगों सड़कों पर उतरना था और कहीं न कहीं विरोध प्रदर्शन की बात भी लिखी गई थी। 
  • इस टूलकिट में सामाजिक, सांस्कृतिक और क्षेत्र के खिलाफ लड़ाई छेड़ने की बात भी लिखी थी। 
  • वहीं पुलिस का दावा है कि टूलकिट में सिख फॉर जस्टिस की ओर से माहौल बिगाड़ने वालों को आर्थिक मदद देने की बात भी लिखी गई थी।  
  • पुलिस का दावा है कि किसान आंदोलन की आड़ में खालिस्तानी मंसूबों को सफल बनाने और भारत के खिलाफ आर्थिक युद्ध छेड़ने की साजिश की गई है।  

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