Wednesday, May 31, 2023
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धर्म संसद मामला: कोर्ट ने भड़काऊ भाषण के आरोपी जितेंद्र त्यागी को समर्पण करने का दिया निर्देश  

  • Updated on 8/29/2022


नई दिल्ली/टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने मुसलमानों के खिलाफ कथित भड़काऊ भाषण से जुड़े हरिद्वार धर्म संसद मामले के आरोपी जितेंद्र नारायण त्यागी को सोमवार को दो सितंबर तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। पहले वसीम रिजवी के नाम से जाने जाने वाले त्यागी फिलहाल चिकित्सकीय आधार पर जमानत पर हैं। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने चिकित्सकीय आधार पर पहले दी गई जमानत की अवधि बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि वह त्यागी द्वारा दायर नियमित जमानत याचिका पर नौ सितंबर को विचार करेगी।    

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  पीठ ने त्यागी के वकील से कहा, 'उन्हें राहत देने का कोई कारण नहीं है। उनके खिलाफ कई मामले लंबित हैं। उन्हें आत्मसमर्पण करने के लिए कहें।' शीर्ष अदालत ने 17 मई को त्यागी को चिकित्सकीय आधार पर तीन महीने की अंतरिम जमानत दी थी और उन्हें यह हलफनामा देने का निर्देश दिया था कि वह कोई घृणा भाषण नहीं देंगे तथा न ही इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल या सोशल मीडिया पर कोई बयान देंगे। इस साल मार्च में उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद त्यागी ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।     

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ज्वालापुर-हरिद्वार निवासी नदीम अली की शिकायत पर इस साल दो जनवरी को हरिद्वार कोतवाली में त्यागी और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि पिछले साल 17 से 19 दिसंबर तक ङ्क्षहदू संतों द्वारा हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में शामिल लोगों ने मुसलमानों के खिलाफ युद्ध छेडऩे जैसी बातें कहीं। अली ने अपनी शिकायत में कहा था कि कुरान और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ भी आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया तथा ये भड़काऊ बयान बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गए।

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    उन्होंने आरोप लगाया था कि ये वीडियो त्यागी, यति नरसिंहानंद और अन्य लोगों द्वारा प्रसारित किए गए। अली की शिकायत पर नरसिंहानंद गिरि, सागर सिंधु महाराज, धर्मदास महाराज, परमानंद महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा, स्वामी आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण के साथ ही स्वामी प्रबोधानंद गिरि और जितेंद्र नारायण पर घृणा भाषण देने के आरोप में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

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