Saturday, Dec 02, 2023
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अंजान नंबर और जानकार की डीपी जरूरी नहीं कि वो आपका जानकार है

  • Updated on 6/14/2023

नई दिल्ली। टीम डिजिटल(महेश चौहान)। अगर आपके व्हट्सएप पर कोई अंजान नंबर से फोन आता,जिसकी डीपी पर अपने दोस्त व रिश्तेदार की फोटो लगी है और कॉलर आपसे अपनी मजबूरी बताकर रुपये अपने खाते में जमा करवा रहा है तो एक बार जरूर अपने जानकार को  फोन कर लें। हो सकता है कि कॉलर साइबर शातिर ठग हो। ऐसे कई मामलों में लोग अपने हजारों लाखों रुपये गंवा चुके हैं। रोहिणी साइबर थाना पुलिस ने ऐसे ही एक शातिर पढ़े लिखे ठग को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान महाराष्ट्र के रहने वाले विशाल लोढ़ा के रूप में हुई है। जिसके कब्जे से वारदात में इस्तेमाल मोबाइल फोन और दो सिमकार्ड बरामद किये हैं। आरोपी ने बैचलर ऑफ कंप्यूटर साइंस (द्वितीय वर्ष) तक की पढ़ाई की है। आरोपी के पकड़े जाने के बाद चार ठगी के मामलों का भी खुलासा हुआ है। 


पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बीते 12 मार्च को सेक्टर-15, रोहिणी के रहने वाले अशोक कुमार अरोड़ा ने राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर 75 हजार रुपये ठगी होने की शिकायत दर्ज कराई। उसने आरोप लगाया कि 12 मार्च को उसे एक अंजान नंबर से एक व्हाट्सएप मैसेज आया था। मैसेज भेजने वाले खुद को उसका कॉलेज फ्रेंड बताया। व्हटसएप डीपी पर उसी के दोस्त की फोटो भी लगी हुई थी।

उसे बताया कि वह वर्तमान में सिंगापुर में हँू। भारत में उनकी बहन का ऑपरेशन चल रहा है और इसके लिए उन्हें कुछ पैसों की जरूरत है। नेटवर्क की समस्या के कारण वह अपने परिवार को पैसे ट्रांसफर नहीं कर पा रहा है। बातें करते करते ठग ने उसे अपने बैंक खाते का नंबर बताया। उसने भी विश्वास करते हुए पहले 26 हजार और फिर 49 हजार रुपये जमा करवा दिये। जब उसने पैसे जमा होने के बारे में उसको फोन किया। ठग ने फोन उठाना ही बंद कर दिया। जब उसने अपने दोस्त को फोन कर मामले की जानकारी ली। 

दोस्त ने बताया कि उसने न तो उसे फोन किया और न ही पैसे की मांग की। एसीपी ईश्वर सिंह के निर्देशन में एसएचओ अजय दलाल की देखरेख में एसआई भूपेंद्र, हेड कांस्टेबल सुशील, अमित और कांस्टेबल नरेंद्र को आरोपी को पकडऩे का जिम्मा सौंपा गया। पुलिस टीम ने शिकायतकर्ता से ठग का व्हटसएप नंबर और बैंक खाते की डिटेल ली। मनी ट्रेल की जांच करने पर पता चला कि पैसा एनएसडीएल बैंक में जमा किया गया था। जो एक विशाल लोढ़ा के नाम पर था। इसी के चलते उसे पकडऩे की कोशिश की गई लेकिन पता चला कि वह पिछले कई सालों से अपने गांव नहीं आया है।

तकनीकी विश्लेषण के आधार पर, कथित रूप से अहमदाबाद, गोवा और हैदराबाद में स्थित पाया गया। इसके बाद तुरंत टीम को आरोपी को पकडऩे के लिये महाराष्ट्र, गोवा और हैदराबाद भेजा गया। उसके कई संदिग्ध ठिकानों पर छापेमारी की गई। हैदराबाद में एक पुख्ता सूचना के बाद उसे दबोच लिया। पूछताछ करने पर पता चला कि उसे जुआ खेलने की आदत है और वह कैसीनो में जुआ खेलने के लिए गोवा आता था।

जुए के दौरान उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा जिसके कारण उनके परिवार ने उन्हें त्याग दिया। जुआ खेलते हुए उसके कई जुआरी करीबी दोस्त भी बने थे। उसके एक दोस्त, जिससे वह एक कैसीनो में मिला था। उसने उसे इस तरह की ठगी करने का सुझाव दिया था। जिसके बाद उसने व्हाट्सएप पर एक फर्जी नंबर दर्ज करता था और पीडि़त के परिचित की 
फोटो डीपी पर लगा लिया करता था। बाद में मेडिकल इमरजेंसी आदि की मदद के बहाने पैसे मांगता था। 

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