Tuesday, Sep 26, 2023
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हिंदी साहित्य उत्सव में पीयूष मिश्रा ने अपने अनुभवों को किया साझा

  • Updated on 3/20/2017

Navodayatimesनई दिल्ली/नेहा सजवाण। लोग शांति शांति चिल्लाते रहते हैं लेकिन शांति तब मिलती है जब आपने बहुत काम कर लिया हो। जिस काम के लिए आपका जन्म हुआ है उसे तब तक करो जब तक थक न जाओ।

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हिंदी साहित्य उत्सव में ‘पीयूष मिश्रा ने अपनी चुनी राहें- क्या मकसद क्या हासिल’ सत्र के दौरान अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने कहा कि थकने का सुख बड़ा जबर्दस्त होता है। वहीं आदमी थक सकता है जो काम करता हो और मैने जमकर काम किया है। अब साधना करने का मन करता है। लेकिन साधना का मतलब यह नहीं है कि आप बुत बनकर बैठें। आंख बंद करके सोचे कि अब आगे क्या करना है। कला मुझसे इतनी आसानी से हुई है कि मुझे नहीं लगता कि मैं कोई और चीज कर सकता हूं। इस तरह राहुल गांधी को भी समझ जाना चाहिए कि राजनीति उनके बस की बात नहीं है।

इस दौरान उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में राष्ट्र का नाम ले लो और राष्ट्रगान पर खड़े हो जाओ तो बोलते हैं तुम तो आरएसएस के हो गए। पता नहीं हिंदुस्तान को आजकल किस तरह की धुन लगी हुई है। मैं तो बोलता हूं अच्छा लगे तो सुनो और नहीं लगे तो मुझे मत बुलाओ। इस दौरान लेखिका मैत्रेयी पुष्पा, विद्या शाह और उर्वशी बुटालिया मौजूद रही।

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राजकमल प्रकाशन समूह एवं ऑक्सफोर्ड बुक स्टोर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मैत्रेयी पुष्पा ने कहा कि मुझे पहले से ही पता था कि मुझे लेखिका बनना है। मुझे बच्चपन से ही पत्र लिखने का बहुत शौक था, मैं अपने दामाद को पत्र लिखा करती थी। मेरे दामाद ने मुझे कहा कि आपके पत्र किसी उपन्यास की तरह लगते हैं। उसके बाद मैने लिखना शुरू किया। उन्होंने कहा मेरे लिए साहित्य लेखन का मतलब जीवन को जीना और उसका चित्रण करना है। मेरी जिंदगी की इस जद्दोजहद ने मुझे लगातार लिखने के लिए प्रेरित किया। 

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