फिल्म - 'गुलाबो सिताबो'/Gulabo Sitabo निर्देशक - शूजित सरकार/Shoojit Sircar स्टारकास्ट - अमिताभ बच्चन, आयुष्मान खुराना, विजय राज, बृजेंद्र काला, सृष्टि श्रीवास्तव रेटिंग - 3.5/5 स्टार
नई दिल्ली/सोनाली सिन्हा। यह साल हिंदी सिनेमा के लिए बेहद बेकार साबित होता हुआ नजर आ रहा। कोरोना वायरस के बढ़ते आतंक की वजह से फिल्म इंडस्ट्री को गहरा झटका पड़ा है। देश में चल रहे लॉक डाउन के कारण से पिछले लंबे समय से फिल्मों की शूटिंग रुक चुकी है तो वहीं कई फिल्मों की रिलीज डेट को आगे बढ़ा दिया गया है। जिसके बाद अब कई फिल्मों को ओटिटि प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने की योजना की जा रही है। ऐसे में अमिताभ बच्चन (Amitabh bachchan) और आयुष्मान खुराना (Ayushmann khurrana) की फिल्म 'गुलाबो सिताबो' (Gulabo Sitabo) को आज 12 जून को अमेजॉन प्राइम (Amazon Prime) पर रिलीज किया गया है, जिसे शूजित सरकार (shoojit sircar) ने डायरेक्ट किया है। तो आएइ जानते हैं कैसी है फिल्म की कहानी।
कहानी फिल्म में एक 78 साल बुजुर्ग मुस्लिम शख्स मिर्जा (अमिताभ बच्चन) की कहानी को दर्शाया गया है जोकि बेहद झगड़ालू और कंजूस स्वभाव का होता है। वहीं कहानी मिर्जा के इर्द-गिर्द ही घूमती हुई नजर आ रही है जो अपनी सालों पुरानी हवेली से बेइंतहा प्यार करता है जिसका नाम फातिमा महल है। दिलचस्प बात बता दें कि हवेली के प्रती मिर्जा का प्यार सिर्फ और सिर्फ पैसों की वजह से है। वे पैसों के लिए हवेली की पुरानी चीजों को चोरी से बेचता रहता है। वहीं हवेली मिर्जा की बीवी फातिमा की पुश्तैनी जायदाद होती है जिसे वह जल्द से जल्द अपने नाम करवाना चाहते हैं। यही वजह है कि वह खुद से 17 साल बड़ी फातिमा के मरने का भी बेसब्री से इंतजार करता है।
वहीं इस हवेली में कई किराएदार रहते हैं जिनमें से एक बांके नाम का एक लड़का अपनी मां और तीन बहनों के साथ रहता है, जिसे मिर्जा बिल्कुल पसंद नहीं करता। ऐसा इसलिए क्योंकि बांके न तो किराया देता है और न ही वहां से जाता है।बांके हमेशा यह बोलकर किराया नहीं देता है कि वह एक गरीब लड़का है जो फैमिली की जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा हुआ है। वहीं मिर्जा चाहता है कि या तो बंके किराया दे या फिर हवेली छोड़ कर चला जाए, लेकिन बांके टस से मस नहीं होता है। ऐसे में दोनों आपस में पूरे समय लड़ते-भिड़ते रहते हैं जोकि देखने में काफी मजेदार लग रहा है। वहीं दूसरी तरफ बांके की गर्लफ्रेंड शादी करने के लिए उसपर लगातार दवाब बना रही होती है।
कहानी में ट्वीस्ट तब आता है जब मिर्जा इस पुशतैनी हवेली को बेचने के लिए एक बिल्डर खोज लेता है। वहीं दूसरी तरफ बांके एलआईजी फ्लैट के लालच में आर्कियोलॉजी विभाग के एक अधिकारी से मिलकर इसे पुरातत्व विभाग को सौंपने की योजना बना लेता है। मगर, बेगम का एक दांव इन दोनों की योजनाओं पर पानी फेर देता है और दोनों को ही हवेली से निकलना पड़ता है।
एक्टिंग अमिताभ बच्चन को यूं ही नहीं सदी को महानायक कहा जाता है। वे जिस भी कुरदार को निभाते हैं, बड़ी आसानी से किसी भी किरदार को खुद में ठाल लेते हैं। वहीं मिर्जा के किरदार को भी उन्होंने बखुबी निभाया। वहीं लीक से हटकर फिल्में करने वाले आयुष्मान खुराना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वो एक्टर के तौर पर बेहद वर्सटाइल हैं। बंके के किरदार में वे खूब जच रहे हैं। वहीं फिल्म में दोनों की नोंक-झोक आपका मनोरंजन करवाने में कामयाब रहेगी।
डायरेक्शन सुजीत सकराक ने मिर्जा और बांके की नोंक-झोक को बड़ी खूबसूरती से पर्दे पर उतारा है। सुजीत सकराक दर्शकों को हंसाना बखूबी जानते हैं। कुल मिलाकर 'गुलाबो सिताबो' मनोरंजन करती है और साथ ही हमें यह सीखने को भी मिलता है कि जिंदगी में अधिक की चाहत तो ठीक है लेकिन बहुत ज्यादा लालच आपको सही जगह लेकर नहीं जाता। फिर चाहे वह किसी का दिल हो, घर हो या फिर महल। वहीं कोरोना के स्ट्रेस को कम करने के लिए आप इस फिल्म को अपने पूरे परिवार के साथ इसे जरूर देखें।
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