Sunday, Jun 11, 2023
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jail to yasin malik: kashmiri pandit said - justice has started

यासिन मलिक को जेलः कश्मीरी पंडित बोले- देर से ही सही, न्याय की हुई शुरुआत

  • Updated on 5/26/2022

नई दिल्ली/ अनिल सागर। अदालत ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत उम्रकैद की सजा दी तो दिल्ली में रह रहे कश्मीरी पंडितों ने इसे न्याय की शुरुआत बताया। 

धरती के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर के श्रीनगर में 14 सितम्बर, 1989 को वकील टीका लाल टपलू को जेकेएलएफ के आतंकवादियों ने उनके घर में मार दिया। इसके बाद न्यायाधीश नीलकंठ गंजू को श्रीनगर हाई कोर्ट के समीप गोलियों से भून दिया गया। 

न्यायाधीश नीलकंठ गंजू ने कश्मीरी अलगाववादी मकबूल भट को मौत की सजा सुनाई थी। कश्मीरी पंडितों ने 1990 की वह काली भयानक रात भी देखी, जब मस्जिदों से ऐलान कर हिंदुओं को चुन-चुनकर घर से निकाला गया। 
नरसंहार किए गए और अब उम्रकैद की सजा के बाद कश्मीरी पंडितों के अधिकारों के लिए सक्रिय डीके बख्शी कहते हैं-अदालत में नरसंहार का मामला भी है, वह भी आएगा और उसमें फांसी होनी तय है। 

यह शुरुआत है और कश्मीर फाइल्स ने हमारे दर्द की हर पर्त को पूरी तरह से खोल कर दुनिया के सामने रख दिया है। यह वही यासीन मलिक है, जिसे दिल्ली में बड़े नेता बुलाते थे, सरकार में उसका दखल होता था लेकिन इस बार इस सरकार ने बताया है कि अब अलगाववाद की भाषा नहीं सही जाएगी। 

डीके बख्शी एक वीडियो साझा करते हुए बताते हैं कि कैसे फिल्म अभिनेता अनुपम खेर ने बताया कि पूरी दुनिया के कश्मीरी जख्म लेकर घूम रहे हैं और इस फैसले से उनके जख्मों पर मरहम की शुरुआत होगी। वहीं शेखर चहल इसे आतंक का अंत बताते हुए कहते हैं कि आज जो सजा मिली है, उससे वह कश्मीरी पंडित दिल से सुकून में हैं जिन पर जुल्म ढाए गए। जिनके मासूम बच्चों पर अत्याचार हुआ, इन अलगाववादियों को उनके पाप की सजा मिलनी ही चाहिए। कानून के अंतर्गत जो भी सजा मिली है, वह कम ही है क्योंकि इसे मौत की सजा मिलनी चाहिए।

राजेंद्र टिक्कू इस फैसले को सही ठहराते हुए कहते हैं कि जुल्म-ओ-सितम जो ढाए गए हैं उसके मुकाबले यह कुछ नहीं है लेकिन जो मामला, तथ्य न्यायाधीशों के सामने आए उस पर यह फैसला दिया गया है। हां, लेकिन न्याय मिलने में बहुत देर हो गई। पीढिय़ां इसी दर्द के साथ जिंदगी भर जूझती रहीं कि न्याय मिलेगा और अब जाकर उम्मीद जगी है। 

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