Friday, Sep 29, 2023
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Gandhi''s nationalism is moral, not religious

धार्मिक नहीं , नैतिक है गांधी का राष्ट्रवाद

  • Updated on 2/28/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। राजधानी कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रवाद और अंतर्राष्ट्रवाद  एक गांधीवादी परिप्रेक्ष्य विषय  पर एकल व्याख्यान का आयोजन किया गया । मुख्यवक्ता प्रसिद्ध गांधीवादी लेखक व विचारक  प्रो.अनिल दत्त मिश्रा रहें। कार्यक्रम का शुभारंभ विभागाध्यक्ष प्रो .सुशील दत्त द्वारा किया गया। उन्होंने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को उग्र राष्ट्रवाद की मानसिकता से बचाव का सुझाव देते हुए मानवतावादी राष्ट्रवाद को अपनाने की  वकालत की ।
कॉलेज प्राचार्य  प्रो. राजेश गिरि ने कहा कि हमे गांधी को सुनने के साथ- साथ उनके दिखाये पथ पर चलना भी  चाहिए। उन्होंने राष्ट्रवाद के  समसामयिक विमर्श को उकेरते हुए उसके निरंतर बदलते हुए रूपों पर  गंभीर दृष्टि से चिंतन की आवश्यकता को दर्शाते  देते हुए, गांधी की चिंतन - प्रणाली में राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान ढूंढने की वकालत की ।
मुख्य वक्ता प्रो. मिश्रा ने कहा कि आज हमें गांधी की पुनव्र्याख्या करने की ज़रूरत है। उन्होंने राष्ट्रवाद एवं  अंतरराष्ट्रवाद पर चर्चा करने से पूर्व गांधी के मूल दर्शन से परिचित कराया और  राष्ट्रवाद एवं अंतरराष्ट्रवाद को गांधी की मनोभूमि एवं वैचारिक पृष्ठभूमि में समझाने की कोशिश की । उन्होंने कहाकि गांधी का राष्ट्रवाद  धार्मिक नहीं , नैतिक है ; राष्ट्रीय नहीं ,अंतर्राष्ट्रीय है ; अन्तर्मुखी नहीं , बहिर्मुखी एवं समावेशी  है । इस संदर्भ में उन्होंने ये भी बताया कि हमें हर धर्म के मूल को जानना चाहिए जहां अहिंसा, प्रेम दया आदि की बात की गई है।  किसी भी देश का विकास तब तक नही हो सकता जब तक वो अपनी मातृभाषा को प्राथमिक वरीयता न दे । व्याख्यान के  अंत में प्रश्नोत्तरी सेशन का आयोजन किया गया । कार्यक्रम के समापन पर  विभाग संयोजक प्रो .सुमन कुमार ने सभी गण्यमान लोगों एवं प्रतिभागियों  का  धन्यवाद ज्ञापन किया।

 

 

 

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