Wednesday, May 31, 2023
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kathua gang rape murder case: charge sheet filed against adult declared by supreme court

कठुआ सामूहिक दुष्कर्म-हत्या मामला : सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित बालिग के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल

  • Updated on 1/8/2023

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। जम्मू कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा ने 2018 में कठुआ में आठ साल की बच्ची के सामूहिक दुष्कर्म और हत्या से जुड़े एक मामले में शुभम संगरा के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोपपत्र दाखिल कर दिया है, जिसे उच्चतम न्यायालय ने बालिग घोषित किया था। इस मुकदमे की सुनवाई पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट में शुरू होने की उम्मीद है जैसा कि 2018 में उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था। अपराध शाखा ने हत्या, दुष्कर्म, अपहरण और गलत तरीके से बंधक बनाने समेत विभिन्न आरोपों में अपना आरोपपत्र कठुआ में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दाखिल कर दिया। आरोपपत्र कठुआ में सत्र अदालत को सौंपा गया जिसने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 24 जनवरी की तारीख तय की है।

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उच्चतम न्यायालय के 2018 के आदेश के अनुसार, पठानकोट की सत्र अदालत मामले की सुनवाई करेगी और अपीलीय अदालत पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय होगा। उच्चतम न्यायालय द्वारा 22 नवंबर को संगरा को बालिग घोषित किए जाने के बाद उसे बाल सुधार गृह से कठुआ कारागार में स्थानांतरित किया गया। अपराध शाखा के आरोपपत्र में इस जघन्य अपराध में संगरा की कथित संलिप्तता के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें कहा गया है कि संगरा ने आठ साल की बच्ची को जबरन अधिक मात्रा में नशीले पदार्थ दिए जिससे वह अपने साथ यौन शोषण और अपनी हत्या का विरोध करने की हालत में नहीं रही।

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संगरा के बालिग होने का पर्दाफाश तब हुआ जब जन्म प्रमाणपत्र के लिए गलत तरीके से दिए एक आवेदन से उसके नाबालिग होने के दावे की साजिश का खुलासा हुआ। पुलिस के अनुसार, जम्मू के हीरानगर में तहसीलदार कार्यालय में संगरा के पिता ने अपने तीन बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र के लिए आवेदन दिया था। बड़े बेटे की जन्म तिथि 23 नवंबर 1997, एक बेटी का जन्म 21 फरवरी 1998 और शुभग संगरा का जन्म 23 अक्टूबर 2002 को बताया गया। पुलिस ने कहा कि दो बड़े बच्चों की जन्म की तारीख में महज दो महीने और 28 दिन का अंतर था जो किसी भी तरीके से संभव नहीं है। इसके बाद इस पूरी साजिश का खुलासा हुआ।

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जम्मू कश्मीर अपराध शाखा द्वारा इस मामले में दाखिल आरोपपत्र के अनुसार बच्ची के अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या में संगरा की अहम भूमिका रही। इस सनसनीखेज मामले ने देश को हिलाकर रख दिया था। इसमें संगरा समेत आठ लोगों को आरोपी बनाया गया। इस मामले को उच्चतम न्यायालय के सात मई 2018 के आदेश पर जम्मू कश्मीर से बाहर पठानकोट स्थानांतरित किया गया। विशेष अदालत ने 10 जून 2019 को मुख्य आरोपी सांजी राम समेत तीन लोगों को ‘‘अंतिम सांस तक'' उम्रकैद की सजा सुनायी। तीन अन्य आरोपियों- सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, हेड कांस्टेबल तिलक राज और विशेष पुलिस अधिकारी सुरेंद्र वर्मा को अपराध को छिपाने के लिए सबूत नष्ट करने का दोषी पाया गया और उन्हें पांच साल की जेल की सजा सुनायी गयी। वे अभी पैरोल पर बाहर हैं। सातवें आरोपी एवं सांजी राम के बेटे विशाल जंगोत्रा को बरी कर दिया गया था। 

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