Thursday, Jun 08, 2023
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malegaon blast: supreme court dismisses plea seeking discharge of purohit

मालेगांव विस्फोट: लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को आरोपमुक्त करने संबंधी याचिका खारिज

  • Updated on 3/30/2023

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। उच्चतम न्यायालय ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में आरोप मुक्त किए जाने का अनुरोध करने वाली लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की याचिका खारिज कर दी है। बंबई उच्च न्यायालय ने आरोप मुक्त करने का अनुरोध करने वाली पुरोहित की याचिका दो जनवरी को खारिज कर दी थी। पुरोहित ने इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।

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सितंबर 2008 में हुए विस्फोट के इस मामले में पुरोहित के अलावा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत छह आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं। इन सभी आरोपियों को फिलहाल जमानत मिली हुई है। न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, ‘‘उच्च न्यायालय के जिस आदेश को चुनौती दी गई है, उसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 197 (2) के तहत मंजूरी की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उन पर लगाए गए आरोप उनके किसी भी आधिकारिक कर्तव्यों से संबंधित नहीं है।''

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इसमें कहा गया है, ‘‘ (उच्च न्यायालय के) आदेश के आधार पर गौर करने के बाद हमें इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता और इसलिए विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई नहीं होगी।'' शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि निचली अदालतों को उच्च न्यायालय के आदेश की टिप्पणियों से प्रभावित नहीं होना चाहिए। पुरोहित ने खुद को आरोप मुक्त किए जाने की अपील करते हुए दावा किया था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सीआरपीसी के संबंधित प्रावधानों के तहत मंजूरी नहीं ली गई है।

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उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के नासिक जिले के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में बंधा विस्फोटक उपकरण फटने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक घायल हो गए थे। मामले की प्रारंभिक जांच करने वाली महाराष्ट्र पुलिस के अनुसार, जिस मोटरसाइकिल में विस्फोटक बांधा गया था, वह प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर पंजीकृत थी, इसलिए ठाकुर को गिरफ्तार किया गया था। बाद में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी।

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