फिल्म: दसवीं' (Dasvi) एक्टर: अभिषेक बच्चन (Abhishek Bachchan), यामी गौतम (Yami Gautam) और निम्रत कौर (Nimrat Kaur) डायरेक्टर: तुषार जलोटा (tushar jalota) OTT: नेटफ्लिक्स रेटिंग : 3/5
ज्योत्सना रावत। अभिषेक बच्चन हर फिल्म में अपने किरदार को दिल से निभाते है। जैसा की आप उनकी फिल्म 'दसवीं' में देख सकते हैं। उनकी इस फिल्म को नेटफ्लिक्स पर 7 अप्रैल यानी आज से देखा जा सकता है। फिल्म एक अनपढ़, भ्रष्ट और आडंबरपूर्ण नेता की कहानी बताती है जो जेल में फंसने के बाद एजुकेशन के महत्व के बारे में समझ पाता है। ‘दसवीं’ की पटकथा रितेश शाह, सुरेश नायर और संदीप लेजेल ने लिखी है। वहीं, इसे तुषार जलोटा ने डायरेक्ट किया है। फिल्म में अभिषेक बच्चन एक आठवीं पास मुख्यमंत्री गंगाराम चौधरी की भूमिका निभा रहे हैं, जो भ्रष्टाचार के आरोप में जेल पहुंच जाता है।
कहानी
हरित प्रदेश का मुख्यमंत्री चौधरी गंगाराम (अभिषेक बच्चन) जो शिक्षा में हुए एक भ्रष्टाचार के आरोप में जेल पहुंच जाता है और उसकी जगह उसकी पत्नी बिमला चौधरी (निम्रत कौर) को मुख्यमंत्री बना दिया जाता है।
ऐसे में गंगाराम जेल के काम से बचने के लिए पढ़ाई करने का बहाना करता है, हालांकि बाद में उसे सचमें दसवीं करने का जुनून सवार हो जाता है। इसी बीच वो भावुक होकर बोल देता है कि 'दसवीं पास नहीं कर पाया तो दोबारा सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा'। लेकिन उसकी पत्नी पूरी कोशिश करती है कि वो दसवीं पास ना कर पाए। गौरतलब है कि बिमला देवी को अपने पद से प्यार हो गया है और अब वो किसी भी हालत में उसे छोड़ना नहीं चाहती। इसी बीच उसका सामना वहां की सख्त जेलर ज्योती देसवाल जिसका किरदार यामी गौतम निभा रहीं हैं, उनसे होता है। अब दोनों के बीच इगो की टक्कर हो जाती है। यहीं से कहानी में ट्वीस्ट आता है अब देखना ये है कि गंगाराम दसवीं पास कर पाता है या नहीं और क्या फिर से चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बन पाता है? यह सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
एक्टिंग
अभिषेक ने फिल्म में इतना अच्छा काम किया है कि आपको लगेगा सच में कोई हरयाणवी चौधरी स्क्रीन पर है। वहीं कॉमेडी का तड़का निम्रत कौर ने बहुत अच्छे से लगाया है। निम्रत ने एक पत्नी और मुख्यमंत्री दोनों किरदार बेहतरीन तरीके से निभाएं हैं। यामी गौतम ने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है। वहीं अरुण कुशवाह के किरदार को हम भूल नहीं सकते, वो अपने किरदार की एक अलग छाप छोड़ते हैं।
डायरेक्शन
फिल्म का डायरेक्शन ठीक- ठाक है वहीं सिनेमैटोग्राफी भी औसत है। एक वक्त बाद फिल्म लंबी लगने लगती है। फिल्म का संगीत भी ज्यादा रंग नहीं जमा पाता।
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