Tuesday, Jun 06, 2023
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#RIPVajpayee: राजनीति सहित बॉलीवुड में भी ताउम्र याद किए जाएंगे अटल जी

  • Updated on 8/17/2018

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। आखिरकार एक मुस्कुराता चेहरा कल शांत हो गया। एक एेसी शख्शियत जिसकी तुलना कभी किसी से नही की जा सकती अपने पीछे कई यादगार लम्हें छोड़ गया। अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार शाम 5:05 बजे निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार आज दिल्ली में शाम 4 बजे स्मृति स्थल पर किया जाएगा। 

कुशल राजनीतिज्ञ अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व के कई पहलू थे, एक पहलू यह भी था कि उन्हें फिल्मों से काफी लगाव था। बकौल हेमा मालिनी फिल्म ‘सीता और गीता’ वाजपेयी ने 25 बार देखी थी। बॉलीवुड को भी उनका कवि रूप पसंद था।

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25 बार देखी थी ‘सीता और गीता’

अटल बिहारी वाजपेयी का फिल्मों से काफी लगाव रहा। उनकी पसंदीदा फिल्मों में राजकपूर और वहीदा रहमान की फिल्म ‘तीसरी कसम’, दिलीप कुमार, वैजयंतीमाला और सुचित्रा सेन अभिनीत फिल्म ‘देवदास’ और अशोक कुमार, नूतन और धर्मेंद्र की फिल्म ‘बंदिनी’ के नाम उल्लेखनीय हैं। वाजपेयी जी की पसंदीदा अंग्रेजी फिल्मों में ‘ब्रिज ओवर रिवर क्वाय’, ‘बोर्न फ्री’ और ‘गांधी’ शामिल हैं। वह फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी के बड़े प्रशंसक थे। उन्होंने हेमा मालिनी की दोहरी भूमिका वाली फिल्म ‘सीता और गीता’ 25 बार देखी थी। इस विषय में खुद हेमा मालिनी ने बताया था। 

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‘परमाणु’ की प्रेरणा

भिनेता और निर्माता जॉन अब्राहम को फिल्म ‘परमाणु : स्टोरी ऑफ  पोखरण’ 1998 में भारत के सफल परमाणु परीक्षण पर आधारित है। जॉन अब्राहम को इस विषय पर फिल्म बनाने की प्रेरणा अटल बिहारी वाजपेयी से मिली थी। जिस समय भारत ने परमाणु विस्फोट किया था, उस समय वाजपेयी ही प्रधानमंत्री थे और डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम उनके वैज्ञानिक सलाहकार थे। जॉन अब्राहम इस बात से प्रभावित थे कि उस समय प्रधानमंत्री पर परमाणु परीक्षण न करने के लिए पूरी दुनिया, खासकर अमरीका से काफी दबाव पड़ रहा था, इसके बावजूद उन्होंने परीक्षण की अनुमति दी। जॉन अब्राहम की मुख्य भूमिका वाली अभिषेक शर्मा निर्देशित इस फिल्म में कई जगह तत्कालीन प्रधानमंत्री का जिक्र हुआ है। फिल्म का समापन भी वाजपेयी के विस्फोट के ऐलान की क्लिपिंग के साथ ही होता है।

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कारगिल युद्ध पर 6 फिल्में

वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में ही पाकिस्तानी सेना ने कारगिल की पहाडिय़ों पर कब्जा कर लिया था लेकिन भारतीय सेना ने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तानी सेना को मार भगाया था। 1999 में हुए इस युद्ध पर 6 फिल्में बनाई जा चुकी हैं। इनमें निर्देशक जेपी दत्ता की फिल्म एलओसी कारगिल (2003), निर्देशक फरहान अख्तर की फिल्म लक्ष्य (2004), निर्देशक मणिशंकर की फिल्म टैंगो चार्ली (2005), निर्देशक अश्विनी चौधरी की फिल्म धुप (2003), निर्देशक गौरव पांडेय की फिल्म स्टंप्ड (2003) और निर्देशक पंकज कपूर की फिल्म ‘मौसम’ उल्लेखनीय हैं। इन फिल्मों में भारतीय सेना के शौर्य को दर्शाया गया है।    

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पसंदीदा गीत और गायक

हिंदी फिल्म संगीत को बेहद पसंद करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी का पसंदीदा गीत फिल्म ‘कभी-कभी’ का अमिताभ बच्चन और वहीदा रहमान पर फिल्माया गया ‘कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है’ था। इस गीत को मुकेश और लता मंगेशकर ने गाया था। मोहम्मद रफी भी वाजपेयी के पसंदीदा गायक थे। अटल जी को एक और गीत फिल्म ‘बंदिनी’ का ‘ओ मेरे माझी मेरे साजन है उस पार’ काफी पसंद था। इस गीत को सचिन देव बर्मन ने गाया और संगीतबद्ध किया था। 

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कविताओं पर बनी थी फिल्म

बॉलीवुड भी वाजपेयी की कविताओं को पसंद करता था। उनकी एक कविता ‘क्या खोया क्या पाया जग में’ को जगजीत सिंह ने संगीतबद्ध किया था और गाया था। यह गीत यश चोपड़ा की वाजपेयी की कविताओं पर एक शॉर्ट फिल्म ‘अंतर्नाद’ (1999) से था। इस गीत के वीडियो को सारेगामा के यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है। इस गीत के वीडियो में कभी वाजपेयी खुद और कभी गमगीन शाहरुख खान नजर आते हैं। 

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