Saturday, Mar 25, 2023
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निठारी मामला: जनिए कब क्या हुआ और कैसे मिले 19 बच्चों का नरकंकाल

  • Updated on 12/7/2017

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। 12 साल पहले 20 जून, 2005 को आठ साल की एक बच्ची नोएडा के निठारी इलाके से अचानक गायब हो गई थी। इसके बाद से इस इलाके से लगातार बच्चों के गायब होने के सिलसिला शुरू हो गया। करीब दर्जनभर बच्चे गायब हुए। मामला राष्ट्रीय स्तर पर पंहुचा और पुलिस की अलग-अलग टीमों ने एनसीआर समेत देश के कई इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया। जिसके बाद साल 2006 के दिसंबर में नोएडा के निठारी में एक कोठी से पीछे नाले में 19 बच्चे और महिलाओं के शव मिले और मामले ने और तूल पकड़ा।

ये था उत्तर प्रदेश के सबसे सनसनीखेज और देश का बहुचर्चित निठारी कांड। इसके बाद पूरे निठारी मामले का खुलासा हुआ था, जिसमें 15 से ज्यादा बच्चियों और लड़कियों का रेप किया गया था। रेप के बाद उन्हें मारकर पंढेर के घर में दफन कर दिया गया था।

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7 मई 2006 को 21 साल की एक और लड़की जब गायब हुई तो पुलिस को अहम सुराग उसके मोबाइल से मिला। पुलिस ने उस नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई। उसके बाद जब उसमे से एक नंबर पर कॉल की गई तो उसका नाम मनिंदर सिंह पंधेर का था। जिसके बाद पुलिस ने इस मामले में पंधेर और उसके नौकर कोली को आरोपी बनाया।

जानिए क्या था मामला:

दिसंबर 2006 - दिल्ली से सटे नोएडा इलाके में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से पुलिस को 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले और इसके बाद मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरिंदर कोली को गिरफ्तार कर लिया गया। सीबीआई को इंसानी हड्डियों के कुछ हिस्से और 40 ऐसे पैकेट मिले जिनमें मानव अंगों को भरकर नाले में फेंक दिया गया था। 

जनवरी 2007 - मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरिंदर कोली को पुलिस नार्को टेस्ट के लिए गांधीनगर ले कर गई। सीबीआई ने मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरिंदर कोली से पूछताछ की और कुछ ही दिनों में जांच करने के लिए निठारी पहुंची जहां से और भी हड्डियां बरामद की गईं। इसी महीने इन दोनों के साथ  गाजियाबाद की एक अदालत परिसर में मारपीट हुई जब उन्हें पेशी के लिए वहां ले जाया गया था।

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फरवरी से अप्रैल 2007 -कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआई कस्टडी में भेजा गया और पिंकी के कंकाल की पहचान उसके सलवार सूट और चप्पलों से हुई।

मई 2007 - सीबीआई ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में 15 साल की रिम्पा हलदर के अपहरण, बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था। लेकिन बाद में अदालत की फटकार के बाद सीबीआई ने पंढेर को इस मामले में सह-अभियुक्त बनाया। पंढेर और कोली को दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई गई।

मई 2010- सीबीआई की विशेष अदालत ने सुरिंदर कोली को सात वर्षीय आरती की हत्या का दोषी करार दिया लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट सितंबर के महीने में ही पंढेर को बरी कर चुका था जबकि कोली की सजा बरकरार रखी गई थी।

अक्टूबर 2014- सुरिंदर कोली की फांसी पर पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज की गई। उसे रिम्पा मामले में मौत की सजा दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुरिंदर कोली की फांसी की सजा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगाई।

जनवरी 2015 - रिम्पा हलदर हत्या मामले में सुरिंदर कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उम्र कैद में बदल दी थी।

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