Saturday, Sep 23, 2023
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जीवा का अंत: कभी कंपाउंडर था संजीव उर्फ जीवा जिसने अपने ही मालिक का कर लिया था अपहरण 

  • Updated on 6/7/2023

 

नई दिल्ली, टीम डिजीटल/ दिनेश शर्मा/ लखनऊ की अदालत में पश्चिमी उप्र के मुजफ्फरनगर जिले का कुख्यात गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या से एक बार फिर सनसनी फैल गई है। हत्यारा वकील के भेष में आया था। हत्या के दौरान एक बच्ची व सिपाही को भी गोली लगी है। संजीव की हत्या के बाद उसकी जरायम की दुनिया का अंत हो गया। जो कई सालों से हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाने के बाद लखनऊ जेल की सलाखों में बंद था। यूपी सरकार की हाल में माफिया लिस्ट में उसका भी नाम शामिल था। जिसकी संपत्ति पिछले माह ही कुर्क की गई थी। संजीव उर्फ जीवा  जो कि कभी हुआ करता था कंपाउंडर, अपने ही मालिक का अपहरण कर लिया था। 

संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा करता था कंपाउंडर के नौकरी

जीवा मुजफ्फरनगर का रहने वाला है। शुरुआती दिनों में वह एक दवाखाना संचालक के यहां कंपाउंडर के नौकरी करता था।इसी नौकरी के दौरान जीवा ने अपने मालिक यानी दवाखाना संचालक को ही अगवा कर लिया था। इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती दो करोड़ की मांगी थी। उस वक्त किसी से दो करोड़ की फिरौती की मांग होना भी अपने आप में बहुत बड़ी होती थी। इसके बाद जीवा हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा और फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा लेकिन उसके अंदर अपनी गैंग बनाने की तड़प थी।

90 के दशक में था खौफ का दूसरा नाम संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा 
उत्तर प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा जितना खुशहाल खेती-किसानी की फसल के लिए प्रख्यात है, उतना ही गैंगस्टर और अपराधियों के लिए कुख्यात रहा है। भाटी गैंग, बदन सिंह बद्दो, मुकीम काला गैंग और न जाने कितने अपराधियों के बीच संजीव माहेश्वरी का भी नाम जुर्म की दुनिया में पनपा। 90 के दशक में संजीव माहेश्वरी ने अपना खौफ पैदा शुरू किया, फिर धीरे-धीरे वह पुलिस व आम जनता के लिए सिर दर्द बनता चला गया।  पश्चिमी यूपी के कुख्यात अपराधी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की इसलिए क्योंकि बीते दिनों शामली पुलिस ने उसी के गैंग के एक शख्स को एके-47,करीब 1300 कारतूस व तीन मैगजीन के साथ पकड़ा है। शामली पुलिस ने रास्ते में चेकिंग के दौरान अनिल नाम के शख्स को धर दबोचा था।
 

भाजपा नेता ब्रम्ह दत्त द्विवेदी की हत्या में भी नाम था सामने आया
संजीव उर्फ जीवा का नाम 10 फरवरी 1997 को हुई भाजपा के कद्दावर नेता ब्रम्ह दत्त द्विवेदी की हत्या में सामने आया। जिसमें बाद में संजीव जीवा को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। फिर जीवा थोड़े दिनों बाद मुन्ना बजरंगी गैंग में घुस गया और इसी क्रम में उसका संपर्क मुख्तार अंसारी से हुआ। कहते हैं कि मुख्तार को अत्याधुनिक हथियारों का शौक था तो जीवा के पास हथियारों को जुटाने के तिकड़मी नेटवर्क था। इसी कारण उसे अंसारी का वरदहस्त भी प्राप्त हुआ और फिर संजीव जीवा का नाम कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया।
हालांकि, कुछ सालों बाद मुख्तार और जीवा को साल 2005 में हुए कृष्णानंद राय हत्याकांड में कोर्ट ने बरी कर दिया था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा पर 22 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए। इनमें से 17 मामलों में संजीव बरी हो चुका है, जबकि उसकी गैंग में 35 से ज्यादा सदस्य हैं। वहीं, संजीव पर जेल से भी गैंग ऑपरेट करने के आरोप लगते रहे हैं। 

हाल ही में संपत्ति भी प्रशासन द्वारा कुर्क की गई थी।
जीवा पर साल 2017 में कारोबारी अमित दीक्षित उर्फ गोल्डी हत्याकांड में भी आरोप लगे थे, इसमें जांच के बाद अदालत ने जीवा समेत 4 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि जीवा फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद है, लेकिन साल 2021 में जीवा की पत्नी पायल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर कहा था कि उनकी (जीवा) जान को खतरा है। बता दें कि, पायल 2017 में आरएलडी के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं और उन्हें हार मिली थी।
 

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