Sunday, Jun 04, 2023
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Review: मेजर दीप सिंह सेंगर की 'जिद' की कहानी है 'जीत की जिद'

  • Updated on 1/22/2021

फिल्म: जीत की जिद
एक्टर: अमित साध, अमृता पुरी, सुशांत सिंह, एली गोनी आदि।
डायरेक्टर: विशाल मैंगलोरकर
निर्माता- बोनी कपूर
स्टार: 3* स्टार

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। अमित साध (amit sadh), अमृता पुरी (amrita puri) और सुशांत सिंह (sushant singh) जैसे कलाकारों से सजी 'जीत की जिद' वेब सीरीज आज Zee5 पर रिलीज हो गई है। यह निर्देशक विशाल मंगलोरकर द्वारा निर्देशित और बोनी कपूर, अरुणव जॉय सेनगुप्ता और आकाश चावला द्वारा निर्मित है। 

'जीत की जिद ’एक सच्ची कहानी से प्रेरित है। यह कारगिल युद्ध के नायक मेजर दीपेंद्र सिंह सेंगर की वास्तविक जीवन पर आधारित है। जिन्होंने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सभी बाधाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी, चाहे वह युद्ध हो या व्यक्तिगत जीवन। इसके अलावा यह उन सभी जवानों और अफसरों की कहानी भी है, जो युद्ध भूमि में जीत कर और मेडल लेकर आम जिंदगी में वापस आते हैं, तो उनके सामने एक नई जंग तैयार खड़ी होती है।  

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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कहानी

कहनी वर्तमान और अतीत में चलते हुए मेजर सेंगर की जिंदगी के 1987 से 2010 को दिखाती है। फिल्म में भोपाल, आईएमए देहरादून, जम्मू-कश्मीर, अहमदाबाद के मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट को दिखाया गया है। 

जम्मू कश्मीर में एक सैन्य ऑपरेशन से सीरीज की शुरुआत होती है। यहां मेजर सेंगर आतंकवादियों से सिविलियंस को छुड़ाने की लडाई लड़ते हैं। यह लड़ाई तो कामयाब रहती है, लेकिन मेजर सेंगर को गोली लग जाती है। इस दौरान मेजर के व्यवहार में कुछ बदलाव होता है, जिसका संबंध बचपन में हुई एक घटना से है। मेजर को दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है। मेजर अब जल्दी अपनी यूनिट में वापस जाना चाहते हैं, लेकिन डॉक्टरों के हिसाब से वे ठीक नहीं हैं। मेजर यहां से भागने की कोशिश करते हैं। यहां से सीधा अपने दोस्त सूर्या सेठी (एली गोनी) की शादी में पहुंच जाते हैं, यही उनकी मुलाकात जया (अमृता पुरी) से होती है। दोनों एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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अब मेजर सेंगर अपनी यूनिट पहुंच जाते हैं। मेजर की जिद देखकर सीओ उन्हें ऑपरेशन लीड करने की इजाजत दे देते हैं। इस दौरान उन्हें पांच गोलियां लग जाती है, जिस वजह से वे कई महीनों तक अस्पताल में रहकर ठीक तो हो जाते हैं लेकिन व्हील चेयर पर आ जाते है। व्हील चेयर का खयाल मेजर को तोड़ देता है।

इस दौरान पत्नी उनका सहारा बनती है और दोबारा खड़ा करने में मदद करती है। अब मेजर कैट परीक्षा पास करके अहमदाबाद के एक प्रीमियर मैनेजमेंट संस्थान में एडमिशन लेते हैं। एमबीए करके एक कॉरपोरेट कंपनी में नौकरी करने लगते हैं। इसके बाद एख बार फिर उनके मन में अपाहिज होने की निराशा मन में जागने लगती है। इसके बाद की कहानी जानने के लिए कि इस दौरान कौन उनकी मदद करता है और क्या फिर से वे मेजर बन पाते हैं। ये सब जानने के लिए आपको ये सीरीज देखनी पड़ेगी।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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डारेक्शन
यह सीरीज 7 एपिसोड्स में है। लेकिन आखिरी के तीन एपिसोड्स में इस सीरीज की जान बसी है। फिल्म का डारेक्शन ठीक ठाक है। तकनीकी पहलू पर सीरीज थोड़ी मात खा गई। कुछ दृश्यों में और बेहतर एडिटिंग की जरूरत लगती है। यह कहना गलत नहीं होगा कि निर्देशक विशाल मैंगलोरकर को थोड़ी और मेहनत की जरूरत थी।
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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एक्टिंग

अमित साध की मेहनत स्क्रीन पर साफ दिखती है। उन्होंने मेजर दीप सेंगर बनने के लिए जी तोड़ मेहनत करके किरदार में जान डाल दी। साथ ही सीरीज में पत्नी जया का किरदार काफी अहम और दमदार है और अमृता पुरी के भी शानदार सीन है। सहकलाकारों को थोड़ी और मेहनत की जरूरत थी। दोस्त के किरदार में एली गोनी ने ठीक काम किया है। इन सबके बीच कर्नल चौधरी के किरदार में सुशांत सिंह ने भी अच्छा काम किया है।
 

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