नई दिल्ली/ब्यूरो। अच्युतानंद मिश्र को उनकी कविता ‘बच्चे धर्म युद्ध लड़ रहे हैं’ के लिए ‘भारत भूषण अग्रवाल कविता पुरस्कार 2017’ देने की घोषणा के बाद न केवल सोशल मीडिया पर बल्कि साहित्यकारों के बीच भी घमासान मचा हुआ है। पुरस्कार समिति के निर्णायक मंडल में अशोक वाजपेयी, अरुण कमल, उदय प्रकाश, डॉ. अनामिका और पुरुषोत्तम अग्रवाल हैं, जो हर वर्ष बारी-बारी से वर्ष की सर्वश्रेष्ठ कविता का चयन करते हैं।
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इस वर्ष निर्णय करने वालों में डॉ. अनामिका की भूमिका प्रमुख थी। यह विवाद कवि कृष्ण कल्पित की की ओर से डॉ. अनामिका पर की गई उस टिप्पणी को लेकर छिड़ा है जिसे उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट किया था। हालांकि बाद में मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने अपनी टिप्पणी को हटा लिया मगर उसे लेकर छिड़ा विवाद फिलहाल थमता नहीं नजर आ रहा है।
‘शब्दांकन’ के संपादक भरत तिवारी ने कहा कि एक कहानीकार भले ही कैसा भी इन्सान हो, लेकिन एक कवि मेरे लिए तभी अच्छा कवि है जब वह एक नेक इंसान भी हो। हो सकता है आप इस बात से असहमत हों।
भारत भूषण सम्मान की घोषणा के बाद जिस तरह की भाषा के साथ हिंदी के कुछ पुरोधाओं ने इस बार की निर्णायक वरिष्ठ कवि डॉ. अनामिका पर हमला किया है, वह घोर निंदनीय है।
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साहित्य ने असहमति को कब ऐसी भाषा चुनने का मौका दिया जो साहित्य के लिए ही विनाशकारी हो? व्यंग्य में भरत तिवारी ने आगे कहा कि ‘बचपन-की-गलतियों वाला आदम न-हुए-पुरुषार्थ का प्रदर्शन नारी पर हमले से करता है।’
वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल ने कहा ‘भाषा अशोभनीय और निचले दर्जे की है और कथन में ही अशोभनीयता छुपी हुई है।’ उन्होंने हिंदी-साहित्य में सामंती मानसिकता के सक्रिय बने रहने की भी भत्र्सना की।
कवियत्री लीना मल्होत्रा ने फेसबुक पर लिखा ‘कृष्ण कल्पित...अनामिका दी पर जो टिप्पणी उन्होंने लिखी है हो सकता है वह उनकी किसी कुंठा का परिणाम हो। वरना कवि का मूल्यांकन वह उसकी जवानी या दाढ़ी से नहीं उसकी कविता से करते।’
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वरिष्ठ साहित्यकार ममता कालिया ने कृष्ण कल्पित पर कुछ भी कहने से इंकार करते हुए कहा ‘अनामिका एक श्रेष्ठ कवि हैं और उन्हें किसी के प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है।’
गीताश्री ने कहा ‘अनामिका जी हिंदी की वरिष्ठ कवि हैं, प्रोफेसर हैं। बहुत सहजमना है, स्नेहिल हैं और बहुत प्रतिष्ठित परिवार से आती हैं। वे हम सबकी आदर्श हैं। हम बहुत आदर सम्मान करते हैं। एक युवा कवि को उन्होंने पुरस्कृत क्या किया, कुछ उम्मीदवारों को आग लग गई, जिसे नहीं मिलेगा वो बिलबिलाएगा। पहले नाम बदला हुआ एक कवि, जो सरकारी अधिकारी भी है, कल्बे कबीर ऊर्फ कृष्ण कल्पित नामक कुंठित प्राणी। उसने घटिया पोस्ट लिखी। फिर उसके समर्थन में उतरे कुछ टुच्चे कविगण।
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