नई दिल्ली/आयुषी त्यागी। हमारे देश में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया गया है लेकिन आज उसी देवी की अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आए दिन महिलाओं के साथ छेड़छाड़, हत्या और बलात्कार जैसी आमानवीय घटनाएं होती रहती है। सिर्फ महिलाएं ही नहीं अब छोटी बच्चियां भी महफूज नही है उनके साथ भी हैवानियत का सिलसिला शुरू हो चुका है। सरकारें भी महिला और बच्चियों की सुरक्षा के लिए तमाम तरह के वादे करती आई है बावजूद इसके महिलाओें और बच्चियों के साथ होने वाले अपराधों में कमी होने की जगह बढ़ोतरी ही हुई है।
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डरा देेन वाले आंकड़े
नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने पिछले पांच सालों के आकड़े पेश किए है जिसके मुताबिक बलात्कार के मामलों में साल 2012 के मुकाबले 2016 में बढ़ोतरी हुई है। साल 2012 में जहां ये बच्चियों के साथ बलात्कार के 8,541 मामले सामने आए है। 2016 में 19,765 मामले आए ये आंकड़े पहले के मुकाबले दोगुने हो गए है।
दिल वालों की दिल्ली में महिलाओं के साथ बड़ रही हैवानियत
देश की राजधानी दिल्ली में साल 2011 से 2016 के बीच महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में 277 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। साल 2011 में जहां दिल्ली में इस तरह के 572 मामले दर्ज किये गए थे, वहीं साल 2016 में यह आंकड़ा 2155 रहा। इनमें भी 291 मामलों का अप्रैल 2017 तक नतीजा नहीं निकल था।
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निर्भाया कांड़ के बाद भी नहीं रुकी महिलाओं के साथ बर्बरता
2012 में 23 साल की निर्भया के साथ मानवता की सारी हदे पार करते हुए बालात्कार की घटना सामने आने के बाद भी ये सिलसिला लगातार जारी है। इस घटने के बाद बालात्कार के दर्ज मामलों में 132 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। मई 2017 तक बलात्कार के 836 मामले दर्ज किए गए है।
हर एक घंटे में 4 महिला हो रही बलात्कार का शिकार
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2014 की रिपोर्ट के अनुसार देश में हर एक घंटे में 4 रेप और हर 14 मिनट में एक रेप की घटना सामने आई है। साल 2014 में देशभर में कुल 36975 रेप के मामले सामने आए हैं।
सबसे ज्यादा इन राज्यों में होते है महिलाओं के साथ बलात्कार
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यरो की रिपोर्ट के अनुसार 2015 की तुलना में 2016 में बलात्कार के मामलों में 12.4 फीसदी बढ़ें है। 2016 में 38,947 मामले दर्ज किए गए। सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले (38,947) मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए । दूसरे नंबर पर 4,816 बलात्कार की घटनाओं के साथ उत्तर प्रदेश है। वहीं तीसरे स्थान पर 4,189 मामलों के साथ महाराष्ट्र है। वहीं दिल्ली को एनसीआरबी द्वारा किए गए सालाना सर्वेक्षण में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित शहर बताया गया।
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कैसे रोका जाए महिलाओं के खिलाफ बढ़ता अपराध
सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये है कि आखिर किस तरह से महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध पर अंकुश लगाया जाए। महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर सिर्फ सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों से ही रोक नहीं लगेगी। इसके लिए समाज के हर एक वरिष्ठ नागरिक और बुद्धिजीवियों को आगे आना होगा। सिर्फ कानून से महिलाओं पर बढ़ रहे अपराधों पर लगाम नहीं लगाई जा सकती है बल्कि लोगों की सोच और मानसिकता में बदलाव लाना ज्यादा जरुरी है।
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