भारतीय रेलों में यात्रा करना अब खतरे से खाली नहीं रहा। सुरक्षा बलों की मौजूदगी के बावजूद इनमें बड़ी संख्या में लूटमार, हत्या, डकैती और बलात्कार के मामले सामने आ रहे हैं जिनमें आम अपराधियों के अलावा रेलवे और सुरक्षा बलों के सदस्यों तक की संलिप्तता पाई जा रही है।
वर्ष 2016 के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रेलों में पिछले 2 वर्षों के दौरान भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत होने वाले अपराधों में 34 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है जिनमें हत्या, बलात्कार, लूटमार, अपहरण और डकैती के मामले शामिल हैं।
सरकारी रेलवे पुलिस (जी.आर.पी.) ने 2016 में ऐसे 42,388 मामले दर्ज किए थे जबकि 2014 में इनकी संख्या 31,609 और 2015 में 39,239 थी। वर्ष 2016 में सर्वाधिक 8,293 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए। इसके बाद महाराष्ट्र (7,358), मध्य प्रदेश (5,082), दिल्ली (4,306) और बिहार (2,287) का स्थान रहा।
2016 में भारतीय रेलों में हुए विभिन्न अपराधों के 42,388 केसों में से सर्वाधिक 33,682 केस चोरी के थे जबकि इसके बाद लूटपाट (1069), अपहरण (280), हत्या (236), हत्या के प्रयास (125), बलात्कार (79), डकैती (53) और उपद्रव (112) के केस शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि रेल मंत्रालय ने पिछले कुछ समय के दौरान भारतीय रेलों में सुधार की दिशा में चंद पग उठाए हैं परंतु इनके साथ-साथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए समुचित पग उठाना सर्वाधिक जरूरी है। अत: रेल मंत्री पीयूष गोयल इस सम्बन्ध में तुरंत पग उठा कर यात्रियों की सुरक्षा को यकीनी बनाएं। —विजय कुमार
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