नई दिल्ली/नवोदय टाइम्स ब्यूरो। हाथरस गैंगरेप मामले में सरकारी तंत्र की अंधेरगर्दी फिर देखने को मिली। पहले पीड़िता की मौत के बाद पुलिस ने जहां अस्पताल में परिजनों को युवती का अंतिम बार मुंह तक नहीं देखने दिया वहीं आधी रात को जबरन उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया। परिजनों को मुखाग्नि का भी मौका नहीं दिया। इस घटना को लेकर विपक्ष आक्रामक है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग कर रहा है। बुधवार को कांग्रेस ने दिल्ली समेत पूरे उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन भी किया।
सीएम ने मुआवजा बढ़ा कर किया 25 लाख राहतभरी बात यह है कि मुख्यमंत्री योगी ने मृतका के पिता से बात की और 25 लाख रुपये मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और आवास देने की घोषणा की। हाथरस गैंगरेप पीड़िता की मंगलवार को सफदरजंग अस्पताल में मौत के बाद युवती के शव को लेकर गायब हुई उत्तर प्रदेश पुलिस आधी रात को उसके गांव पहुंची। मृतक के परिजनों ने शव लेना चाहा तो पुलिस ने उन्हें जबरन हटा कर अपने कब्जे में ले लिया। मृतका के पिता और अन्य परिवारीजन एंबुलेंस के आगे लेट गए, लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां से हटा कर कमरों में बंद कर दिया और गांव वालों को भी खदेड़ कर तितर-बितर कर दिया। इसके बाद श्मशान घाट लेकर जाकर शव को रात 2.30 बजे जला दिया। परिजनों को मुखाग्नि का भी मौका नहीं दिया। हालांकि जिला अधिकारी और आला पुलिस अधिकारी यही दावा कर रहे हैं कि शव नष्ट होने लगा था, जिससे परिजनों की सहमति लेकर युवती का अंतिम संस्कार कराया गया। लेकिन परिजन इससे इंकार कर रहे हैं।
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इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दखल दिया है। उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से बात की। सीएम योगी ने खुद ट्वीट कर यह जानकारी सार्वजनिक की और बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय एसआईटी बनाने संबंधी जानकारी दी। यह एसआईटी सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौपेगी। बाद में मुख्यमंत्री योगी ने मृतका के पिता से वीडियो कांफ्रेंसिंग से बात की। शीघ्र न्याय दिलाने का आश्वासन देते हुए उन्होंने बताया कि एसआईटी घटना के सभी बिंदुओं का जांच कर जल्द अपनी रिपोर्ट देगी और आरोपियों के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलेगा। मुख्यमंत्री ने मुआवजा राशि बढ़ा कर 25 लाख रुपये करने, कनिष्ठ सहायक के पद पर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने और सूडा योजना के तहत हाथरस शहर में आवास देने की बात कही।
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हाथरस गैंगरेप मामले में शुरू से ही उत्तर प्रदेश पुलिस और राज्य के प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही की बात सामने आ रही है। पुलिस अब तक इस बात पर अड़ी है कि युवती से बलात्कार नहीं हुआ, न ही उसकी जीभ काटी गई और न ही रीढ़ की हड्डी टूटी। जबकि परिजन लगातार कहते रहे कि गांव के चार युवकों ने उसके साथ गैंगरेप किया। वह जबान न खोल सके, इसलिए उसकी जीभ काट दी। उसने प्रतिरोध किया तो मार-मार कर उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी थी। पुलिस के साथ-साथ मुख्यमंत्री कार्यालय तक इस घटना में परिजनों की बात को झूठलाते रहे। इस दौरान पीड़िता की तबीयत बिगड़ती गई, जिसके चलते सोमवार को उसे सफदरजंग अस्पताल शिफ्ट किया गया। मंगलवार को उसकी मौत हो गई। इसके बाद से सियासत भी गरमाई हुई है। ---विपक्ष हुआ आक्रामक, योगी-स्मृति का इस्तीफा मांगा रात के अंधेरे में उत्तर प्रदेश पुलिस की इस अंधेरगर्दी से न केवल मृतका के परिजन और गांव वाले, बल्कि पूरे प्रदेश में आक्रोश है। विपक्षी दल भी योगी सरकार पर हमलावर हैं। कांग्रेस इस घटना को लेकर सड़क पर उतर पड़ी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग की। पार्टी ने इस मामले में कथित तौर पर खामोश रहने पर अमेठी से सांसद और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर भी निशाना साधते हुए लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफे की मांग की।
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बुधवार को पूरे दिन प्रदेशभर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। जगह-जगह गिरफ्तारियां दीं। लखनऊ में प्रदर्शनकारियों को काबू में करने के लिए दो बार पुलिस को लाठियां भांजनी पड़ी। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू को पुलिस ने गिरफ्तार कर गाड़ी में साथ ले गई। विधानसभा के सामने युवा कांग्रेस के प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने जमकर लाठियां चलाई और प्रदेश अध्यक्ष कनिष्क पांडेय, अवनेश शुक्ला, लालू कनौजिया, राहुल अवस्थी, अजीत प्रताप सिंह, इमरान खर्शीद, सुधांशु बाजपेयी, मोहित पाल, आशीष मिश्रा समेत 13 नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। वाराणसी में प्रदर्शनकारी कांग्रेसियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय का घेराव किया।
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उन्हें तितर-बितर करने को पुलिस को लाठियां चलानी पड़ीं। आजमगढ़, भदोही, चंदौली, सोनभद्र, जालौन, प्रतापगढ़, बदायूं में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकाला। चित्रकूट में कांग्रेस प्रदेश सचिव अखिलेश शुक्ला जिला अध्यक्ष कुशल पटेल की प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तारी की गई। प्रतापगढ़ में गिरफ्तारी हुई। बदायूं हाईवे पर कांग्रेस महासचिव ब्रह्मस्वरूप सागर, असलम चौधरी समेत कई नेता गिरफ्तार कर लिए गए। ये सभी हाथरस जाने की कोशिश कर रहे थे। हाथरस में पीड़िता के गांव के बाहर भी कांग्रेस कार्यकर्ता परिवार के लिए न्याय की गुहार लगाते सड़क पर दिखे।
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वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर कहा कि यूपी पुलिस द्वारा हाथरस की गैंगरेप दलित पीड़िता के शव को उसके परिवार को न सौंपकर उनकी मर्जी के बिना व उनकी गैर-मौजूदगी में ही कल आधी रात को अंतिम संस्कार कर देना लोगों में काफी संदेह व आक्रोश पैदा करता है। बीएसपी पुलिस के ऐसे गलत रवैये की कड़ी निंदा करती है। उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट स्वयं से इस मामले का संज्ञान ले और उचित कार्रवाई करे तो बेहतर होगा। वरना इस जघन्य मामले में यूपी सरकार व पुलिस के रवैये से ऐसा कतई नहीं लगता कि पीड़िता की मौत के बाद भी उसके परिवार को न्याय व दोषियों को कड़ी सजा मिल पाएगी। ---प्रियंका ने पूछा, कैसे मुख्यमंत्री हैं आप, 14 दिन कहां थे? हाथरस गैंगरेप पीड़िता की मौत को लेकर उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर ताबतोड़ सवाल दागते हुए इस्तीफे की मांग की है। उन्होंने पूछा कि आप कैसे मुख्यमंत्री हैं, 14 दिनों से हरकत में क्यों नहीं आए और किसके आदेश पर परिजनों से पीड़िता का शव छीन कर रात के ढाई बजे जला दिया गया?
एक मिनट 29 सेकंड के एक वीडियो में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए प्रियंका ने कहा कि हाथरस की घटना 14 तारीख की है, मुख्यमंत्री का आज बयान आया। बयान में कहते हैं कि प्रधानमंत्री जी का फोन आया और मैंने एसआईटी बनाया है। तो क्या उन्हें प्रधानमंत्री के फोन का इंतजार था? युवती का इलाज नहीं कराया गया। पीड़िता को किसी अच्छे अस्पताल में नहीं ले जाया गया। परसों रात को दिल्ली लाए। उसके परिवार के साथ कैसा व्यवहार किया। अपनी बेटी की लाश आखिरी बार अपने घर नहीं ले जा पाए।
उसके पिता मुखाग्नि तक नहीं दे पाए। पीड़िता के परिवार को कमरे में बंद कर दिया गया। इस तरह का व्यवहार अमानवीयता का सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने सीएम योगी को इंगित करते हुए कहा कि आपकी सरकार कितनी अमानवीय है। क्या-क्या हो रहा है उत्तर प्रदेश में और आप जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं। आज भी यह बयान दे रहे हैं कि प्रधानमंत्री जी के फोन करने के बाद एसआईटी जारी की है। पहले क्यों नहीं किया गया? 14 तारीख को क्यों नहीं किया गया? क्या आपके प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है?
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