भारत (India) को अपने निकटतम पड़ोसियों नेपाल, पाकिस्तान (Pakistan) और श्रीलंका (Sri Lanka) से अलग-थलग करके घेरने की अपनी साजिश के अंतर्गत चीन (China) के शासक इन देशों को अनेक प्रलोभन देते आ रहे हैं जिसके प्रभावाधीन इन देशों के साथ भारत की दूरी बढ़ रही है। जहां तक श्रीलंका सरकार का संबंध है ‘महिंदा राजपक्षे’ के शासनकाल में चीन के साथ इसकी नजदीकियां काफी बढ़ गई थीं और चीन के प्रलोभन में आकर ‘महिंदा राजपक्षे’ की श्रीलंका सरकार चीन सरकार से कर्ज लेती चली जाने के कारण उसके बोझ तले दब गई।
इसी कारण कर्ज लौटाने में असमर्थ हो जाने पर उसे चीन को 99 वर्ष की लीज पर हम्बनटोटा बंदरगाह देनी पड़ गई थी परंतु अब राष्ट्रपति ‘गोटबया राजपक्षे’ के सत्ता में आने के बाद चीन के प्रति श्रीलंका की नीति में कुछ बदलाव तथा चीन की ओर झुकाव कम होने का संकेत मिल रहा है। इसी पृष्ठभूमि में भारत के लिए श्रीलंका से अच्छी खबर आई है जिसके अनुसार श्रीलंका सरकार ने अपने देश में चीन की बढ़ती उपस्थिति के बावजूद अपनी नई विदेश नीति में भारत को प्राथमिकता देने की घोषणा की है। श्रीलंका के विदेश सचिव ‘जयनाथ कोलम्बेज’ ने 26 अगस्त को कहा है कि 'वैसे तो श्रीलंका तटस्थ विदेश नीति के साथ आगे बढ़ना चाहेगा परंतु भारत की सामरिक सुरक्षा की बात आने पर वह ‘इंडिया फर्स्ट’ की नीति ही अपनाएगा।'
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अपने देश में चीन के बढ़ते प्रभाव की आशंकाएं खारिज करते हुए उन्होंने कहा, 'श्रीलंका में चीन की बढ़ती उपस्थिति हमारे लिए ङ्क्षचता का विषय है तथा श्रीलंका सरकार ऐसा कुछ नहीं करेगी जिससे भारत के सुरक्षा हितों को ठेस लगे।' उन्होंने इशारा दिया कि उनकी सरकार चीन के दबाव में नहीं आएगी।
चीन द्वारा हम्बनटोटा बंदरगाह परियोजना में चीनी निवेश पर स्पष्टिकरण देते हुए उन्होंने कहा, 'चीन को हम्बनटोटा बंदरगाह 99 वर्ष की लीज पर देना एक भूल थी।' इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि 'श्रीलंका सरकार ने पहले हम्बनटोटा बंदरगाह की लीज संबंधी पेशकश भारत से ही की थी परंतु इसने यह पेशकश स्वीकार नहीं की चाहे इसका कारण जो भी रहा हो।' राष्ट्रपति ‘गोटबया राजपक्षे’ के हवाले से उन्होंने कहा कि 'रणनीतिक सुरक्षा के मामले में हम भारत के लिए खतरा नहीं हो सकते और हमको होना भी नहीं है। हमें भारत से लाभ लेना है।'
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उल्लेखनीय है कि श्रीलंका सरकार ने चीन का कर्ज न चुका पाने के कारण हम्बनटोटा बंदरगाह चीन की कम्पनी मर्चैंट पोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड को 1.12 अरब डालर में वर्ष 2017 में 99 वर्ष के लिए लीज पर दे दी थी परंतु अब श्रीलंका सरकार इस बंदरगाह को उससे वापस लेना चाहती है। भारत के प्रति श्रीलंका सरकार के दृष्टिकोण में आया बदलाव इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए एक अच्छा संकेत हो सकता है, बशर्ते कि श्रीलंका सरकार अपने दृष्टिकोण में इसी बदलाव पर कायम रहे और भारत सरकार का विदेश विभाग भी केवल श्रीलंका सरकार ही नहीं बल्कि अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी भ्रांतियों को दूर करने की दिशा में प्रभावशाली और त्वरित कदम उठाए।
—विजय कुमार
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