नई दिल्ली। दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने शुक्रवार को अधिकारियों को उन प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया जो विद्यार्थियों के अभिभावकों को विशेष दुकानों से ही महंगी किताबें और स्कूल की ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं। उन्होंने शिक्षा निदेशक को ऐसे स्कूलों के खिलाफ तुरंत सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए। शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्राइवेट स्कूल या तो अभिभावकों को खास विक्रेताओं से ही महंगी किताबें एवं स्कूल की ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य करना बंद करें या फिर दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि कोई भी प्राइवेट स्कूल जो शिक्षा निदेशालय द्वारा किताबें व स्कूल ड्रेस को लेकर जारी गाइडलाइंस की अवहेलना कर रहा है उसे बख्शा नहीं जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने शिक्षा विभाग को निर्देशों का पालन नहीं करने वाले प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ जांच करने और गाइडलाइंस के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि लगातार ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि प्राइवेट स्कूल अभिभावकों को विशेष विक्रेताओं से ही महंगी किताबें एवं स्कूल की ड्रेस खरीदने के लिए बाध्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल में कुछ अभिभावक मुझसे मिले भी थे और यह बात मेरे संज्ञान में लायी थी। शिक्षा विभाग ने 17 मार्च को स्कूलों के लिए पुस्तकों एवं स्कूल की ड्रेस की बिक्री पर दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए निर्देश जारी किया था। उसने कहा था कि उल्लंघन की स्थिति में दिल्ली विद्यालय शिक्षा अधिनियम 1973 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिए कि नियमों की अवहेलना करने वाले स्कूलों पर जो भी कारवाई की जा रही है, उसकी साप्ताहिक रिपोर्ट पेश की जाए।
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प्राइवेट स्कूलों के लिए क्या है गाइडलाइंस
-शिक्षा निदेशालय की गाइडलाइंस के तहत निजी स्कूलों को नए सत्र में प्रयोग में आने वाले किताबों व अन्य स्टडी मटेरियल की कक्षावार सूची नियमानुसार स्कूल की वेबसाइट और विशिष्ट स्थानों पर पहले से ही प्रदर्शित करनी होती है ताकि अभिभावकों को इसके बारे में जागरूक किया जा सके।
-स्कूलों को अपनी वेबसाइट पर स्कूल के नजदीक के कम से कम 5 दुकानों का पता और टेलीफोन नंबर भी प्रदर्शित करना होता है जहां से पेरेंट्स किताबें और स्कूल ड्रेस खरीद सकें।
-स्कूल पेरेंट्स को किसी भी विशिष्ट विक्रेता से इन चीजों को खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता।
-माता-पिता अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी दुकान से किताबें और यूनिफॉर्म खरीद सकते हैं।
-कोई भी प्राइवेट स्कूल कम से कम 3 साल तक स्कूल ड्रेस के रंग, डिजाइन व अन्य स्पेसिफिकेशन को नहीं बदल सकता है।
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