चीन ने चार प्रमुख ऑस्ट्रेलियाई मांस उत्पादक कम्पनियों से मांस का आयात निलंबित कर दिया है, कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर दोनों देशों के बीच झगड़ा बढ़ रहा है। एक प्रैस कॉन्फ्रैंस में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि यह निलंबन कोरोना विवाद से जुड़ा न हो कर एक विनियमन का मामला है और फिर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आर्थिक धमकियों भरा भाषण जारी रखा। चीन के सरकारी मीडिया ने भी तेजी से तीखे संपादकीयों द्वारा उनकी चेतावनियों का समर्थन किया।
विवाद की शुरूआत ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा कोरोना वायरस की उत्पत्ति के मामले में स्वतंत्र जांच के आह्वïान के साथ हुई। चीन ने वुहान में एक पारदर्शी, बहुपक्षीय जांच की अनुमति देने के विरुद्ध कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और चीनी जांचकर्ताओं को यह काम करने को कहा है।
यह इस बात का संकेत हो सकता है कि कुछ छिपाने का प्रयास हो रहा हो, चाहे वन्यजीव व्यापार का कुत्सित विनियमन या कि जैव सुरक्षा दुर्घटना लेकिन बीजिंग की प्रतिक्रिया एक अराजकतावादी नियंत्रण प्रणाली की देन भी हो सकती है।
वेसे भी चीन के पास उसकी वैचारिक प्रणाली को चुनौती देने वाले देशों को व्यापारिक सौदों का निलंबन करके सजा देने का एक ट्रैक रिकॉर्ड है, जैसे कि नोबेल शांति पुरस्कार के बाद नॉर्वे से सामन मछली आयात को निलंबित करना- नॉर्वे की संसद द्वारा नियुक्त समिति ने 2010 में लियू जियाबो को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया था। जियाबो चीनी नीतियों से सहमत नहीं हैं और उन्हें ‘असंतोष की आवाज’ के रूप में जाना जाता है।
ऐसे में अगला कदम ऑस्ट्रेलियाई फर्मों का बहिष्कार करना हो सकता है, जैसा कि दक्षिण कोरिया की कम्पनियों द्वारा अमेरिकी मिसाइल रक्षा प्रणाली की तैनाती पर किया गया था। ऐसे में चीन के साथ देश के आर्थिक संबंधों को देखने वाले ऑस्ट्रेलियाई राजनेताओं और विद्वानों ने कमर कस ली है। ऑस्ट्रेलिया ने एक बार तथाकथित ‘एशियाई सदी’ को एक अवसर के रूप में देखा था लेकिन चीन के निरंकुशता और राजनीतिक जुझारूपन से वह असन्तुष्ट और अधीर है।
चीनी लोग ऑस्ट्रेलिया को न केवल एक टूरिस्ट डैस्टिनेशन के रूप में पसंद करते हैं बल्कि इसे पश्चिम की ओर एक खिड़की के रूप में भी देखते हैं जहां वे अपने बच्चों को पश्चिमी दुनिया के तौर-तरीके सिखा सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया के लोगों को, एशिया के साथ भौगोलिक निकटता से यह लगता है कि चीनी न केवल उनके बिजनैस और जमीन खरीद रहे हैं बल्कि उनकी नौकरियां भी ले रहे हैं। इसीलिए आज यह कई दक्षिण-पूर्व एशियाई और प्रशांत राष्ट्रों के साथ घनिष्ठ संबंध सांझा कर रहा है जो चीन को खतरा लग रहा है परंतु इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं। दोनों में तनाव अब कोरोना वायरस के कारण सामने आ रहा है।
- विजय कुमार
Bday Spl: जब Kapil Sharma ने शराब के नशे में कर दिया था Pm Modi को...
इस एक्टर के चबाए हुए च्यूइंग गम की 45 लाख रुपये में हो रही नीलामी,...
आज से नई कर व्यवस्था लागू, नए वित्त वर्ष में हुए कई अहम बदलाव, पढ़ें...
प. बंगाल रामनवमी हिंसाः हावड़ा में निषेधाज्ञा अब भी लागू
Odysse Electric ने लॉन्च की सस्ती इलेक्ट्रिक बाइक, सिर्फ 999 रुपये...
ऑनलाइन ‘प्रेमिका' ने दिल्ली के युवक से डेढ़ लाख रुपये ठगे
जॉर्जिया असम्बेली में ‘हिंदूफोबिया' के खिलाफ प्रस्ताव, कहा- हिंदू...
जानें कौन थे सैयद अब्दुल रहीम, Maidaan में जिनका किरदार निभा रहे हैं...
PM की शैक्षणिक योग्यता की जानकारी मांगने पर CM केजरीवाल पर कोर्ट ने...
MasterChef India 7 के विनर बने नयन ज्योती, ट्रॉफी के साथ मिले इतने...