Thursday, Mar 30, 2023
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हमारी कालगणना वैज्ञानिक, परम्पराएं ओर पर्व होते है पंचाग से निर्धारित : शंकरानन्द

  • Updated on 4/7/2022

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध पीजीडीएवी (सान्ध्य ) कॉलेज की आईक्यूएसी, संस्कृत परिषद्, युवा, सांस्कृतिक एवं नैतिक प्रकोष्ठ, आजादी का अमृतमहोत्सव एवं उड़ान, सेवि, आदि सात समितियों के संयुक्त तत्वावधान में नवसंवत्सर एवं आर्यसमाज की स्थापना के अवसर पर वीरवार को कार्यक्रम अयोजित किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय सह-संगठन मन्त्री शकरानन्द व प्राचार्य प्रो.रवीन्द्र गुप्ता, दिल्ली प्रान्त के संगठन मन्त्री गणपति, युवा दक्षिणी विभाग संयोजक प्रो.सरोज महानन्दा व कार्यक्रम में सहयोगी रही सातों समितियों के संयोजक प्रो.सज्जय कुमार, डॉ.योगेश शर्मा, डॉ.बिजीत सिन्हा, रेणुकाधर बजाज, डॉ.मीताभटनागर, डॉ.श्रुति रजना मिश्रा एवं डॉ. मयंक पाण्डेय उपस्थित रहे। कार्यक्रम में अध्यक्ष के रूप में उपस्थित प्राचार्य ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि हम 2079 में प्रवेश कर रहे हैं, हमारा नववर्ष वैज्ञानिकता से युक्त हैं। कॉपरनिकस एवं गैलीलियों को उद्धृत करते हुए हमें ध्यान दिलाया कि पाश्चात्य विद्वान् इन्हीं का अनुसरण करते हुए मानते आये थे कि सूर्य ही पृथ्वी की परिक्रमा करता है, पृथ्वी सूर्य की नहीं, लेकिन भारतीय मनीषियों के द्वारा वैज्ञानिकता से सिद्ध सत्य को समस्त विश्व ने स्वीकार किया कि सूर्य नहीं बल्कि पृथ्वी ही सूर्य की परिक्रमा करती है। भारतीय परम्पराएं वैज्ञानिकता सिद्ध हैं, इसलिए हमें हमारी परम्पराओं को कभी नहीं भूलना चाहिए।

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देश के विकास के लिए युवाओं को किया प्रेरित
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित शंकरानन्द ने युवा वर्ग को प्रोत्साहित करते हुए उनमें जोश उत्पन्न किया, देश के विकास के लिए युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि युवाओं में असंभव कार्यों को भी सम्भव करने की क्षमता है। युवाओं को ही अपनी ऊर्जा शक्ति से परिचित होकर दुनिया को दिशा देने के लिए आगे आना है। जीवन को दिशा देने के लिए गीता जैसे ग्रन्थों को पढऩा आवश्यक है। भारतीय संस्कृति समस्त विश्व में सर्वपुरातनी संस्कृति है और हमारा देश वैज्ञानिक दृष्टि रखने वाला देश है। हमारी कालगणना भी वैज्ञानिक है। हमारी परम्पराएं और पर्व पंचांग से ही निर्धारित होते हैं। भास्कराचार्य द्वारा लिखित सिद्धात को उद्धृत करते हुए शंकरानन्द ने भारतीय महीनों, सप्ताह एवं दिवसों के नामों की वैज्ञानिकता से परिचित कराया।
कार्यक्रम में डॉ.सत्यकाम शर्मा, डॉ.सुरेश शर्मा, प्रो.बासुकीनाथ चौधरी, डॉ. पुनीत चांदला, डॉ.अंकुर, डॉ.श्रुति, डॉ.रक्षिता, डॉ.आदित्यप्रताप, डॉ.बलवन्त, डॉ.पवन मैथानी नरेन्द्र , रवि आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सिद्धार्थ एवं ज्योतिर्मय धनंजय ने मिलकर किया।

 

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