-5 साल 4 महीने तक बैजल रहे दिल्ली के उपराज्यपाल
नई दिल्ली / ताहिर सिद्दीकी। दिल्ली के 21वें उपराज्यपाल के पद से इस्तीफा देने वाले अनिल बैजल के कार्यकाल में कई बार ऐसे मौके आए, जब आप सरकार व उपराज्यपाल आमने-सामने आए गए थे। कई बार उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के प्रस्तावों को सिरे से खरिज कर दिया था। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1969 बैच के रिटायर्ड अधिकारी बैजल का मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच सबसे बड़ा टकराव जून 2018 में हुआ था, जब सीएम केजरीवाल अपने मंत्रियों मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और गोपाल राय के साथ उपराज्यपाल कार्यालय में धरने पर बैठ गए। केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि आईएएस अधिकारी दिल्ली सरकार के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं और घर तक राशन पहुंचाने की योजना को मंजूरी नहीं दे रहे हैं। हालांकि जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद उपराज्यपाल और आप के बीच तल्खी कम हुई कि दिल्ली के उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की सहायता और सलाह से बंधे हैं। लेकिन केंद्र सरकार ने 2021 में राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक पारित कर उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार के सभी मामलों में प्रमुख की भूमिका में ला दिया था। ----- इन प्रमुख मामलों पर रहा सरकार से टकराव -दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और दिल्ली दंगों के मामलों में लोक अभियोजकों (वकीलों) के पैनल बनाने संबंधी दिल्ली सरकार के फैसले को निरस्त कर फाइल उपराज्यपाल (एलजी) कार्यालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दी थी। बैजल ने किसान आंदोलन संबंधी मामलों में पैरवी के लिए दिल्ली मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर वकीलों की सूची को खारिज कर दिया था। -दिल्ली सरकार ने राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना को लागू करने के लिए कई बार फाइल उपराज्यपाल को भेजी। लेकिन उपराज्यपाल ने राशन की डोरस्टेप डिलीवरी प्रस्ताव केंद्र को भेजने को कहा और योजना को मंजूरी नहीं दी थी। उपराज्यपाल का दिल्ली सरकार के बीच कोरोना काल में भी टकराव का मामले सामने आया था। जिसमें एलजी ने दिल्ली सरकार को बिना सूचित किए ही अधिकारियों की एक बैठक बुला ली थी। जिस पर मुख्यमंत्री ने कड़ा एतराज जताया था। एलजी अनिल बैजल की अध्यक्षता वाले दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (डीडीएमए) ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेईई-नीट परीक्षा स्थगित करने के निर्णय को नामंजूर कर दिया था। उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री के निर्णय को पलटते हुए परीक्षा कराने की अनुमति दी थी। -दिल्ली भर में सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना को लेकर भी सरकार के साथ उपराज्यपाल का टकराव रहा। हालांकि बाद में उन्होंने इस योजना को मंजूरी दे दी थी। -बैजल ने दिल्ली सरकार की 1000 बसों की खरीद प्रक्रिया की जांच को लेकर तीन सदस्यों की एक कमेटी बना दी थी। भाजपा लगातार इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रही थी। ----- इन्हें तैयार करने में रही एलजी की अहम भूमिका -दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के मास्टर प्लान ऑफ दिल्ली (एमपीडी)-2041 को आकार देने में उपराज्यपाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इससे पहले उपराज्यपाल ने डीडीए के उपाध्यक्ष रहते हुए भी मास्टर प्लान ऑफ दिल्ली (एमपीडी)-2021 को तैयार करने में भी खास भूमिका निभाई थी। -राजधानी की सडक़ों पर रेंगते ट्रैफिक को रफ्तार देने के लिए 77 सडक़ों को जाम मुक्त करने की योजना बनाई। इसके लिए टॉस्क फोर्स टीम का गठन किया था, जिसमें पीडब्ल्यूडी,ट्रैफिक पुलिस व एमसीडी के अधिकारी शामिल हैं। -पैदल यात्रियों और सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करने के मकसद से पहले चरण में 15 स्थानों का वॉकेबल प्लान तैयार किया गया। -नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास, मेट्रो स्टेशनों के बाहर मल्टी मॉडल इंटीग्रेशन, लैंड पूलिंग पॉलिसी व पार्किंग पॉलिसी आदि को धरातल पर उतारने में खास भूमिका रही। -जनता से जुड़ी परियोजनाओं की समय-समय पर समीक्षा कर उसे पूरा करने की कोशिश की।
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