नई दिल्ली/ब्यूरो। जर्मनी, यूरोप और अमेरिका की तर्ज पर जल्द ही सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों के आस-पास कैफेटेरिया, शॉपिंग सेंटर से लेकर सुस्ताने और खाने-पीने के लिए उचित स्थान तैयार करेगी। हाइवे विलेज और हाइवे नेस्ट के नाम से तैयार किए जाने वाले इन स्थानों को प्रत्येक 50 किलोमीटर की दूरी पर बनाया जाएगा। इसमें तीन अलग-अलग श्रेणी में यात्रियों और ट्रक चालकों आदि के लिए जनसुविधा विकसित की जाएगी।
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केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यह घोषणा एक प्रेस वार्ता में की। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने यह नीति बनाई है, जिससे लंबे सफर के दौरान यात्रियों और ट्रक चालकों को थोड़ी देर आराम करने और बेहतर खाने-पीने से लेकर उपयोगी सामान खरीदने तक के लिए उचित स्थान मिलेगा। राजमार्गों के समीप हाइवे विलेज और हाइवे नेस्ट को निजी भागेदारी से तैयार किया जाएगा।
जहां वाहनों के लिए पार्किंग, फूड कोर्ट, रेस्ट रूम, कैफेटेरिया तथा ब्रांडेड वस्तुओं की बिक्री के लिए शॉपिंग सेंटर भी होगा। यह सुविधा प्रत्येक 50 किलोमीटर के अंतराल पर होगी। इसके तैयार होने के बाद राजमार्गों से गुजरने वाले छोटे-बड़े एवं भारी वाहन चालकों के लिए आराम की उपयुक्त जगह होगी और वह स्थानीय हस्तशिल्प की भी खरीद कर सकेंगे। इसके लिए मंत्रालय ने कुल 183 साइट चिन्हित की हैं। उन्होंने निवेशकों से इस पहल में शामिल होने का आह्वान करते हुए कहा कि इस तरह सड़क किनारे की कम से कम 1,000 इकाइयां बनाने की योजना है।
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भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के पास 200 ऐसे स्थान उपलब्ध हैं। शेष का विकास निजी भूमि मालिकों के साथ सहयोग में किया जाएगा। मंत्री का मानना है कि लंबे सफर पर थकान के दौरान भी कई बार हादसे होते हैं। ऐसे में राजमार्गों पर होने वाले सड़क हादसों को रोकथाम में भी यह योजना कारगर साबित होगी।
कैसे होंगे हाइवे विलेज और हाइवे नेस्ट
क्या होगा लाभ स्थानीय बाजार और सामान विशेष के शौकीनों के लिए इन स्थानों पर इलाके के हिसाब से वस्तुएं व खान-पान का सामान आसानी से उपलब्ध होगा। यदि नागपुर से गुजरेंगे तो संतरे खरीद सकेंगे, नासिक में अंगूर और हिमाचल प्रदेश में सेब की खासी किस्म की खरीद कर सकेंगे। वहीं मध्य प्रदेश के झाबुआ अथवा झारखंड या फिर छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाके के समीप से गुजरने पर वहां के हस्तशिल्प सामान को आसानी से खरीदा जा सकेगा।
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