Monday, Oct 02, 2023
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thousand led street lights will be installed on the roads

दिल्ली की सड़कों पर लगेंगी 92 हजार एलईडी स्ट्रीट लाइटें, सालाना 50 करोड़ की होगी बचत

  • Updated on 12/25/2022

-एचपीएसवी लाइटों को हटाने से सालाना 50% बिजली की होगी बचत

नई दिल्ली/ ताहिर सिद्दीकी। दिल्ली सरकार की सड़कों पर एलईडी लाइटें लगाई जाएंगी। दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। एलईडी लाइटें लगाने से स्ट्रीट लाइटों पर खर्च होने वाली बिजली का 50 फीसद बचत हो सकेगा। वहीं, इससे दिल्ली की सड़कें दूधिया रोशनी से जगमगाएंगी। सूत्रों के मुताबिक उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पुरानी एचपीएसवी स्ट्रीट लाइटों को एलईडी स्ट्रीट लाइटों में बदलने के लिए पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के साथ बैठक की।

सूत्र बताते हैं कि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) अपनी करीब 1400 किलोमीटर लम्बी सड़कों पर सोडियम लाइटों को बदलकर 92,000 एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाने की योजना तैयार की है। इससे बिजली की भारी बचत होगी। वर्तमान में पीडब्ल्यूडी को सड़कों और चौराहों को रोशन करने के लिए सालाना बिजली पर 100 करोड़ रूपए खर्च करने पड़ रहे हैं। एलईडी लाइटों के लग जाने से सालाना करीब 50 करोड़ की बचत होगी। टेंडर प्रक्रिया और इन लाइटों को लगाने में एक वर्ष लगेंगे। मौजूदा समय में पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर आंखों को चुभने वाली 400 वाट व 250 वाट की एचपीएसवी स्ट्रीट लाइटें लगी हैं। इसे 2008 के आसपास लगाया गया था। शुरू में एलईडी लाइटों को लगाने के लिए 2 विकल्पों एस्को (ईएससीओ) व कैपेक्स (सीएपीईएक्स) मोड पर विचार किया गया था। लेकिन एस्को मोड के जरिए इन लाइटों को लगाने की योजना है। बेहतर रोशनी के लिए कई जगहों पर जरूरत के अनुसार खंभों के बीच की दूरी कम की जा सकती है। एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाने के लिए बल्ब के साथ फिटिंग व पोल भी नए तरीके से लगेंगे। बता दें कि दिल्ली में लोक निर्माण विभाग की सड़कों पर लगीं 92 हजार स्ट्रीट लाइटों को बदलने के लिए पिछले कई साल से योजना बनाने का प्रयास हो रहा था। मगर अब योजना तैयार हो गई है।

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ऐसे काम करेगा नया सिस्टम

योजना के तहत सभी एचपीएसवी लाइटों को एलईडी लाइटों में बदलने के साथ इन लाइटों में इस तरह का सिस्टम लगाया जाएगा, जो अंधेरा होने पर स्वयं ही जल उठेंगी। यदि किसी कारण से दिन में अंधेरा हो जाता है तो भी लाइटें स्वयं ही जल जाएंगी। इन लाइटों के लिए एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष भी बनाया जाएगा। इसमें इस तरह की व्यवस्था होगी कि एक साथ ही पता किया जा सकेगा कि दिल्ली में कितनी लाइटें जल रही हैं और कितनी बंद हैं। सिस्टम यह भी बता पाने में सक्षम होगा कि बिजली के कौन से खंभे पर लाइट नहीं जल रही है। एलईडी लाइटों को लगाने वाली कंपनी के पास ही 5 वर्ष तक रखरखाव की जिम्मेदारी भी होगी। एक एलईडी लाइट की लाइफ 50 हजार घंटे बताई जा रही है। 

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