नई दिल्ली/ अनामिका सिंह। लंबे समय से दिल्ली में गोदामों में सड रहे व राशन की दुकानों में सड रहे काले चने को वितरित करने का आदेश हाल ही में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने जारी किया था। विभागानुसार ये चना अंत्योदय राशनकार्डधारियों को दिए जाने की बात कही गई है लेकिन चने की गुणवत्ता को देखते हुए कोटाधारकों ने इसे अपनी राशन की दुकानों पर डीएससीएससी को पर्चे पर लिखकर उतरवाने से साफ इंकार कर दिया है। उनका कहना है कि जब यह चना जानवरों के खाने लायक नहीं है तो इंसानों को कैसे बांटे।
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आत्मनिर्भर व पीएमजीकेएवाई के अंतर्गत साल 2020 में आया था काला चना बता दें कि भारत सरकार की ओर से आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत साल 2020 में अप्रवासी मजदूरों व नवंबर में दिल्ली के राशनकार्डधारियों को बांटने के लिए काला चना आया था। जिसमें से आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत आया चना अप्रवासी मजदूरों के पलायन के चलते नहीं बंट पाया जबकि नंवबर में आया चना सप्लाई में देरी के चलते दुकानों पर नहीं पहुंचा। दुकानों पर रखे चने के लिए लगातार कोटाधारक विभाग को लिखते रहे। जिस पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार ने इसे भारत सरकार को वापस करने की योजना बनाई लेकिन भारत सरकार ने इसे गरीबों को बांटने के लिए निर्देशित किया।
बावजूद इसके खाद्य एवं आपूर्ति विभाग इसे लेकर कोई प्लान नहीं बना पाया। 8 जुलाई को विभाग के एक आॅर्डर के अनुसार 1295 राशन की दुकानों से 68 हजार 715 अंत्योदय राशनकार्डधारियों को प्रति कार्ड 4 किलों चना वितरित करने का आदेश दिया गया। यानि 2 लाख 74 हजार 860 किलो चना वितरित किया जाना था, जिसमें से 1 लाख 71 हजार 163 किलो चने को प्रत्येक दुकान पर 132 किलो भेजने का आदेश दिया गया।
अब ऐसे में जिस राशन की दुकान पर 4 अंत्योदय कार्डधारी थे वहां भी 132 किलो चना पहुंचा और जहां 100 राशनकार्डधारी थे वहां भी 132 किलो चना पहुंचा। यही नहीं जुलाई में किए गए दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाई काॅरपोरेशन लिमिटेड (डीएससीएससी) को आदेश के बाद अभी तक चने की आपूर्ति चल ही रही है। वहीं ये चना खराब हो चुका है, जिसे अपनी दुकानों पर कोटाधारक उतरवाने में कतरा रहे हैं।
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गुणवत्ता जांचने के लिए लिखा था पत्र दिल्ली सरकारी राशन डीलर्स संघ (डीएसआरडीएस) के अध्यक्ष शिवकुमार गर्ग ने कहा कि चने की निर्धारित मात्रा में आपूर्ति व चने की क्वालिटी को लेकर हमारी 10 अगस्त को खाद्य आयुक्त व 17 अगस्त को खाद्यमंत्री के साथ मीटिंग हुई थी। हम शुरू से ही चने की गुणवत्ता की जांच का मुद्दा उठा रहे हैं। अब खराब पडे इस चने के साथ ढूलाई का खर्चा भी विभाग बेकार में वहन कर रहा है। ऐसे में कोटाधारकों व राशनकार्डधारियों के बीच टकराव होना तय है।
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