-पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 27% की वृद्धि
नई दिल्ली/ ताहिर सिद्दीकी । कोरोना महामारी से उबरने के बाद दिल्ली की अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ ली है। चालू वित्त वर्ष के 9 महीनों में दिल्ली सरकार का वैट और वस्तु एवं सेवा कर संग्रह (जीएसटी) 2021-22 की तुलना में करीब 28 प्रतिशत बढ़ गया है। जिससे सरकार को उम्मीद है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में इसका संग्रह अनुमानों से अधिक हो जाएगा। व्यापार एवं कर विभाग के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली सरकार के खजाने में 2022-23 में एक अप्रैल से लेकर 31 दिसम्बर तक 2021-22 की 20111.42 करोड़ रुपए की तुलना में जीएसटी व वैट से 25668.33 करोड़ रुपए आए हैं। पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 27.63 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
व्यापार एवं कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में सरकार के खजाने में 41215 करोड़ रूपए आए थे, जिसमें जीएसटी,वैट के अलावा केंद्र सरकार से मिलने वाली 6000 करोड़ रूपए की क्षतिपूर्ति भी शामिल है। केंद्र सरकार ने जून 2022 से जीएसटी को लेकर राज्यों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति बंद कर दी है। इसके बावजूद वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में राजस्व संग्रह ज्यादा होगा। कोरोना महामारी के बाद वस्तुओं की बिक्री में उछाल से राजस्व संग्रह में सुधार आया है, जिससे दिल्ली की अर्थव्यवस्था और बेहतर होगी। विभाग के अनुसार दिल्ली सरकार ने चालू वित्त वर्ष के दिसम्बर माह में जीएसटी व वैट से 4242.23 करोड़ रूपए जुटाए हैं, जबकि पिछले वित्त वर्ष के दिसम्बर माह में 4109.06 करोड़ रूपए आए थे। उम्मीद है कि जीएसटी संग्रह में और वृद्धि होगी। पिछले दो वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 कोविड-19 महामारी से प्रभावित थे, जिसके चलते कम राजस्व संग्रह हुआ। लॉकडाउन की वजह से 2020-21 में निगेटिव ग्रोथ हुई थी, लेकिन 2021-22 अपेक्षाकृत बेहतर था। मगर चालू वित्त वर्ष में कोविड-19 का कोई प्रभाव नहीं है और आर्थिक गतिविधियां भी लगातार बढ़ रही हैं।
बता दें कि जीएसटी दिल्ली सरकार के कर संग्रह का मुख्य आधार है। सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए विधानसभा में 75 हजार करोड़ से अधिक का बजट पेश किया था। जिसमें से 47,700 करोड़ रुपए कर संग्रह का अनुमान लगाया गया है।जिसमें जीएसटी और वैट से 32000 करोड़ रूपए आने का अनुमान लगाया गया है। जो अनुमान को पार करता दिखाई दे रहा है। जबकि संपत्ति की बिक्री पर स्टांप और पंजीकरण शुल्क व मोटर वाहनों पर रोड टैक्स जैसे अन्य राजस्व संग्रह भी हैं। अधिकारियों ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में सरकार ने मूल्य वर्धित कर (वैट) के रूप में 4242 करोड़ रुपए एकत्र किए हैं। वैट पेट्रोलियम उत्पादों पर लगाया जाता है, जबकि शराब को छोड़कर अन्य सभी उत्पाद और सेवाएं जीएसटी के दायरे में आती हैं।
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