Thursday, Jun 01, 2023
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Open drain, making innocent people their morsel, case reached NHRC, serious questions raised

खुला नाला, मासूमों को बना रहा अपना निवाला, एनएचआरसी तक पहुंचा प्रकरण, उठे गंभीर सवाल

  • Updated on 6/14/2022

नई दिल्ली/टीम डिजीटल। खुला नाला सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण मासूमों के लिए काल का गाल बन चुका है। 12 दिन पहले नाले में गिरकर 8 साल के बालक की जान चली गई थी। यह प्रकरण अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), नई दिल्ली तक पहुंच गया है। राज्य सरकार और नगर पालिका परिषद की लापरवाही के खिलाफ एनएचआरसी में शिकायत की गई है।

घटना की जांच कराकर दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। आरोप है कि जानलेवा हादसे रोकने की दिशा में प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। गाजियाबाद जनपद के मुरादनगर थाना क्षेत्र का यह मामला है। मुरादनगर की सह बिस्वा कॉलोनी में 2 जून को नाले में गिरकर अनस (8) पुत्र परवेज की मौत हो गई थी।

घर के बाहर खेलते समय अनस अचानक नाले में जा गिरा था। हादसे के बाद से परवेज का परिवार गमजदा है। पेशे से रिक्शा चालक परवेज ईदगाह मौहल्ला चौड़ा खड़ंजा पर सपरिवार रहता है। वहां सघन आबादी के मध्य से नाला गुजर रहा है। आरोप है कि नाले को कवर न किए जाने के कारण अब तक 2-3 बालकों की मौत हो चुकी है।

मानवाधिकार कार्यकर्ता राजीव कुमार शर्मा ने इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का दरवाजा खट-खटाया है। शर्मा का कहना है कि सरकारी लापरवाही के चलते अनस की जान गई है। पूर्व में भी नाले में गिरकर बच्चों की जान जा चुकी है। इसके बावजूद उप्र सरकार, जिला प्रशासन और नगर पालिका परिषद ने आज तक ऐसी कोई नीति तैयार नहीं की है, जिससे इस प्रकार के हादसों को रोका जा सके।

उन्होंने घटना की जांच कराकर दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर उचित कार्रवाई किए जाने की अपील की है। मानवाधिकार कार्यकर्ता का कहना है कि मानसून का मौसम सिर पर है। मानसून आने पर नाला ओवरफ्लो होने पर पुन: जानलेवा दुर्घटना का खतरा पैदा हो जाएगा। 
 

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