Tuesday, Oct 03, 2023
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रिया चक्रवर्ती का झूठ पकड़ने के लिए अब होगा पॉलीग्राफ टेस्ट, जानिए क्या है ये?

  • Updated on 8/31/2020

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) के मामले में सीबीआई (CBI) की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है लेकिन इसमें कई एंगल सामने आने के बाद मामला उलझता जा रहा है। इस मामले में ड्रग्स लेने और दिए जाने का भी एक एंगल सामने आया है जिसके बाद गहन जांच के लिए पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने की बात कर की जा रही है। 

इस मामले में रिया चक्रवर्ती का पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाएगा और सीबीआई को जरूरत लगी तो दूसरे लोगों का भी पॉलीग्राफ टेस्ट किया जा सकता है। पॉलीग्राम टेस्ट क्या है आइये हम आपको बताए देते हैं। 

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क्या हैं पॉलीग्राफ टेस्ट?
पॉलीग्राम टेस्ट में किसी व्यक्ति के अंतर्मन को उसकी सोच से अलग कर दिया जाता है जिससे वो बिना किसी कल्पना में खोए हुए सही जवाब देता है। इसे इस तरह से भी जान सकते हैं कि इस टेस्ट का इस्तेमाल झूठ पकड़ने के लिए किया है। इसमें बॉडी के कई हिस्सों पर संवेदनशील इलेक्ट्रोड्स लगाए जाते हैं।

ये बॉडी के पॉइंट्स पर लगने के बाद व्यक्ति के शरीर के ब्लड प्रेशर, सांस या नब्ज़ की गति, खून के प्रवाह और पसीने की ग्रंथियों में बदलाव को बताने लगता है और इसी के आधार पर व्यक्ति के झूठ को पकड़ा जाता है।

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दिया जाता है ट्रुथ सीरम
इस टेस्ट में केमिकल तकनीक का प्रयोग किया जाता है।  इस दौरान आरोपी व्यक्ति को सोडियम पेंटोथैल ड्रग का एक इंजेक्शन दिया जाता है जिससे वो अपने होश में न रहे और तकरीबन सम्मोहन की कंडीशन में पहुंच जाए। इससे उसकी कल्पनाशीलता रुक जाती है और वो बातें नहीं बना पाता या यूं कहे कि वो झूठ नहीं बोल पाता। 

इस इंजेक्शन से भरे ड्रग को 'ट्रुथ सीरम' भी कहा जाता है, जो ऑपरेशन या सर्जरी के केस में एनिस्थीसिया के ऑप्शन में प्रयोग में लाया जाता है।

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जरुरी है कंसेंट
इस टेस्ट के यलिए ड्रग दिया जाता है इसलिए पहले जरूरी होता है कि जिस व्यक्ति का टेस्ट होना है उसे इस बारे में बता दिया जाए और उससे इसकी इजाजत भी ली जाए। दरअसल, जरूरी है कि वो मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ हो तभी इस टेस्ट को पूरा किया जा सकता है। कई बार जब आरोपी स्वस्थ नहीं होता तो उसके ठीक होने तक का इंतज़ार भी किया जाता है। 

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भारत में इन केसों में हुआ ये टेस्ट
लेकिन इस तरह के टेस्टों को लेकर भारत में काफी विवाद होते रहे हैं। वजह है इन टेस्टों का 100% सही न होना। भारत में कई केसों में इस तरह के टेस्ट का इस्तेमाल हुआ है। इसमें उत्तर-प्रदेश के उन्नाव रेप केस, शीना बोरा हत्याकांड में आरोपी इंद्राणी मुखर्जी के का ये टेस्ट किया गया था। 

इन केसों से पहले नोएडा का फेमस आरुषि व हेमराज हत्याकांड में आरोपी डॉ. राजेश तलवार और डॉ. नूपुर तलवार का ये टेस्ट हुआ था। लेकिन इस मामले को लेकर अभी तक रहस्य गहराया हुआ है। इतना ही नहीं इस केस को लेकर सीबीआई पर भी सवाल उठे थे।

यहां पढ़ें सुशांत सिंह राजपूत से जुड़ी कुछ अहम खबरें 

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