Thursday, Mar 30, 2023
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शास्त्रीय भाषा होने के साथ ही बोलचाल की भी भाषा है संस्कृत

  • Updated on 8/22/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। भारत संस्कृत परिषद्,राष्ट्रोक्ति वेब पोर्टल,अशोक सिंहल फाउन्डेशन और संस्कृत परिषद्, पीजीडीएवी कॉलेज (सांध्या) के संयुक्त तत्वावधान में नई शिक्षा नीति और संस्कृत विषय पर राष्ट्रीय संस्कृत संगोष्ठी एवं संस्कृत विद्वत सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.देवी प्रसाद त्रिपाठी ने अपने भाषण में कहा कि नई शिक्षा नीति में संस्कृत का अच्छा स्थान है परन्तु इसमें भी हमें कुछ सुधारों के साथ प्रारम्भ करना होगा। हमें अपने बचे हुए गुरुकुलों और परम्परागत विश्वविद्यालयों को बचाना होगा। संस्कृत शास्त्रीय भाषा होने के साथ - साथ बोलचाल की भी भाषा है। शास्त्रों का अध्ययन करने वाला व्यक्ति ही संस्कृत की वैज्ञानिकता और उसके रहस्य को समझ सकता है।

मुख्य अतिथि विश्व हिन्दू परिषद् के मार्गदर्शक दिनेश चन्द्र ने कहा कि विश्व की समस्त भाषाओं पर संस्कृत का प्रभाव है। पीजीडीएवी कॉलेज प्रिंसिपल प्रो. प्रो.रवीन्द्र गुप्ता ने सभी संस्कृत विद्वानों का सम्मान और अभिनन्दन करते हुए कहा कि संस्कृत बहुत ही वैज्ञानिक और मानव मूल्य से युक्त भाषा है। हमें इस देश को इस प्रकार प्रभावशाली और महत्त्वपूर्ण बनाना है कि विदेशी जन यदि भारत आएं तो यहां आने से पहले उन्हें अनिवार्य रूप से हिंदी व संस्कृत सीखनी पड़े।
विशिष्ठ वक्ता दिल्ली संस्कृत अकादमी पूर्व सचिव डॉ.श्रीकृष्ण सेमवाल ने कहाकि संस्कृत संस्कार प्रदान करती है औराराष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में इसका विशेष रूप से समावेश किया गया है। अतिविशिष्ठ अतिथि श्री लाल बहादुर राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के पूर्व कुलपति प्रो.रमेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि दुनिया के सभी विषय मूल रूप से इसी भाषा में समाहित हैं। कार्यक्रम का संचालन सूर्य प्रकाश सेमवाल ने किया।
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