नई दिल्ली/मुकेश ठाकुर। राजधानी की उपनगरी द्वारका जिला की पुलिस के नए कप्तान (डीसीपी) के पदभार संभालने के साथ ही जहां एक ओर अपराध नियंत्रण को लेकर कवायद शुरू हो गई है। वहीं इस कवायद में कोताही बरतते हुए पाए जाने वालों के खिलाफ भी नई तरह की कार्रवाई का सिलसिला शुरू हो गया है। कभी किसी एसएचओ के थाने में आने पर रोक लग जाती है तो कभी किसी एसएचओ के रेस्ट रूम में ताला लग जा रहा है। यही नहीं इस दौरान इंसपेस्टर से एएसआई रैंक के करीब आधा दर्जन कर्मियों पर सीधे रूप से कार्रवाई हो चुकी है। उतने ही इंस्पेक्टर रैंक के कर्मियों, जिसमें कुछ एसएचओ भी हैं को सो कॉज नोटिस जारी किया गया है।
एक दिन पहले ही जिले के एक थाने के एसएचओ के खिलाफ मिल रही शिकायतों के बाद, डीसीपी ने खुद से अपने स्तर से जांच कराई। इस जांच में मिली शिकायतें सही मिली। इसमें पता चला कि एसएचओ साहब थाने में होते हुए भी अपने स्टाफ को ताकीद कर रखा है कि कोई अनचाहा आए तो उसे यह कह देना है कि वह ऑफिस में नहीं है। डीसीपी द्वारा करवाए गए शिकायत की जांच में पता चला कि एसएचओ साहब अपने केबिन में बने रेस्ट रूम में ही होते हैं। नाराज डीसीपी ने तत्काल प्रभाव से उनके रेस्ट रूम में ताला लगवा दिया और एसएचओ को प्राप्त सरकारी गाड़ी की चाबी उनसे ले ली गई। वैसे जब खबर बाहर आई तो सभी ने चुप्पी साध ली।
ऐसा ही मामला गत दिनों द्वारका के तीन इलाको में हुई लूटपाट की वारदातों के बाद नाराज डीसीपी साहब ने तीन थानों के एसएचओ को दो दिन तक थाना में जाने रोक लगा दी थी। इसका सख्ती से पालन भी करवाया गया था। इसके साथ ही थाना इलाके में होने वाले अपराधों को लेकर किए जाने वाले एफआईआर को लेकर भी पक्षपात व अन्य शिकायतें मिलने के बाद आदेश जारी किया गया था कि एसएचओ जिला मुख्यालय से मिले निर्देश के अनुसार ही प्रमुख घटनाओं में एफआईआर दर्ज करेंगे।
वहीं गत दिनों सात अक्तूबर की शाम ककरौला में हुई फायरिंग के बाद देर रात कंट्रोल रूम द्वारा मौके पर उपस्थित अधिकारियों के बारे में जानकारी मांगी गई थी। इस घटना में जिसे के एक एसीपी के ऑपरेटर ने यह जवाब दे दिया कि एसीपी साहब दवा खाकर सोए हुए हैं। इसके कारण वह मौके पर नहीं पहुंच पाए हैं। इसकी जानकारी मिलते ही उक्त एसीपी के ऑपरेटर और उनके चालक को लाइन क्लोज कर दिया गया। वहीं सरकारी गाड़ी की चाबी ले ली गई, जो काफी दिनों तक मुख्यालय में ही रही।
एक अन्य मामले में 8 अक्तूबर को डीसीपी कार्यालय में पदस्थापित एक एएसआई बाबू ने बिना डीसीपी से सहमति लिए 10 ऐसे पुलिस कर्मी जो अलग-अलग आईपीएस के साथ प्रतिनियुक्त हैं, उन्हें जिला में वापस ज्वॉइन करने व नहीं करने पर वेतन रोकने के आदेश जारी कर दिया था। इन आईपीएस अधिकारियों में एक रिटायर हो चुके दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी और वर्तमान के तीन स्पेशल सीपी भी थे। जब इस आदेश ने तूल पकड़ा तो आनन फानन में डीसीपी ने उक्त बाबू पर कार्रवाई करते हुए उनका स्थानांतरण कर उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए।
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