Thursday, Mar 30, 2023
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दिल्ली के आसपास हथियारों के कारखाने, इसलिए बढ़ा अपराध!

  • Updated on 6/16/2019

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। एक महीने के अंदर दिल्ली में आधा दर्जन से अधिक गैंगवार की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। यही नहीं, गैंगवार के साथ दिल्ली में आधा दर्जन के करीब बदमाशों व पुलिस के बीच मुठभेड़ के भी मामले समाने आ चुके हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जून महीने में भी कई एनकाउंटर कर कई नामी बदमाशों को गिरफ्तार किया,तो दूसरी तरफ द्वारका मोड़ पर हुए गैंगवार के बाद दिल्ली में कई मामले गैंगवार के मामले समाने आ चुके हैं।

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इसका मुख्य कारण दिल्ली के आसपास लगातार हथियारों के बढ़ते करखाने हैं। पहले दिल्ली-एनसीआर के बदमाशों को बिहार के मुंगेर जिला हथियार मंगवाने पड़ते थे। उसके बाद मध्यप्रदेश और मेरठ ने जगह ले ली। लेकिन अब मेरठ,बुलंदशहर शहर समेत दिल्ली के आसपास हथियारों के अवैध करखाने बनने से बदमाशों के पास आसानी व सस्ते दामों पर हथियार उपलब्ध हो रहे हैं। यहीं कारण है कि दिल्ली में लगातार गैंगवार व हत्या व लूट जैसे घटना बढ़ रही हैं। इस बात पर दिल्ली पुलिस के मुखिया और पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने भी चिंता जताई है।

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दिल्ली में गोलीबारी की हालिया घटनाओं पर ङ्क्षचता व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा है कि अवैध आग्नेयास्त्र कारखाने शहर के नजदीक आ गए हैं जिससे अपराधियों के लिए हथियार खरीदना आसान हो गया है। द्वारका मोड़ पर हुए गैंगवार के बाद दिल्ली में हड़कंप मचा दिया। दिल्ली में वीरवार और शुक्रवार को हुये यमुनापार और आउटर की घटना ने और चिंता बढ़ा दी है। इन जगहों पर हुये घटना में पांच लोग मारे गये। दूसरी तरफ अमूल्य पटनायक ने यह भी कहा कि भले ही हथियार इस साल अधिक जब्त हुये हैं। लेकिन पिछले कई सालों की तुलना में इस साल वारदात में हथियारों का इस्तेमाल कम हुआ है। 

कब कितने हथियार जब्त

  • 2016 में 947 हथियार जब्त किए गए थे 
  • 2017 में यह आंकड़ा 48.89 प्रतिशत बढ़कर 1,410 हो गया।
  • 2018 में 1,950 आग्नेयास्त्र जब्त किए गए।          
  • इस साल 31 मई तक 1,169 हथियार जब्त किए हैं।
  • 2018-2017 मेंजब्त हथियार क्रमश: 842 और 517 रहे। 
  • अपराध में हथियारों का इस्तेमाल हुआ कम 
  • 2016 में अपराध में 951 हथियारों का हुआ इस्तेमाल। 
  • 2017 में यह संख्या घटकर 851 और 2018 में 812 रह गई।
  • 2017 में 31 मई तक 383 मामलों में हथियार इस्तेमाल।
  • वर्ष 2018 में ऐसे मामलों की संख्या 354 ही रहा। 
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