Saturday, Sep 23, 2023
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पराली के प्रदूषण से बचाएगा IIT, कुरुक्षेत्र में लगेगा पायलट प्लांट

  • Updated on 11/6/2019

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) की प्रोफेसर नीतू सिंह (Neetu Singh) पर्यावरण के अनुकूल समाधान विकसित करने पर काफी लंबे समय से काम कर रही हैं। दिल्ली (Delhi) में प्रदूषण  (Pollution) की समस्या का प्रमुख कारण बने हरियाणा (Haryana) और पंजाब (Punjab) के किसानों द्वारा खेतों में फसल कटने के बाद जलाई जा रही पराली पर उन्होंने कहा कि हर साल 20 मिलियन टन पराली हरियाणा पंजाब के किसानों द्वारा जलाई जा रही है।

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कुरुक्षेत्र में लगेगा पायलट प्लांट
इसका हमने समाधान निकाल लिया है। हम आईआईटी इन्क्यूबेटर स्टार्टअप (IIT Incubation Startup) के अंतर्गत सिनर्जी बिल्डिंग में चल रही क्रिया लैब के माध्यम से इस पर 2014 से काम कर रहे हैं। इस लैब के जरिए हमने ऐसी मशीनें तैयार की हैं जोकि पराली से प्रोडक्ट तैयार कर रही हैं। हम बहुत जल्द कुरुक्षेत्र में एक पायलट प्लांट लगाने जा रहे हैं। जिसमें 2 टन पराली का प्रतिदिन खपत किया जाएगा।

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1000 एकड़ क्षेत्र की पराली खपत करने का है प्लान
इससे हम 1 एकड़ भूमि की पराली एक दिन में खपत कर सकेंगे। हम हरियाणा में किसानों से बात कर रहे हैं। हमारा एक साल में 1000 एकड़ क्षेत्र की पराली खपत करने का प्लान है। जिससे किसानों द्वारा पराली जलाए जाने की समस्या का छोटे स्तर पर ही सही निदान शुरू होगा। पराली किसानों से खरीदी जाएगी इसलिए उन्हें आमदनी भी होगी तो वह शायद उसे जलाना धीरे-धीरे बंद करेंगे। 

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अटल इनोवेशन मिशन के तहत 1 करोड़ रुपए का फंड
आईआईटी दिल्ली की क्रिया लैब के इस प्रोजेक्ट को डीएसटी-डीबीटी ने 30 से 40 लाख रुपए का फंड दिया है। भारत सरकार के अटल इनोवेशन मिशन (Atal innovation Mission) द्वारा देश के 90 आवेदनों में चुनी गई 26 प्रोजेक्टों में से क्रिया लैब भी है। अटल इनोवेशन मिशन से इसे 1 करोड़ रुपए तक का फंड मिलेगा। इसके अलावा क्रिया लैब लगातार पराली से उत्पाद तैयार कर रहा है। जिनमें कप, प्लेट्स, थाली, लैंप, टेवल कवर, टिफिन बना रहा है।

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बॉयो एथनॉल बनाने में किया जा सकता है इस्तेमाल
इसके अलावा धान के पेड़ों में अत्यधिक मात्रा में सिलिका कंटेट होने के कारण क्रिया लैब सेलुलोज इकट्ठा कर रहा है, जिससे बॉयो एथनॉल बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट में सीआरडीटी से प्रोफेसर विवेक भी क्रिया लैब के साथ पल्प तकनीकि पर काम कर रहे हैं। 

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