नई दिल्ली/टीम डिजिटल। आज 10 सितंबर 2019 को देशभर में मुहर्रम (Muharram) मनाया जा रहा है। मुहर्रम यानी की इस्लाम धर्म का पहला महीना जिसमें मुस्लिम समुदाय के सभी लोग इस दिन मातम मनाते हैं। बता दें कि, हिजरी सन की शुरूआत इसी महीन से होती है और इस्लाम धर्म में चार पवित्र महीने होते हैं जिनमें से एक पवित्र महीना मुहर्रम का भी होता है। वैसे तो मुहर्रम कोई त्यौहार या पर्व नहीं है लेकिन इस दिन सभी मुस्लिम समुदाय के लोग शोक मनाते हैं और जिन लोगों की इस दिन मौत हुई थी उनकी याद में 1 या 2 दिन का रोजा रखतें हैं।
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दुख के रूप में मनाया जाता है मुहर्रम
साथ ही उनके आत्मा की शांति के लिए दुआ भी मांगते हैं और इस दिन सड़कों पर जुलूस भी निकाला जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मुहर्रम अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक होता है। मुहर्रम शब्द हरम से निकला है जिसका अर्थ होता है किसी चीज पर रोक लगाना, जो की मुस्लिम समाज में बहुत जरूरी माना जाता है। मुहर्रम के इस दिन को सभी मु्स्लिम (Muslim) दुख के रूप में मनाते हैं। जो की महुर्रम महीने का 10 वां दिन माना जाता है। इसी ही दिन से इस्लामिक कैलेंडर की शुरूआत होती है।
आखिर क्यों मनाया जाता है महुर्रम
महुर्रम (Muharram) के इस दिन पर इस्लाम (Islam) में शोक के तौर पर मनाया जाता है और इसे मनाने का कारण है इसके पीछे छिपी कहानी। इराक में एक यजीद नाम का बादशाह रहा करता था जो की बहुत ही जुलिम हुआ करता था। हजरत इमाम हुसैन ने उसके खिलाफ जमग का ऐलान कर दिया था। जिसके बाद मोहम्मद-ए-मस्तफा के नवासे हजरत इमाम हुसैन को कर्बनाक नामक स्थान पर परिवार व दोस्तों के साथ शहीद कर दिया गया था।
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वहीं, जिस महीने उन्हें शहीद किया गया था वह मुहर्रम का महीना ही था। उस दिन 10 तारीख भी थी। इसके बाद से ही इस्लाम धर्म के लोगों ने इस्लामी कैलेंडर का नया साल मनाना छोड़ दिया। फिर बाद में मुहर्रम का महीना दुख के महीन के रुप में बदल गया।
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हजरत इमाम हुसैन की याद में लोग करते हैं बलिदान
इस दिन ऐसी मान्यता है कि, सभी मुस्लिम समुदाय के लोग हजरत इमाम हुसैन (Hazrat Imam Husain) की शहादत को याद के तौर पर मनाते हैं। साथ ही इस दिन काले रंग के कपड़े पहने जाते हैं और सड़कों पर इस दिन जुलूस निकाला जाता है। इतना ही नहीं इस दिन इसलामिक धर्म में शिया समुदाय (Shia Community) के लोग हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद में रखते हुए बलिदान भी देते हैं।
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