नई दिल्ली, टीम डिजीटल। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि की संदिज्घ परिस्थितियों में हुई मौत के बाद चर्चा में आए उनके शिष्य आनंद गिरि का नोएडा की सेक्टर-82 स्थित आदिश्री ब्रह्रमचारी कुटी आश्रम से भी विवादों का नाता रहा है।जो कि पंचायती अखाड़ा परिसर श्री निरंजनी मढि नरसिंह से जुड़ी हुई है। कई सौ साल पुराने 12 बीघा जमीन पर बने इस ब्रह्रमचारी कुटिया मंदिर परिसर पर कब्जे की नियत से लॉक डाउन के दौरान आनंद गिरि 13 जून 2020 अपने लाव लश्कर के साथ आया और उसने चादर पगड़ी चढ़ा कर खुद को महंत घोषित कर दिया था।
जमीन पर आरोप है कि इस मंदिर परिसर पर गैझा गांव के भूमाफिया करतार सिंह व उसके बेटे की नजर थी। उन्होंने ही नोएडा में ही रहने वाले आदित्य गिरि, जय गिरि व अन्य लोगों ने आनंद गिरि से सांठगांठ कर उसे नोएडा बुलाया। उस दौरान कुटिया के संचालक विजय भारती मौजूद थे। पुजारी व महंत ओम भारती महाराज नोएडा से बाहर गए हुए थे। संचालक विजय भारती से मोबाइल फोन छीन लिया गया। उसे धमकाया गया। कुटिया के संचालक नरेश भारती ने किसी तरह महंत ओम भारती को इसकी सूचना दी।
कुटिया पर कब्जा करने की सूचना मिलते ही उन्होंने पुलिस से मदद मांगी लेकिन पुलिस का रवैया ढुलमुल देख ओम भारती ने फिर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि को इसकी पूरी जानकारी दी और उनके शिष्य की कारगुजारी बताई। ओम भारती महाराज के मुताबिक इसके बार महंत नरेन्द्र गिरि ने अपने शिष्य से फौरन फोन पर बातचीत की और उसे वहां से हटने का आदेश दिया। तीन दिनों तक आनंद गिरि कुटिया पर कब्जा करके रहा और महंत नरेन्द्र गिरि के आदेश के बाद वह अपने लाव लश्वर के साथ कुटिया छोड़ कर हरिद्वार चला गया था। महंत नरेन्द्र गिरि के निधन के बाद प्रयागराज में मौजूद ओम भारती महाराज ने नवोदय टाइम्स संवाददाता से बातचीत के दौरान बताया कि आदिश्री ब्रह्रमचारी कुटी आश्रम 12 बीघा जमीन पर बना हुआ है। जो कि कई सौ साल पुराना है। जो कई बरस पहले दान में उनके गुरू जी के गुरू जी को दान में मिली थी। अब यह जमीन सात या आठ बीघा ही रह गई है। मुख्य गैझा गांव में आ गई। जिसकी कीमत कई सौ करोड़ रुपये हो गई है। ऐसे में अब भूमाफिया गैझा गांव का पूर्व प्रधान करतार सिंह व उसके बेटे कब्जा करने के लिए नए नए हथकंडे अपनाते रहते है। वह लोग ही आनंद गिरि को भी लेकर आए थे। उस दौरान मंदिर परिसर में प्रवेश निषेध कर दिया गया था और कर्मचारियों को भी धमका दिया गया था। उस वक्त पुलिस को शिकायत की थी लेकिन मामला अखाड़ा परिषद के महंत नरेन्द्र गिरि जी के माध्यम से सुलझ गया तो आगे कार्रवाई नहीं की गई थी।
मालूम हो कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि का शव आश्रम में उनके कमरे में संदिज्ध परिस्थितयों में मिला था। कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला था। जिसमें उन्होंने अपने शिष्य आनंद गिरि समेत कुछ और लोगों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है। जिसके बाद से आनंद गिरि को प्रयागराज पुलिस ने पूछताछ के लिए हिरासत में ले रखा है।
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