नई दिल्ली, टीम डिजीटल/ दिनेश शर्मा/ इन दिनों जियो सिनेमा पर वेब सिरीज इंसपेक्टर अविनाश चर्चा में है। जो कि यूपी एसटीएफ के फाउंडर मैंबर रहे इंसपेक्टर अविनाश मिश्रा के पुलिस सेवा काल पर आधारित है। इस फिल्म में उनके बदमाशों के बीच हुई मुठभेड़ व जांबाजी के किस्से है। पुलिस विभाग में रहते हुए आंतकियों के साथ साथ श्रीप्रकाश जैसे लगभग 150 दुर्दांत अपराधियों को मुठभेड़ में अपनी टीम के साथ मिल कर ढेर करने वाले पुलिस सेवा से डिप्टी एसपी के पद से रिटायर हो गए। बदमाशों व आंतकवादियों को ठिकाने लगाने के चलते उनकी जान का खतरा देखते हुए कभी वाई श्रेणी की सुरक्षा की सुरक्षा में रहने वाले अविनाश मिश्रा इन दिनों अकेले ही घर से बाहर निकलते है। सरकार ने अचानक बिना कोई कारण बताएं उनकी सुरक्षा हटा ली। वो भी ऐसे वक्त में जब बदमाशों के परिवार के लोगो, आईएस जैसे आंतकी संगठनों के निशाने पर वह है। सुरक्षा हटाए जाने का ठोस कारण न तो यूपी की वर्तमान सरकार उन्हें बता रही है और न ही उनके साथ रह चुके पुलिस अधिकारी जो इन दिनों शासन स्तर पर निर्णायक भूमिका में है। नवोदय टाइम्स से बातचीत के दौरान रिटायर्ड डिप्टी एसपी अविनाश मिश्रा के मन की यह टीस निकल कर बाहर आई। उनके मुताबिक पूरी ङ्क्षजदगी समाज को अपराध मुक्त और भय मुक्त करने के लिए सरकार की मंशा के अनुरूप ही काम किया लेकिन अब उसी सरकार ने उन्हें इस समाज में अकेले छोड़ दिया है।
नाम उभरा तो दोस्तों- विरोधियों की संख्या भी बढ़ी और जान का खतरा भी नौकरी के दौरान जब उनका नाम पुलिस अधिकारियों से लेकर बदमाशों की जुबान पर आए दिन आने लगा तो उनके विरोधियों की संख्या विभाग से लेकर बाहर तक बढऩे लगी। किसी के लिए गुरू जी हो गए तो किसी की आंखों की किरकिरी। चाहे एसटीएफ हो या फिर एटीएस में उनकी तैनाती रही हो वह कभी सौंपे गए कामों से पीछे नहीं हटे। बेस्ट से बेस्ट रिजल्ट देने की कोशिश रही और कामयाब भी रहे है। सरकार बदली और शासन सत्ता में अधिकारियों के रवैये भी बदलते रहे लेकिन उन्होंने इसकी परवाह कभी नहीं की। इंसपेक्टर से डिप्टी एसपी का प्रमोशन मिलने में कई रोड़े भी अटकाएं गए। हाईकोर्ट ही उन्हें डिप्टी एसपी के पद पर प्रमोशन मिला। वर्ष 2009 में उनकी सुरक्षा वाई श्रेणी की गई लेकिन वर्ष 2014 में उसे कम करके एक्स श्रेणी की कर दी गई। उस वक्त वह एटीएस में तैनात थे। उस दौरान एटीएस में तैनात रहे अधिकारियों ने कई बार शासन को सुरक्षा बढ़ाये जाने का पत्र भी लिखा। जिसमें आईपीएस राजीव सब्बरवाल और असीम अरूण (वर्तमान में प्रदेश सरकार में मंत्री) जैसे अधिकारी थे। जिन्होंने कई बार सुरक्षा को लेकर पत्र लिखा था। इसके बाद वर्ष 2017 में अचानक उनकी पूरी सुरक्षा की हटा ली गई। जब इस बारे में अधिकारियों से कारण पूछा तो वह कोई ठोस उत्तर नहीं दे सके। एसटीएफ तैनाती के दौरान श्री प्रकाश शुक्ला जैसे दुर्दांत अपराधी, कलकत्ता में एनकाउंटर, सत्तू पांडेय, सचिन पहाड़ी, अवधेश शुक्ला, अशोक सिंह, महेंद्र फौजी, निर्भय गुर्जर, हसन पुडिय़ा समेत 150 के करीब अपराधियों का एनकाउंटर किया हैं। कलकत्ता में बबलू श्रीवास्तव गैंग के 4 अपराधी मारे गए थे जबकि 2 घायल हुए थे। मुन्ना बजरंगी से भी आमना सामना हुआ था जिसमें उसे व उसके साथी को गोली लगी थी बाद में मुन्ना बजरंगी जिंदा हो गया था। इसके अलावा उनका दावा है कि एटीएस में तैनाती के दौरान भारत में पाकिस्तान से फेक करेंसी भारी मात्रा में वाया नेपाल आती थी। उन्होंने अपनी टीम के साथ मिल कर वाया नेपाल वाले नेटवर्क को ध्वस्त किया और उसके बाद से फेक करेंसी भारत में आना बंद हो गई थी। लश्कर ए ताइबा, आईएस के कई आंतकियों ढेर करने वाले पुलिस अधिकारी को रिटायर होने के बाद सरकार ने अकेला छोड़ दिया। यह बात कभी कभी अंदर तक कचोटती है। उन्हें जान का खतरा है लेकिन वह शिव के भक्त है। ऐसे में उनकी रक्षा के लिए देवों के देव महादेव उनके साथ है। रही बात सुरक्षा घेरे की तो शासन के अधिकारियों को अगर लगेगा कि कुछ करना चाहिए तो वह जरूर करेंगे।
अधिकारी तब भी अच्छे थे और आज भी अच्छे है रिटायर्ड डिप्टी एसपी अविनाश मिश्रा के मुताबिक प्रदेश में कानून का राज होना चाहिए। उससे बढ़ कर कोई नहीं हो सकता है। यहीं कानून व्यवस्था की सफलता का सूत्र है। जो कि वर्तमान सरकार का मूल मंत्र भी है। अपराधियों के साथ जो व्यवहार होना चाहिए वो हो रहा है। पुलिस अधिकारी पहले भी वहीं थे और अब भी वहीं है। शासन की मंशा ही अधिकारियों की दिशा तय करती है। अधिकारियों ने पुरानी सरकारों में उस वक्त भी बड़े बड़े बदमाशों से लेकर आंतकी घटनाओं को रोकने के लिए आंतकियों को काबू में करने का अभियान चलाया था और अब भी वहीं हो रहा है। माफिया राज इस सरकार में अतीत बनता जा रहा है।
बेटे ने कहा कि आप ने इतना सब किया लेकिन जानता कौन है और बन गई वेब सीरीज रिटायर होने के बाद घर पर ही रहने लगा तो एक दिन बेटे वरूण ने कहा कि पापा ने पुलिस विभाग में रहते हुए इतने बड़े बड़े काम किए लेकिन आप को आम आदमी जानता ही नहीं है। पेशे से इंजीनयर बेटे की बात सही थी। कभी भी अपने काम का बखान मीडिया से सामने आकर ही नहीं किया था। गुडवर्क होने पर अधिकारी ही प्रेस वार्ता करते थे। बेटे ने अपनी फाइनेटिक मीडिया के नाम से एक प्रोडक्शन हाउस खोला और फिर मुंबई में अपने पुराने परिचित निदेशक नीरज पाठक से हुआ। उनका भी प्रोडक्शन हाउस था। उन्होंने जीवन पर फिल्म बनाने की कहानी तैयार की और बजट की समस्या आई लेकिन अचानक एक दिन नीरज पाठक ने जियो सिनेमा के अधिकारियों को इस कहानी के बारे में जानकारी दी देा वह फौरन तैयार हो गए और फिल्म के बजट में कोई दिक्तत फिर नहीं आई। जो कि अब एक वेब सिरीज के रूप में जियो सिनेमा के ओटीटी प्लेटफार्म पर मौजूद थे। अविनाश मिश्रा ने कहा कि वेब सीरीज बनी है बहुत अच्छा लग रहा है। किसी के ऊपर फि़ल्म बने, गर्व महसूस होगा।
जिद पर अडक़र पुलिस में जाने का लिया फैसला हमीरपुर जिले के मूल निवासी अविनाश मिश्र ने बताया कि 1982 में सब इंस्पेक्टर के पोस्ट भर्ती हुए थे जबकि 2019 में डिप्टी एसपी रैंक से रिटायर हुए हैं। ट्रेनिंग के बाद सबसे पहली तैनाती मेरठ में हुई थी उसके बाद एसटीएफ के गठन के बाद 2009 तक एसटीएफ में कार्यरत रहे। उसके बाद 2018-19 तक एटीएस में अपनी सेवाएं दी है और सीबीसीआईडी से डिप्टी एसपी के पद से रिटायर हुए। फिलहाल अविनाश मिश्र लखनऊ में रहते हैं। उन्होंने बताया कि मैंने फिजिकल एजुकेशन से पोस्ट ग्रेजुएशन किया था मेरी लाइन दूसरी थी लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं घटी जिससे लगा कि पुलिस में जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि उनके पिता फ्रीडम फाइटर थे उन्हें पसंद नहीं था लेकिन अपनी जिद से पुलिस में जाने का फैसला लिया।
पहली पोस्टिंग में एक साल के भीतर 3 अपराधियों को ढेर किया अविनाश मिश्रा ने बताया कि पहली तैनाती मेरठ के दिल्ली गेट थाने में हुई। मेरठ में एक साल भी पूरा नहीं हुआ था तभी परतापुर बाईपास के पास खरखौंदा रोड पर एक साथ अलीर्गढ़ के तीन बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था। तब से एनकाउंटर का सिलसिला जारी रहा और फिर जिले बदलते गए। बदमाश बदलते गए लेकिन उनके हाथ में आई पिस्टल की दिशा नहीं बदली। वह बदमाशाों को भेदती ही रही।
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